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नैनीताल

डूबते ग्रहण लगे सूर्य के बाद अब उगते चंद्रग्रहण के गजब का संजोग

सीएन, नैनीताल। ये संजोग निराला है और बड़ा ही दिलचस्प भी। एक सप्ताह पहले हमने सूर्यास्त के साथ ग्रहण लगे सूर्य को देखा और ठीक एक सप्ताह बाद ग्रहण लगे चंद्रमा को उगते हुए देखेंगे। यह संयोग है जब शाम का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। यह खगोलीय घटना आठ नवंबर की शाम को होने जा रहा है। इस घटना में ग्रहण लगा चंद्रमा भारत में उदय होगा। धार्मिक लिहाज से भले ही ग्रहण की घटना को शुभ नही माना गया है, लेकिन खगोल में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ग्रहण की घटनाएं खास होती हैं।

भारत में मात्र 45 मिनट का चंद्रग्रहणआठ नवंबर की शाम जब सूर्य अस्त हो रहा होगा तो उसी समय ग्रहण लगा चंद्रमा उदय हो रहा होगा। भारत में सिर्फ 45 मिनट ग्रहण की अवधि रहेगी। शाम 5.32 पांच बजकर बत्तीस बजे चंद्रमा पूर्व दिशा में दिखना शुरू हो जाएगा और 6.18 बजे तक ग्रहण लगा रहेगा। इस घटना को पूरब दिशा में देखा जा सकेगा। लेकिन देश के कुछ ही हिस्सों में इस घटना को देखा जा सकेगा। क्योंकि देश के ऐसे हिस्सों में, जहा चंद्रोदय देर से होगा, वहा तब तक चंद्रमा पृथ्वी की छाया से मुक्त हो चुका होगा।

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भारत के इन हिस्सों में देखा जा सकेगा आंशिक चंद्रग्रहण

भारत के पूर्वी हिस्सों में चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा। यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा। इसके अलावा कई ऐसे क्षेत्र होंगे, जहां चंद्रमा के अंतिम किनारे में ग्रहण लगेगा और कुछ ही क्षण में ग्रहण से छट जाएगा। अथार्थ लोगों को पता भी नहीं चल पाएगा कि कब ग्रहण लगा और कब खत्म हो गया। भारत में जिन क्षेत्रों में अधिक ग्रहण लगा चंद्रमा नजर आयेगा, उन क्षेत्रों में कोलकाता, गुवाहाटी, रांची, पटना और सिलीगुड़ी शामिल है। इन क्षेत्रों से भी आंशिक चंद्रग्रहण नजर आयेगा। इनके अलावा अन्य हिस्सों में मामूली ग्रहण लगेगा, जो पलक झपकते ही समाप्त हो जाएगा।

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क्यों लगता है ग्रहणचंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी के आ जाने से चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है। पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। ठीक इसके विपरित जब सूर्य व पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो तब सूर्यग्रहण होता है। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार यह सामान्य खगोलीय घटना है। हमारे सौर मंडल में सभी ग्रह, उपग्रह समेत सभी ऑब्जेक्ट अपने पाथ से गुजरते हैं, जिनमें कई बार ऐसा संयोग बनता है कि ये एक दूसरे के करीब आ जाते हैं या फिर दो ग्रहों के बीच या फिर सूर्य व ग्रह के बीच कोई एक ग्रह आ जाता है।

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अन्य ग्रहों में भी लगते रहते हैं ग्रहण(ट्रांजिट)जैसा कि हम बता चुके हैं कि ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है। अब देखिए पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह है और साल में कई बार चंद्र व सूर्य ग्रहण की घटना सामने आ जाती है। अब सोचिए हमारे सौरमंडल के बृहस्पति व शनि जैसे विशाल ग्रह हैं, जिनके दर्जनों चंद्रमा हैं, तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन ग्रहों पर कितनी ग्रहण की घटना होती होंगी। दूसरे ग्रहों पर लगने वाले ग्रहण और ट्रांजिट जैसी घटनाओं को दूरबीन के जरिए देखा जा सकता है

/श्रोत: प्रो आर सी कपूर व इंटरनेट।फोटो: नासा

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