Connect with us

नैनीताल

नई खोज-मंगल पर था कभी नीला समंदर

सीएन, नैनीताल। कभी पृथ्वी की तरह हरी भरी मंगल की धरती क्यों बियाबान हो गई और खूबसूरत गृह वीनस कैसे तेजाब में बदल गया। ये सवाल आज भी अनुत्तरित हैं। इन दोनो ग्रहों के बीच हमारी पृथ्वी का भविष्य क्या सुरक्षित रह सकेगा। ये सवाल कचोटता है और चेताता है कि हमें पृथ्वी के लंबे भविष्य को लेकर जतन करने होंगे। बहरहाल ये सवाल मन में इसलिए आ गया कि हाल ही में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि पृथ्वी के बनने से पहले मंगल में हमारी धरती की तरह समंदर का साम्राज्य हुआ करता था। वैसा ही नीला समंदर, जो हमें पृथ्वी में नजर आता है। ये बातें हैरान करती हैं कि मंगल की धरती का अकूत पानी कहा गायब हो गया। इसके पीछे वजह कई सारी हो सकती हैं। मगर हालिया शोध प्राचीन मंगल के महासागरों की जो कहानी बयान करता है, वह आश्चर्य में डालता है। नए अध्ययन से पता चलता है कि हाइड्रोजन  ने मंगल के वातावरण को इतना गर्म रखा कि उसमें  पानी लाखों वर्षों तक तरल अवस्था में रह सके।

एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की यह खोज-आश्चर्यजनक प्रतीत होती है। जिसकी घोषणा।  18 अक्टूबर, 2022 को की गई। वैज्ञानिकों ने मंगल के अतीत के शुरुआत में  गहरी झीलों का समावेश था और बहने वाली नदियों के आलावा महासागरों के सबूत खोज निकाले हैं। नासा का रोवर क्यूरियोसिटी मंगल के वायुमंडलीय मॉडल के डेटा आणविक हाइड्रोजन के प्रारंभिक वातावरण की तस्दीक करता है। जिसे शोधकर्ताओं ने पीयर-रिव्यू किए गए परिणामों को प्रकाशित किया है।मंगल के घने प्रारंभिक वातावरण की जानकारी-हम अब सूख चुके नदी तलों और झीलों के अस्तित्व के बारे में जानते हैं कि मंगल का वातावरण कभी पहले की तुलना में बहुत अधिक सघन रहा होगा। ऐसे वातावरण में तरल पानी सतह पर स्थिर रह सकता है। मगर अभी भी स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में मंगल का वातावरण कितना घना और कितना गर्म रहा होगा। इसके साथ ही झीलें और संभावित महासागर के गर्म व ठंडे के अतिरिक्त बर्फ से ढके होने के बारे निश्चित नहीं है।  वैज्ञानिकों ने लंबे समय से सोचा है कि वातावरण काफी हद तक वैसा ही था जैसा अब है। जिसमें ज्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड है। वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल ग्रह का प्रारंभिक ग्रीनहाउस प्रभाव तब ही तक था जब तक कि वह अधिकांश वातावरण अंतरिक्ष में खो नहीं देता है।

यह भी पढ़ें 👉  विकास व उपचारात्मक कार्यों की प्रगति में तेजी लाएं अफसर : दीपक रावत

मंगल के वातावरण को लेकर अभी भी कई सवाल बाकी-मंगल का ऑर्बिटर्स और रोवर्स द्वारा कुछ किए गए अध्ययन से पता चलता है कि मंगल के तबके वातावरण से कई तथ आसानी से फिट नहीं बैठते हैं। क्योंकि तब सूर्य आज की तुलना में लगभग 30 फीसद कम गर्म था। इसके अलावा कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि घने कार्बन-डाइऑक्साइड वातावरण में भी लाखों वर्षों तक गर्म तापमान बनाए रखना आसान नहीं रहा होगा। मगर आणविक हाइड्रोजन की मौजूदगी से यह सत्य हो सकता है कि मंगल पर लंबे समय पानी रहा होगा।

यह भी पढ़ें 👉  एसएसबी प्रशिक्षण छात्रों को सेना में नेतृत्व  निभाने के लिए तैयार करेगी: प्रो. रावत

पृथ्वी के बनने से पहले का मंगल- नया अध्ययन मंगल के वायुमंडल के नए विकासवादी मॉडल और नासा के क्यूरियोसिटी रोवर के डेटा पर आधारित है। इससे पता चलता है कि घने कार्बन-डाइऑक्साइड वातावरण के बजाय मंगल का प्रारंभिक वातावरण मुख्य रूप से हाइड्रोजन का था। कार्बन डाइऑक्साइड की तरह हाइड्रोजन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है। इसकी उपस्थिति इस विरोधाभास को हल करने में मदद करेगी कि जब सूर्य 30% कम प्रकाश देता था । ये पहले मॉडल हैं जिनमें पिघली हुई अवस्था में मंगल के गठन से जुड़ी उच्च तापमान प्रक्रियाओं और पहले महासागरों और वायुमंडल को शामिल किया गया है। जिसके परिणाम स्वरूप पिघली हुई चट्टान से आने वाली प्राथमिक गैसें आणविक हाइड्रोजन और जल वाष्प का मिश्रण रही होंगी। जलवाष्प ने निचले वायुमंडल में बादलों का निर्माण किया होगा। जिस कारण हाइड्रोजन ऊपरी वायुमंडल का मुख्य घटक बन गया होगा। नासा का क्यूरियोसिटी रोवर इस निष्कर्ष की पुष्टि करता है। इस नए शोध का निष्कर्ष मंगल के वायुमंडल के नए विकासवादी मॉडल और नासा के क्यूरियोसिटी रोवर के डेटा पर आधारित हैं।

यह भी पढ़ें 👉  बालिकाओं द्वारा असुरक्षित स्थानों के चिन्हीकरण विषय में कार्यशाला आयोजित

स्रोत: मंगल ग्रह पर हाइड्रोस्फेरिक ड्यूटेरियम संवर्धन का एक प्रारंभिक वायुमंडलीय मूलस्रोत (प्रीप्रिंट): मंगल ग्रह पर हाइड्रोस्फेरिक ड्यूटेरियम संवर्धन का एक प्रारंभिक वायुमंडलीय मूलफोटो: इटिज़/विकिमीडिया कॉमन्स के माध्यम से छवि (सीसी बाय-एसए 3.0)।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
Continue Reading
You may also like...

More in नैनीताल

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING