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नैनीताल

ब्लैक होल का रहस्य: रेडियो जेट प्लाज्मा तंत्र की खोज

ब्लैक होल का रहस्य: रेडियो जेट प्लाज्मा तंत्र की खोज
सीएन, नैनीताल।
अनंत में फैले ब्रह्माण्ड के रहस्य भी अनंत है। जिनमें एक ब्लैक होल का रहस्य है। जिन्हे समझने के लिए खगोलविद् निरंतर प्रयासरत हैं। अब एक नई जानकारी सामने आई है ब्लैक होल से निकलने वाले जेट के बारे में। यह नई खोज है। जिसमें वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भविष्य में एक्स-रे खगोल विज्ञान ब्लैक होल से प्लाज्मा लोडिंग तंत्र को रेडियो जेट में उजागर कर पाने में सक्षम होंगे। ब्लैक होल का यह रहस्य लंबे समय से बना हुआ है। ब्लैक होल से निकलने वाला रेडियो जेट एक महाशक्ति है। यह तो पता था कि रेडियो जेट होते हैं, लेकिन इनके बनने के कारण का पता नही था। तोहोकू विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकीविदों को यह सफलता मिली है।
52 साल पहले हुई रेडियो जेट की खोज
ब्रह्माण्ड की आकाशगंगाएं अपने केंद्रों में सुपरमैसिव ब्लैक होल की मेजबानी करती हैं। इनका द्रव्यमान सूर्य से लाखों से अरबों गुना अधिक होता है। कुछ सुपरमैसिव ब्लैक होल तेजी से बढ़ने वाले प्लाज्मा बहिर्वाह का शुभारंभ करते हैं और मजबूत रेडियो संकेतों का उत्सर्जन करते हैं, जिन्हें रेडियो जेट के रूप में जाना जाता है। रेडियो जेट की खोज हुए करीब 52 साल हुए हैं। ब्रह्माण्ड की इस शक्ति जबसे पता चला है। तभी से इनके बारे में अधिक से जानकारी जुटानी शुरू हो गई। एक लंबा समय बीत जाने के बाद भी इस बारे में बहुत कुछ आज भी समझ से बाहर है। अर्थात इसके रहस्य आज भी बरकरार हैं। यह उत्पन्न कैसे होते हैं । खासकर उनसे निकलने वाली ऊर्जा का स्रोत कैसे पैदा होता है और प्लाज्मा किस तरह से उसमें पहुंचता है।
M 87 आकाशगंगा ब्लैक में किया गया शोध
वैज्ञानिकों ने इवेंट होराइजन टेलीस्कोप सहयोग से यह खोज की। ब्रह्माण्ड की आकाशगंगा M87 के केंद्र का अध्ययन किया गया। कई रेडियो तस्वीरें ली गई। तब जाकर एक निष्कर्ष तक पहुंचा गया। यह ब्लैक होल आकाशगंगा के लगभग बीच में है और स्पिन रेडियो जेट को शक्ति प्रदान करती है। जिससे पता चलता है कि प्लाज्मा लोडिंग तंत्र को स्पष्ट किया है।
ऐसी है यह अनोखी प्रक्रिया
हाल के अध्ययनों ने दावा किया है कि ब्लैक होल अत्यधिक चुम्बकित होते हैं क्योंकि आकाशगंगाओं के अंदर चुम्बकित प्लाज्मा चुंबकीय क्षेत्र को ब्लैक होल में ले जाता है। फिर पड़ोसी चुंबकीय ऊर्जा ब्लैक होल के आसपास के प्लाज्मा को सक्रिय करते हुए चुंबकीय पुन: संयोजन के माध्यम से अपनी ऊर्जा को क्षणिक रूप से मुक्त करती है। यह चुंबकीय पुन: संयोजन सौर ज्वालाओं के लिए ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है।
एक्स-रे डिटेक्टरों द्वारा देखे जा सकते हैं
सौर ज्वालाओं में प्लाज्मा पराबैंगनी किरणें और एक्स-रे देते हैं, जबकि ब्लैक होल के चारों ओर चुंबकीय पुन: संयोजन गामा-किरण उत्सर्जन का कारण बन सकता है क्योंकि प्रति प्लाज्मा कण जारी सौर ऊर्जा की तुलना में बहुत अधिक है। वर्तमान परिदृश्य का प्रस्ताव है कि उत्सर्जित गामा किरणें एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करती हैं और प्रचुर मात्रा में इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन जोड़े उत्पन्न करती हैं, जो रेडियो जेट में लोड होते हैं। आसपास के रेडियो जेट हमारे आकाशगंगा में सुपरमैसिव ब्लैक होल का रेडियो सुविधाओं द्वारा बहुत अधिक जानकारी नहीं हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि जब रेडियो जेट में प्लाज्मा भरने लगता है तो परिदृश्य अल्पकालिक एक्स-रे उत्सर्जन की भविष्यवाणी करता है। ये एक्स-रे सिग्नल वर्तमान एक्स-रे डिटेक्टरों से छूट जाते हैं, लेकिन वे नियोजित एक्स-रे डिटेक्टरों द्वारा देखे जा सकते हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
अध्ययन के प्रमुख लेखक शिगेओ किमुरा कहते हैं, “इस परिदृश्य के तहत, भविष्य के एक्स-रे खगोल विज्ञान प्लाज्मा लोडिंग तंत्र को रेडियो जेट में उजागर करने में सक्षम होंगे, जो ब्लैक होल का एक लंबे समय से रहस्य है। किमुरा और उनकी टीम के शोध का विवरण द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में 29 सितंबर 2022 को प्रकाशित किया है।
श्रोत: Phys.org
फोटो: तोहोकू विश्वविद्यालय

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