नैनीताल
आगामी 14 नवम्बर को उड़ान भरेगा नासा का आर्टेमिस-1
सीएन, नैनीताल। मंगल तक पहुंचने की चन्द्रमा पर मानव मिशन की तैयारी को लेकर अमेरिकी अंतरीक्ष एजेंसी नासा के ग्रह भले ही ठीक नहीं चल रहे हों, लेकिन नासा के वैज्ञानिकों की कोशिशें जारी हैं। इस अभियान को फतेह करने को लेकर नासा ने आर्टेमिस 1 की उड़ान भरने की तिथि 14 नवंबर तय करदी है। यह लॉन्चिंग प्रशिक्षण के लिए होगी, जो इस मिशन के आगे का मार्ग निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होगी। मिशन के तहत आर्टेमिस तीन चरणों की योजना बनाई है। जिसमें मंगल के लिए तीसरी लॉन्चिंग 2024 में की जाएगी। इससे पहले दो महत्वपूर्ण लॉचिंग होगी।
पिछले तीन माह से लॉन्चिंग की तैयारी में जुटा है नासा
आर्टेमिस 1 लॉन्च करने के लिए नासा पिछले तीन महीने से तैयारी कर रहा है। कई तारीखें निर्धारित करने के बावजूद उड़ान नहीं भरी जा सकी हैं। इसकी वजह कभी मौसम दगा दे गया तो कभी तकनीकी खराबी आड़े आ गई। जिस कारण मिशन के शुभारंभ को सफलता अभी तक नही मिल सकी है। मगर नासा पूरी मुस्तैदी के साथ अपने मिशन को पूरा करने में लगा हुआ है। अब उम्मीद है कि 14 नवंबर के दिन यात्रा का श्रीगणेश हो जाएगा।
लॉन्च को लेकर 3 नवंबर को होगी अंतिम चर्चा
आर्टेमिस की पहली लॉचिंग को लेकर नासा तीन नवंबर को लेकर फाइनल चर्चा करने जा रहा है। यह चर्चा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। तीन नवंबर को दोपहर 12 बजे मीडिया से टेलीकांफ्रेंस के जरिए रूबरू होगा। यह आर्टेमिस 1 की परीक्षण उड़ान होगी। यह उड़ान फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट लॉन्च की जानी है। चर्चा के दौरान मिशन से जुड़े वैज्ञानिक, इंजरनियर और नासा के अन्य अधिकारी मौजूद होंगे। इसमें दोराय नही कि इस चर्चा में कई महत्वपूर्ण तथ्य निकलकर सामने आयेंगे, जो इस मिशन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। नासा का यह आर्टेमिस 1 एसएलएस और ओरियन अंतरिक्ष यान का पहला एकीकृत परीक्षण है। भविष्य के आर्टेमिस मिशनों में नासा चंद्रमा की सतह पर पहली महिला और रंग के पहले व्यक्ति को उतारेगा, जो लंबे समय तक चंद्र उपस्थिति का मार्ग प्रशस्त करेगा और मंगल के रास्ते पर एक कदम के रूप में सेवा करेगा।
चंद्रमा के जरिए मंगल तक पहुंचेगा नासा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार सोमवार, 14 नवंबर के लिए लॉन्च इस लक्ष निर्धारित है। जिसमें 69 मिनट की लॉन्च विंडो के दौरान लिफ्टऑफ की अहम योजना बनाई गई है , जो पूर्वान्ह 12:07 ईएसटी खुलेगी। 14 नवंबर को प्रक्षेपण के परिणामस्वरूप प्रशांत महासागर में 9 दिसंबर को एक स्पलैशडाउन के साथ लगभग साढ़े 25 दिनों की मिशन अवधि को पूरा करेगा। आर्टेमिस मिशनों के जरिए नासा चंद्रमा पर पहला व्यक्ति उतारेगा, जो लंबे समय तक चन्द्रमा पर मौजूद रहेगा और चंद्रमा से मंगल तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करने की अगली योजना यही से बनाई जा सकेगी। जिसमें अंतरिक्ष में मंगल ग्रह तक पहुंचने का सफर किस तरह से पूरा किया जा सकेगा, यह नासा महत्वपूर्ण कदम होगा। पृथ्वी के नजदीक मंगल का कई मायनों के पृथ्वी जैसी समानताओं को लेकर नासा समेत दुनिया के विज्ञानिक इस ग्रह पर मानव का दूसरा आशियाना बसाने का सपना देख रहे हों, लेकिन हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा में भी जीवन की संभावनाएं हैं। यूरोपा बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं में शामिल है। यह चंद्रमा गैलीलियन हैं और बृहस्पति नजदीकी वाला दूसरा ग्रह है। अभी तक जानकारी के अनुसार यूरोपा का व्यास 3,100 किमी है। यह लगभग हमारे चंद्रमा के बराबर ही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा की सतह बर्फीली है साथ ही इसमें तरल अवस्था में पानी भी है। जिस कारण वैज्ञानिक इस चंद्रमा पर जीवन की संभावना जताते आ रहे हैं।
श्रोत व फोटो : NASA/जेसन पैरिशकैथरीन हैम्बलटन / राहेल क्राफ्टमुख्यालय, वाशिंगटन