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नैनीताल

रॉकेट में खराबी आ जाने के कारण फिर नहीं लॉन्च हो सका आर्टेमिस-1


सीएन, नैनीताल। नासा का बहुप्रतीक्षित मून मिशन आर्टेमिस 1 की उड़ान की प्रतीक्षा अभी बरकरार है। रॉकेट में खराबी आ जाने के कारण  शनिवार रात को लॉन्चिंग स्थगित करनी पड़ी। मून के जरिए मंगल पर जाने की इस महत्वाकांक्षी मिशन में नासा के साथ यूरोपीय स्पेस एजेंसी व जापान शामिल है। रॉकेट के इंजन में खामी के कारण पिछली  लॉन्चिंग  आगे बढ़ाना पड़ा है। 2016 से टलते जा रही लॉन्चिंगअमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के योजना के अनुसार  रॉकेट की लॉन्चिंग 2016 में होनी तय थी। इसके बाद 2017 में इसे लॉन्च करने की प्लानिंग तय की गई। मगर यह योजना भी धरातल पर नहीं लाई जा सकी। इसके बाद 2019  में लॉन्चिंग की तिथि भी कामयाब नही हो सकी। इसके बाद कोविड ने इस मिशन को दो साल आगे बड़ा दिया। 6 सप्ताह का है सफर ये लंबा सफर है 180 किमी का। बियाबान अंतरिक्ष में न कोई सहारा न कोई ठिकाना होगा। इसलिए हर तैयारी मुकम्मल होना बेहद जरूरी है। भले ही यह परीक्षण की उड़ान हो, लेकिन इस महत्वाकांक्षी मिशन की आगे की राह तय करेगी। नासा के अनुसार किसी भी तरह की खामी की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए हर तैयारी ठोक बजाकर की जा रही है। यह उड़ान कुल छह सप्ताह की होगी। जिसमें तीन डमी साथ होंगी। बहरहाल मौसम का अनुकूल होना भी बहुत जरूरी है,  जो लॉन्चिंग में  अड़चन पैदा कर सकता है।  प्रक्षेपण फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से होगा। मंगल का सफर वाया  मून से होकर जाएगाचन्द्रमा व मंगल दो ऐसे ग्रह हैं, जहा मानव का धरती के बाद दूसरा बसेरा हो सकता है। इस संभावना के साथ दुनिया के खगोलविद पिछले 50 सालों से निरंतर प्रयासरत हैं और इस दिशा में दर्जनों मिशन अभी तक चलाए गए हैं। जिनमें काफी हद सफलताएं मिली हैं। सफलताओं ने वाज्ञानिकों के हौंसले बुलंद किए हैं, अब नासा से इस दिशा में ऊंची छलांग लगाने जा रहा है। यह खगोल विज्ञान की उन्नति की नई उड़ान होगी। चंद्रमा को लेकर नासा के नए मिशन का नाम आर्टेमिस 3 है। नासा ने दो साल के आर्टेमिस कार्यक्रम की पहली परीक्षण उड़ान के लिए 29 अगस्त का दिन निर्धारित किया था और दुनिया के तमाम स्पेस एजेंसियों की नज़र इस मिशन पर टिकी हुई है। मगर मिशन को टालना पड़ा। मानव लैंडिंग होगी दो साल बाद के जिसके तहत 2025 में आर्मेटिस lll मिशन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ चंद्र-परिक्रमा उड़ान व  मानव चालक दल  द्वारा चंद्र लैंडिंग करेगा। यह वास्तव में बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है। चन्द्र लैंडिंग के लिए यूं तो पूरा चंद्रमा खाली पड़ा है, लेकिन उसी स्थान पर यान को उतारा जाएगा, जहा किसी तरह का कोई खतरा ना हो। भूमि समतल हो। वातावरण  अनुकूल हो और तकनीकी  दृष्टि से कोई खामी चंद्रभूमि में न हो। इन सब कारणों को ध्यान में रखते हुए फिलहाल संभावना जताई जा रही है कि तीसरी  लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आसपास होगी। जिसमें इंसान उतरेगा। लास्ट मिशन 2025 में पूरा होगा। 2949 अरब रुपए खर्च हो चुके हैं अभी तक नासा ऑफिस ऑफ द इंस्पेक्टर जनरल के एक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से 2025 तक इस प्रोजेक्ट पर 93 बिलियन डॉलर यानी 7,434 अरब रुपए का खर्चा आएगा। वहीं, हर फ्लाइट 4.1 बिलियन डॉलर यानी 327 अरब रुपए की पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट पर अब तक 37 बिलियन डॉलर यानी 2,949 अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं।बड़ती आबादी घटते संसाधनों ने मंगल की ओर जाने को किया मजबूरइसमें जरा भी संदेह नही कि पृथ्वी पर तेजी से बड़ती आबादी और मौजूद  सीमित संसाधनों ने मानव को दूसरे जहान की तलाश के लिए मजबूर कर दिया है और इस तलाश में सबसे पहली नजर चांद पर जाती है, जो हमारे सबसे करीब है। चांद तक पहुंचना हमारे लिए सबसे आसान है। जिस कारण पिछले कई दशकों से चांद की धरती पर निरंतर शोध जारी हैं। दुनिया की तमाम अंतरिक्ष स्पेस एजेंसियों के विज्ञानी इस दिशा अनुसंधान कर रहे हैं। जिनमें भारत भी पीछे नहीं। श्रोत-एरीज नैनीताल

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