नैनीताल
शनि ने अपने ही चांद को खंडित कर बना दिया छल्ला
सीएन, नैनीताल। शनि ने अपने ही चांद को खंडित कर छल्ला बना दिया सुंदर छल्लों को लेकर सौर मंडल में खास पहचान रखने वाला शनि ग्रह अपनी सुंदरता को बनाए रखने के लिए अपने उपग्रहों को भी सोख लेता है और उन्हें अपने छल्लों में शामिल कर लेता है। शोधकर्ताओ ने वायोजर 2 अंतरिक्ष यान की तस्वीरों से इसका खुलासा किया है। शनि के इस चंद्रमा का नाम क्रिसलिस है, जो माना जा रहा था कि कही लापता हो गया है। मगर अध्ययन के बाद पता चला कि वह खोया नहीं बल्कि शनि ने उसे तोड़कर अपने रिंग्स में मिला लिया है। गायब हुए उपग्रह क्रीलिस पर किया गया शोध पीयर-रिव्यू जर्नल साइंस के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। शनि का खोया हुआ चंद्रमा क्रिसलिस एमआईटी के जैक विजडम के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने इस सप्ताह अपने अध्ययन को पीयर-रिव्यू जर्नल साइंस में प्रकाशित किया। वायेजर 2 अंतरिक्ष यान ने शनि के साथ उसके छल्ले और कुछ चंद्रमाओं की सुंदर तस्वीरें 4 अगस्त 1981 को ली गई थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि शनि ने लगभग 100 मिलियन वर्ष पहले अपना वलय बनाने के लिए अपने ही चंद्रमा को तोड़ दिया था। वैज्ञानिक अब शनि के खोए हुए चंद्रमा को क्रिसलिस कहते हैं। विशाल छल्लों का अखंड साम्राज्य है शनि का शनि के विशाल छल्लों का अपना अखंड साम्राज्य है। शनि की उत्पत्ति करीब उतनी ही है, जितनी हमारे सौर मंडल की है। यानी करीब साढ़े चार अरब साल। शनि का 160 मिलियन वर्ष पहले एक बड़ा चंद्रमा टूट कर ग्रह का वलय बन गया था। उन्होंने इस खोए हुए चंद्रमा को क्रिसलिस नाम दिया। शनि चन्द्रमा को तोड़कर अपने वलय में बदलने की अपार शक्ति रखता है। शनि के छल्ले 100 मिलियन वर्ष पुराने2019 में वैज्ञानिकों की एक टीम ने शनि की रिंग्स पर शोध किया और निष्कर्ष निकाला कि शनि के छल्ले ग्रह के विपरीत यानी शनि की उत्पत्ति के बाद काफी समय बाद बने हैं। शनि संभवत: लगभग 4.5 अरब साल पहले सौर मंडल के साथ ही अस्तित्व में आया था, जबकि उसके छल्ले 100 मिलियन साल या उससे भी कम समय बने हैं। इसके बाद ताजा अध्ययन 2022 में सामने आया है, जो शनि के छल्लों का अध्ययन आगे ले जाता है, जो बताता है कि शनि की वलय प्रणाली एक चंद्रमा से आती है जो कभी शनि के तीसरे सबसे बड़े चंद्रमा इपेटस के आकार के बारे में था। उन्होंने अपने सिद्धांत में कहा कि चंद्रमा शनि के बहुत करीब आ गया है। यदि यह सत्य है तो शनि ने पूर्ववर्ती चंद्रमा के द्रव्यमान का 99% निगल लिया होगा। जबकि चंद्रमा का शेष पूर्व द्रव्यमान शनि के वलय बन गए। शनि के सबसे बड़े चांद टाइटन ने अस्थिर कियाशोधकर्ता टीम ने निष्कर्ष निकाला कि अरबों वर्षों से नेपच्यून और शनि एक अलग तरह की प्रतिक्रिया करते हैं। शनि के स्पिन अक्ष के झुकाव के कारण वह उपग्रहों को प्रभावित करने क्षमता रखता है। साथ ही शनि के चंद्रमा टाइटन की बाहरी गति ने शनि को अस्थिर कर दिया। जिस कारण उसका एक चंद्रमा खो गया और अपने अस्तित्व को खो बैठा।पृथ्वी से अधिक झुका है शनि शनि का झुकाव 26.7 अंश है, जो पृथ्वी से कुछ अधिक झुकाव लिए है। शनि के बड़े झुकाव का एक कारण नेपच्यून के साथ इसका पूर्वगामी प्रतिध्वनि रहा होगा। यह प्रतिध्वनि शनि के लिए एक छोटे से झुकाव को एक बड़े झुकाव में बदल देती, जबकि बुध और बृहस्पति का सौर मंडल के तल में लगभग कोई झुकाव नहीं है। श्रोत : अर्थ स्काई, इमेज : वायाइजर 2