नैनीताल
उत्तराखंड में हैं सर्वाधिक वन पर वानिकी विषय महाविद्यालयों में सम्मिलित नही
उत्तराखंड में हैं सर्वाधिक वन पर वानिकी विषय महाविद्यालयों में सम्मिलित नही
–वानिकी को हाई स्कूल से लेकर महाविद्यालयों में जरूरी विषय के रूप शामिल किया जाना जरूरी : प्रो. ललित तिवारी
सीएन, नैनीताल। उत्तराखंड में सर्वाधिक वन हैं पर वानिकी विषय महाविद्यालयों में सम्मिलित नही किया गया है। हरीश रावत सरकार ने इसकी घोषणा तो की पर यह लागू नही हुआ। वानिकी विषय को सरकारी महाविद्यालयों में सम्मिलित किये जाने को लेकर कुविवि डीएसए परिसर के वानिकी स्नातकोत्तर एवं पीएचडी उपाधि धारक छात्र-छात्राओं ने भी कई बार सरकार के संबंधित मंत्रियों को ज्ञापन सौंपे पर कोई कार्रवाई नही हुई। उनका कहना है कि वर्तमान में वानिकी विषय बहुत महत्वपूर्ण विषय है। देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग उत्तराखंड की नैसर्गिक सुंदरता का लुत्फ लेने के लिए पहुंचते हैं। राज्य के इस प्राकृतिक भंडार से पर्यटन तथा वनों पर आधारित उद्योगों के क्षेत्र में सरकारी राजस्व के साथ ही रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। वानिकी विषय को पृथक विषय के रूप में सभी सरकारी महाविद्यालयों के साथ ही सरकारी विद्यालयों में सम्मिलित किये जाने की मांग की है। उन्होंने वानिकी विषय को सरकारी महाविद्यालयों में सम्मिलित करने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव ला कर शीघ्र से शीघ्र शासनादेश जारी करने की मांग उच्च शिक्षा मंत्री से की। लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नही की गई है
सर्वाधिक वन के तमगे को बरकरार रखने को जरूरी है यह विषय : प्रो. तिवारी
नैनीताल। कूटा के अध्यक्ष व डीएसबी परिसर वनस्पति विज्ञान विभाग के प्राध्यापक प्रो. ललित तिवारी का कहना है उत्तराखंड में सर्वाधिक वन हैं पर वानिकी विषय महाविद्यालयों में सम्मिलित नही किया गया है। इस तमगे को बरकरार रखने के लिए आज वानिकी को हाई स्कूल से लेकर महाविद्यालयों में जरूरी विषय के रूप शामिल किया जाना चाहिए। राज्य के इस प्राकृतिक भंडार से पर्यटन तथा वनों पर आधारित उद्योगों के क्षेत्र में सरकारी राजस्व के साथ ही रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। वानिकी विषय को सरकारी महाविद्यालयों में सम्मिलित करने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव ला कर शीघ्र से शीघ्र शासनादेश जारी किया जाना चाहिए।