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नैनीताल

हाय रे सिस्टम : बचाने चले थे 14 करोड़, हाथ से निकल गई 105 करोड़ की जमीन

हाय रे सिस्टम: बचाने चले थे 14 करोड़, हाथ से निकल गई 105 करोड़ की जमीन
सीएन, हल्द्वानी
। यह सिस्टम की ही काहिली कहा जाएगा कि बीते दो साल में अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम गौलापार की 105 करोड़ रुपये की जमीन गौला नदी बहा ले गई। 2015 में इस जमीन की सुरक्षा के लिए 14 करोड़ रुपये की लागत से सुरक्षा दीवार बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन सरकारी खजाने को बचाने के चक्कर में योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब खेल विभाग की 1.5 हेक्टेयर जमीन को रिकवर करने के लिए 65 करोड़ से काउंटरफोर्ट वॉल बनानी होगी। हालांकि इससे भी 68.55 करोड़ रुपये की जमीन ही रिकवर होगी। वर्ष 2014 में गौला नदी से लगी जमीन पर अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की नींव रखी गई थी। बाढ़ ग्रस्त इलाके में स्टेडियम बनने के साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए प्रयास भी शुरू हो गए थे। 2014 में 11.38 करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम के किनारे 700 मीटर की सुरक्षा दीवार खड़ी कर दी गई। सिंचाई विभाग ने शेष बचे 800 मीटर के हिस्से में सुरक्षा दीवार बनाने के लिए 14 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था। इसे जुलाई 2015 में टीएसी की मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन नीति नियंताओं की अदूरदर्शिता के चलते स्टेडियम सुरक्षित नहीं हो पाया। सितंबर 2023 से अब तक गौला नदी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की 2.3 हेक्टेयर जमीन को बहा ले गई। इस जमीन का कमर्शियल रेट 45,700 रुपये वर्ग मीटर है। एक हेक्टेयर में 10 हजार वर्ग मीटर होता है इस हिसाब से खेल विभाग को 105 करोड़ रुपये की जमीन का नुकसान हुआ है। गौला नदी में बाढ़ नियंत्रण के लिए हर साल नदी से आए उपखनिज की वैज्ञानिक पद्धति से निकासी की जरूरत है। भूगर्भशास्त्री प्रो. बीआर पंत ने बताया कि हर साल नियोजित तरीके से उपखनिज निकासी न करने के कारण नदी के बीचो.बीच मलबा जमा होने से रोखड़ बनता जाएगा जो नदी के प्रवाह को अवरुद्ध करेगा। इधर सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता दिनेश सिंह रावत का कहना है कि गौलापार स्टेडियम की डेढ़ हेक्टेयर जमीन को रिकवर करने के लिए 65 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन स्तर से मिले निर्देशों के अनुसार सुरक्षा दीवार बनाने के कार्य किए जाएंगे।

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