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नैनीताल

इस बार बाजार में उपलब्ध होंगी पीरुल वह बिच्छू घास के रेशों से बनी राखियां

भीमताल  से रिक्कु की रिपोर्ट। इस बार रक्षाबंधन के त्यौहार में परंपरागत राखियों के अतिरिक्त कुछ अन्य विशेष प्रकार की राखियां भी दिखाई देंगी । यह राखियां पिरूल घास वह बिच्छू घास के रेशों से बनी होंगी । इन राखियों को बनाने का कार्य हल्द्वानी की विभिन्न महिला समूह की 30 महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है । इस संदर्भ में हल्दुचौड़ के डूंगरपुर ग्राम पंचायत भवन में प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ। प्रशिक्षण का शुभारंभ उप परियोजना निदेशक चंदा फर्त्याल ने किया। बाद में भीमताल में अपने कार्यालय में प्रेस से वार्ता करते हुए चंदा फर्त्याल ने अवगत कराया कि महिलाओं की आमदनी को बढ़ाने के लिए एनआरएलएम परियोजना के अंतर्गत समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस दौरान इन महिलाओं द्वारा तैयार राखियों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस राखी को बेचने के लिए विभ्भिन माल से संपर्क किया जा रहा है। इस संदर्भ में अवगत कराती हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों के रामगढ़ धारी और ओखलकांडा के पिरूल का उपयोग इन राखियों को बनाने में किया जाएगा। मालूम हो कि पर्वतीय क्षेत्रों में चीड़ के जंगल बहुत अधिक होने के कारण इसकी पत्तियां (पीरुल) भी काफी अधिक मात्रा में पाई जाती है। गर्मियों में इन पीरुल के कारण जंगलों में आग भी लग जाती है। वही पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली बिच्छू घास के रेशे भी काफी अधिक उपयोगी हैं। यह बिच्छू घास भी पर्वतीय क्षेत्रों में बहुत अधिक संख्या में उपलब्ध है। ऐसे में इन बिच्छू घास के रेशों का उपयोग कपड़े बनाने में भी किया जाता रहा है। इन राखियों को बनाने में नाबार्ड और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान भी विशेष सहयोग कर रहा है।

भीमताल। हमारा प्रयास इस बार बाजार में पिरूल की राखी वह बिच्छू घास के रेशों से बनी राखी को उपलब्ध कराने का है इसके लिए बाजार आदि की व्यवस्था भी कर ली गई है । चंदा फर्त्याल उप परियोजना निदेशक

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