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निर्जला एकादशी : आज शाम करें भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप

निर्जला एकादशी : आज शाम करें भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप
निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ, व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
सीएन, हरिद्वार।
इस साल निर्जला एकादशी आज यानि 10 जून दिन शुक्रवार को है. गर्मी में निर्जल व्रत रखना बेहद कठिन होता है. इस व्रत के दौरान लोग एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक ना नमक खा सकते हैं और ना ही पानी पी सकते हैं. उन्हें निर्जल व्रत रखना होता है. इस व्रत के दौरान जल का सेवन करना वर्जित होता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति आज के दिन पूरे नियम को मानते हुए व्रत रखता है, उसे साल में आने वाली सभी एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है. ऐसे में इस दिन की विशेषता और बढ़ जाती है. बता दें कि वेद व्यास जी ने इस व्रत के नियम और महत्व के बारे में भीम के निवेदन करने पर बताया था. ऐसे में इस दिन हर कोई भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होता है. आज के दिन आप शाम के समय विष्णु मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
भगवान विष्णु के मंत्र
ओम भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ओम भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
ओम नमो भगवते वासुदेवाय
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
ओम नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ऊं नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात।।
निर्जला एकादशी व्रत कथा
हर साल निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. इस साल 10 जून दिन शुक्रवार को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी. इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी एकादशियों का व्रत फल प्राप्त होता है. ऐसे में निर्जला एकादशी की व्रत कथा के बारे में पता होना जरूरी है. एक समय की बात है वेद व्यास जी से भीम ने कहा कि उनकी माता समेत सभी भाई उनसे एकादशी व्रत रखने के लिए कहते हैं. लेकिन उनके लिए व्रत रखना कठिन है. वह दान, पाठ, पूजा, स्नान आदि कर सकते हैं. लेकिन व्रत के दौरान भूखा नहीं रह सकते. ऐसे में क्या किया जाए. तब वेद व्यास जी ने कहा कि तुम्हें नर्क और स्वर्ग लोक दोनों के बारे में पता है. ऐसे में तुम प्रत्येक माह आने वाली एकादशी के दिन अन्न ग्रहण करो. भीम ने कहा कि हर महीने यह व्रत रखना कठिन है. तब वेद व्यास जी से निवेदन किया कि आप किसी ऐसे व्रत के बारे में बताएं जिसे करने से स्वर्ग की प्राप्ति हो और सभी एकादशियों का फल प्राप्त हो तब वेदव्यास जी ने ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी निर्जला एकादशी के बारे में बताया. इस दिन व्रत करने से सभी इच्छाएं पूरी होती है और स्वर्ग प्राप्त होता है. इस दिन आचमन करने की अनुमति और स्नान करने की अनुमति है. व्रत के दौरान भोजन और पानी दोनों पीना मना है. सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल नहीं पी सकते. ऐसा करने से 1 साल की एकादशियों का पूर्ण फल प्राप्त हो सकता है.
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्षक की एकादशी यानि आज निर्जला एकादशी है. जो कि आज यानि 10 जून को सुबह 07 बजकर 25 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 11 जून को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर होगा. 10 और 11 दोनों दिन एकादशी तिथि पड़ रही है और इसलिए दोनों दिन व्रत किया जा सकता है.
निर्जला एकादशी व्रत पारण का समय
निर्जला एकादशी दो दिन पड़ रही है और व्रत पारण का शुभ समय 11 जून को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के ​दिनभर व्रत किया जाता है और इस दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है. सभी व्रतों में यह सबसे कठिन व्रत माना गया है और कहते हैं कि इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. निर्जला एकादशी का व्रत प्रात: काल शुरू होता है और सुबह स्नान आदि करने के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें. इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण भगवान विष्णु की अराधना करें. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल, पंचामृत और तुलसी का पत्ता अर्पित करें. ध्यान रखें कि यदि आप व्रत कर रहे हैं तो दिन भर पानी न पीएं. लेकिन यदि स्वास्थ्य साथ न दें तो नींबू पी सकते हैं.

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