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नैनीताल

मामूली सौर तूफान ने स्टारलिंक के दर्जनों सैटेलाइट को आसमान में धराशाई किया

सीएन, नैनीताल। छोटा सा सौर तूफान भी बड़ी तबाही मचा सकता है। लिहाजा वैज्ञानिकों ने चेताया है कि भू चुम्बकीय सौर तूफानों से सतर्क रहने की सख्त जरूरत है। स्पेस एक्स Starlink के 49 सैटलाइट की लंबी चेन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है । इसी वर्ष 4 फरवरी को मामूली सौर तूफान ने स्टारलिंक के दर्जनों सैटेलाइट को आसमान में धराशाई कर दिया। इस घटना में स्पेस एक्स को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इस घटना का शोध के बाद अब खुलासा हो पाया है। निकट भविष्य की बात करें तो अगले कुछ बरस सौर तूफान चरम पर रहने वाले हैं। क्योंकि सोलर मक्सिमम आगे बड़ रहा है। यानी सूर्य तेजी से सक्रिय हो रहा है। जिनसे सौर तूफान भी उतनी ही तेजी से पृथ्वी की दिशा में बड़ेंगे । जिनसे पृथ्वी के ऑर्बिट में विचरते सैटेलाइट इनका शिकार हो सकते हैं ।4 फरवरी के दिन हुई थी घटना,  आज हुआ खुलासा, तब विशेषज्ञ हुए थे हैरानचार फरवरी को Starlink के दर्जनों सैटेलाइट का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना एक बड़ी घटना थी। इस घटना के पीछे कारण जानना बेहद जरूरी था। इसका खुलासा करने के लिए चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस घटना को लेकर शोध किया। शोध से पता चला कि सौर तूफान ने इस भीषण घटना को जन्म दिया। दरसल 3 फरवरी को स्पेस एक्स ने स्टारलिंक कार्यक्रम के योजना के तहत दर्जनों सैटेलाइट लॉन्च किए। उसी दौरान एक सौर तुफान पृथ्वी की ओर बड़ रहा था। हालाकि यह तूफान बड़ा नही था। जिस कारण वैज्ञानिक भी अस्वस्त थे,  लेकिन सैटेलाइट का पाथ अधिक ऊंचाई पर नही होने के कारण 4 फरवरी को यह घटना घट गई।  4 फरवरी को हुई इस घटना से  विशेषज्ञ भी हैरान रह गए थे।स्पेस वेदर शोध पत्रिका में पेपर हुआ प्रकाशित शोध पत्रिका स्पेस वेदर में प्रकाशित शोध पेपर से इस घटना का खुलासा हो पाया। शोधकर्ताओं के अनुसार हालांकि यह केवल मामूली सौर तूफान था  तूफान ने पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 1200 गीगावाट ऊर्जा वाला था। चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक टोंग डांग बताते हैं कि “इस अतिरिक्त ऊर्जा ने पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल को गर्म कर दिया और उपग्रहों पर तेजी से वायुगतिकीय खिंचाव बढ़ा दिया।” स्पेसएक्स ने 3 फरवरी को केप कैनावेरल से उपग्रहों को लॉन्च किया था। फाल्कन 9 रॉकेट में (49) स्टारलिंक्स लॉन्च किए गए थे।सौर तूफान  30 जनवरी को सूर्य से निकला थायह सौर तूफान  30 जनवरी को सूर्य से निकल चुका था और Starlink असमान में  210 किमी की ऊंचाई पर थे।  600 किमी के करीब परिचालन ऊंचाई के लिए उनका पहला पड़ाव था। 210 किमी की ऊंचाई  को कम माना जाता है।  “TIEGCM” नामक भौतिकी-आधारित कंप्यूटर मॉडल के आधार पर  वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे ही भू-चुंबकीय ऊर्जा ने पृथ्वी के वायुमंडल को गर्म किया तो 210 किमी पर वायु घनत्व वैश्विक स्तर पर 20 फीसद बढ़ गया और “हॉट स्पॉट” 60% तक बढ़ गया।अब 320 किमी की ऊंचाई पर किए जाते हैं लॉन्च ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्पेसएक्स ने सैटेलाइट  210 किमी के बजाय 320 किमी तक लॉन्च करना शुरू कर दिया है। भू-चुंबकीय तूफान के दौरान उपग्रहों को वापस खींचने के लिए पृथ्वी के वायुमंडल को इतना ऊपर तक पहुंचना जरूरी है। चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से डांग के सह-लेखक जिउहौ लेई कहते हैं कि  320 किमी ऊंचाई भी पूरी तरह से सुरक्षित Credit: The Sociedad de Astronomia del Caribe.

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