नैनीताल
ना फल देता है ना लकड़ी, ऊंचाई 2 फीट, फिर भी करोड़ों में बिकता है ये पेड़
ना फल देता है ना लकड़ी, ऊंचाई 2 फीट, फिर भी करोड़ों में बिकता है ये पेड़
सीएन, नैनीताल। क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे महंगा पेड़ कौन सा है। बहुत कम लोग ही बगैर गूगल किए इसका जवाब दे पाएंगे। इसका नाम अफ्रीकन ब्लैकवुड है। हालांकि, इसकी कीमत करोड़ों में जाती है। हालांकि, यह इकलौता पेड़ नहीं है जो करोड़ों रुपये में बिकता है। बल्कि इससे काफी छोटा एक और पेड़ है जो 10 करोड़ रुपये से भी अधिक में बिक चुका है। यह पेड़ जितना पुराना होता जाता है उसकी कीमत उतनी ही बढ़ती चली जाती है। हम बात कर रहे हैं जापान के बोनसाई पेड़ की। यह पेड़ आपको कुछ हजार से लेकर करोड़ों रुपये में मिलता है। अभी तक सबसे महंगा बोनसाई पेड़ जापान के ताकामात्सु में 13 लाख डॉलर या 10.74 करोड़ रुपये में बिका है। यह जापानी वाईट पाइन है। बोनसाई ट्री एक छोटे से बर्तन में उगाया जा सकता है। इसकी ऊंचाई 2 फीट तक जाती है। आज भी आपको 300-400 साल पुराने बोनसाई पेड़ देखने को मिल जाएंगे। इन पुराने पेड़ों की ग्रोथ को देखकर आप खुद भी इनकी लंबी आयु का अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन इतने साल जिंदा रहने के बावजूद यह बहुत कम एरिया में अपनी जड़े व टहनियां फैलाते हैं। इसलिए यह घर में सजाने के लिए कुछ सबसे उत्कृष्ठ सामग्रियों में से एक माने जाते हैं। आप एक छोटे और एकदम नए बोनसाई ट्री को 1000-2000 रुपये में भी खरीद सकते हैं।
कैसे बनाये घर पर बोनसाई पेड़
बोनसाई का अर्थ बोना पौधा है। जिसमें बड़े तथा विशालकाय पेड़ों को लघु आकार के पौधों में बदलकर आकर्षक रूप प्रदान किया जाता है। बोनसाई शब्द मूलतः चीनी शब्द पेंजाई का जापानी उच्चारण है। यह जापानी तकनीकी या कला है, लेकिन इसकी शुरुआत चीन से हुई थी। आजकल बोनसाई पेड़ के पारंपरिक उपयोग के अलावा सजाने और मनोरंजनात्मक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
पेड़ को तैयार करें
अगर आप गंदे प्लास्टिक के गमले में बोनसाई का पेड़ दुकान से ले कर आए है या अपने द्वारा उगाया गया पौधा हो, तो इसे सुंदर गमले में लगाएँ। नए गमले में पेड़ ट्रांसफ़र करने से पहले तैयारी करनी पड़ती है। पहले, सुनिश्चित करें कि पेड़ को काट छाँट कर मनचाहा आकार दिया गया है कि नहीं। अगर आप नए गमले में लगाने के बाद भी उसे एक आकार देना चाहते हैं, तो तार पेड़ और टहनियों पर लपेट कर सुंदर आकार दें। इसकी मदद से पेड़ एक सुंदर आकार और निर्धारित दिशा में बढ़ सकेंगें। बोनसाई पेड़ के मनचाहे अच्छे आकार में हो जाने के बाद ही उसे दूसरे गमले में लगाएँ, इससे पेड़ को बहुत कष्ट होता है। बसंत ऋतु में ही, पतझड़ वाले डेसिडुअस पेड़ों को गमले में ट्रान्स्फ़र करने का बढ़िया समय है। बसंत में तापमान के बढ़ने से पेड़ जल्दी बढ़ते हैं, इस का तात्पर्य यह है कि कटाई और छटाई के बाद पेड़ जल्दी बहाल हो जाते हैं। आप गमला बदलने के कुछ समय पहले से पानी देना कम कर दें। सूखी ढीली मिट्टी पर आसानी से काम किया जा सकता है बनिस्पत गिली मिट्टी के।
गमले से पेड़ को निकाल कर उसकी जड़ साफ़ करें :-
पुराने गमले से पेड़ के तने को बिना नुक़सान पहुँचाए ध्यान से निकालें। पेड़ को गमले से निकालने के लिए खुरपी की आवश्यकता होती है। पेड़ की अतिरिक्त जड़ों को काटने के बाद ही नए बोनसाई के गमले में लगाएँ। यह अति आवश्यक है कि जड़ पर चिपकी मिट्टी को ठीक से झाड़ कर बिल्कुल साफ़ करें। इस प्रक्रिया में चोपस्टिक, जड़ को रखने के लिए रैक, चिमटी जैसे कुछ औजारों की मदद ली जा सकती हैं। जड़ों को बहुत साफ़ करने की ज़रूरत नहीं है, बस इतना साफ़ हो की उस पर काम करने यानी कटाई के समय, उसे ठीक से देख सकें।
जड़ों को काटें :-
जड़ों के बढ़ने को यदि, समय से नहीं रोका गया तो बोनसाई पेड़ गमले के मुक़ाबले अधिक बड़ा हो जाएगा। जड़ों की कटाई छटाई से बोनसाई पेड़ साफ़ सुथरे और उसका आकार भी क़ाबू में रहता है। बड़ी और मोटी जड़ों को और गमले की सतह की ओर जाती हुई जड़ों को काटें, बस पतली नाज़ुक जड़ों की जाल को ऊपरी सतह पर रहने दें। पेड, जड़ों के टिप से पानी खींचता है इसलिए छोटे गमले में एक मोटी गहरी जड़ के बजाए, जड़ों की जाल अच्छी रहती है।
गमला तैयार करें :-
पेड़ लगाने के पहले ताजी, नई मिट्टी, गमले में मनमुताबिक ऊँचाई तक डालें। ख़ाली गमले में सबसे नीचे दानेदार मिट्टी डालें। फिर महीन ढीली मिट्टी या पेड़ को बढ़ाने वाले तत्व मिट्टी में डालें। ऐसी मिट्टी का गमले में इस्तेमाल करें जिससे मट्टी में अतिरिक्त पानी निकल जाए, ठहरे नहीं। मिट्टी में अधिक पानी होने के कारण पेड़ की जड़ सड़ जाती है। गमले में थोड़ी जगह जड़ को ढ़कने के लिए छोड़ें।
पेड़ पॉट में लगाएँ :-
पेड़ को नए गमले के बिल्कुल बीच में रखें। इस महीन स्वस्थ मिट्टी को पेड़ की जड़ के जाल पर डाल कर ढकें। आप अपनी इच्छा अनुसार मॉस या बजरी बिछा सकते हैं। इससे पेड़ सुंदर भी दिखता है और साथ में एक जगह पर भी खड़ा रहता है। यदि गमले में पेड़ सीधे खड़ा नहीं हो रहा है, तो मोटे तार को गमले के नीचे पानी निकलने के छेद से अंदर ले जाएँ। जड़ की जाल को ठीक से बांधे जिससे वो एक जगह पर मज़बूती से रह सके। आप पानी के निकास के लिए छेदों पर जाली लगाएँ, जिससे मिट्टी का कटाव न हो, मिट्टी पानी के साथ गमले में बने छेद से बह न जाए।
आपके नए बोनसाई पेड़ की देखरेख :-
बोनसाई पेड़ इस पूरी प्रक्रिया में मार खाता है। इस लिए 2-3 हफ़्ते तक इस पॉट को पेड़ की छांव में छोड़ दें, जहाँ सूरज की रोशनी और तेज़ हवा से बचाव हो सके। पेड़ में पानी डालें, परंतु खाद का इस्तेमाल न करें जब तक पेड़ अच्छे से लग न जाए। कुछ समय के लिए जब तक पेड़ अपने नए माहौल यानी नए गमले का आदि न हो जाए तब तक उसे आराम करने दें। आपने ऊपर देखा की डेसिडुअस पेड़ साल में एक बार पतझड़ से गुज़र कर बाद में बसंत में जल्दी नए पत्तों के साथ बढ़ते हैं। इस वजह से ठंड की ससुप्त अवस्था के बाद, बसंत ऋतु में डेसिडुअस पेड़ों को दोबारा गमले में लगा सकते हैं। अंदर रखने वाला डेसिडुअस बोनसाई पेड़ है तो, मिट्टी को जड़ जब तक अच्छे से न पकड़ ले तब तक उसे बाहर रख सकते है जहाँ सूरज की रोशनी और बढे हुए तापमान से वो जल्दी बढ़ जाता है। बोनसाई पेड़ जब स्थापित हो जाए, तब आप कुछ और पेड़ों को पॉट गमले में लगा कर प्रयोग कर सकते हैं। इन पेड़ों को ठीक से एक साथ पोषित कर के और क्रम में लगा कर एक अद्भुत झाँकी सी बना सकते है। एक समान के पेड़ लगाएँ जिससे एक तरह की रोशनी और निश्चित पानी और रख रखाव के नियम से सब पेड़ों का एक साथ एक तरह का पोषण मिल जाता है।
