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नैनीताल

उत्तराखंड में चाय उत्पादन योजनाओं को पर्यटन से जोड़ने की कवायद

प्रदेश से उत्पादित होने वाली चाय की विश्व भर में हो चुकी पहचान
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
प्रदेश सरकार उत्तराखंड की चाय उत्पादन योजनाओं को पर्यटन सर्किट से जोड़ते हुये किसानों के हाथ मजबूत करने जा रही है। पर्यटकों को भी उत्तराखंड की चाय से रूबरू कराया जायेगा। योजना पटरी में आई तो प्रदेश में चाय योजना लाभकारी होगी वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा। इस सर्किट में चाय की खेती, दर्शनीय, धार्मिक, पौराणिक स्थलों का भी समावेश किया जायेगा। सरकार चाय बोर्ड के माध्यम से देश भर में जो चाय बागानांे के लिए जो मजदूरी निर्धारित है उसका भुगतान किया जा रहा है फिर भी मजदूरी बढ़ाये जाने पर भी विचार कर रही है। नैनीताल के श्यामखेत सहित कौसानी व अन्य चाय बागानों में यह कार्य प्रारंभिक रूप से शुरू भी कर दिये गये हैं। नैनीताल श्यामखेत चाय बागान में स्थापित फैक्ट्री से उत्पादित चाय को राष्ट्रीय राज मार्गों में छोटे-छोटे स्टाल लगा कर बिक्री करने पर भी उत्तराखंड चाय बोर्ड योजना तैयार कर रहा है। नैनीताल के श्यामखेत के चाय बागान, घोड़ाखाल गोलज्यू धाम, कैंची धाम, शीतलादेवी, हैड़ाखान धाम को जोड़ते हुये एक पर्यटन सर्किट का प्रस्ताव शासन को पूर्व में भेजा जा चुका है। जिसके तहत चाय बागानों के विकास के लिए पूरे प्रदेश में विस्तार करते हुए चाय की खेती से काश्तकारों को जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। उत्तराखंड से उत्पादित होने वाली चाय की विश्व भर में पहचान है। यहां उत्पादित होने वाली चाय के छोटे-छोटे बिक्री स्टाल राष्ट्रीय राजमार्गो पर लगाये जाने पर भी योजना बनाई जा रही है। ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को सुगमता से यहां की चाय उपलब्ध हो सके। मालूम हो कि चाय का उत्पादन जंगली जानवरों से सुरक्षित है तथा मुनाफे का सौदा भी है। इसलिए इस खेती का विस्तार वन पंचायतांे में भी किये जाने पर सरकार विचार कर रही है। चाय बोर्ड के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस व्यवसाय के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों की अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया जा सकता है। जिले में चाय बागानों को विकसित करने के लिए व्यापक स्तर पर नर्सरी तैयार की जा रही है। वर्तमान में विकास खण्ड रामगढ़ में 5.87 लाख पौध, धारी में 4.40 लाख और विकास खण्ड बेतालघाट में 17.63 लाख जनपद मे ंकुल 27.9 लाख चाय पौधों की नर्सरी के रखरखाव का कार्य किया जा रहा है। श्यामखेत चाय बागान में वर्तमान में 25 श्रमिक कार्य कर रहे है, जिसमें से 16 महिलायें है। चाय बागानों में आने वाले दिनों में चाय उत्पादन बढ़ने के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ाने पर शासन स्तर पर तैयारी की जा रही है। मालूम हो कि अंग्रेजी शासनकाल में कुमाऊं के कौसानी, भवाली, बेरीनाग, चैकोड़ी, भीमताल, लमगड़ा चाय उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र थे लेकिन आजादी के बाद बागान नष्ट होते गये। वर्ष 1994 के बाद पुनः चाय बागानों को पुर्नजीवित करने के प्रयास शुरू हुए। राज्य बनने के बाद इसमें तेजी आई।

नैनीताल जिले में 296.932 हेक्टेयर में चाय बागान विकसित
नैनीताल। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड द्वारा नैनीताल जनपद के घोड़ाखाल चाय डिवीजन में सरकार द्वारा वर्ष 1994-1995 से वर्ष 1999 तक सैनिक स्कूल से लीज पर ली गई भूमि पर चाय बागान विकसित करने की परियोजना की शुरूआत की गई थी। जिसमें घोडाखाल चाय बागान के अन्तर्गत 12 हेक्टेयर मंे चाय बागान विकसित किये गये। वर्ष 2000-2001 से वर्ष 2006-2007 तक राज्य सरकार द्वारा नैनीताल जनपद में परियोजना बंद कर दी गई थी। इसके पश्चात 2007 से जनपद में राज्य सरकार द्वारा पुनः चाय विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया गया। जिसके तहत बोर्ड द्वारा वर्तमान वर्ष मार्च 2017 तक नैनीताल जनपद के रामगढ़ विकास खंड में 42.83 हैक्टेयर, धारी विकास खंड में 68.776 हेक्टेयर तथा बेतालघाट विकास खण्ड में 11.921 हेक्टेयर कुल 128.52 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे बागान विकसित किए गए है। वर्तमान में रामगढ़ विकास खण्ड के श्यामखेत व निगलाट में 12.61 हेक्टेयर, नथुवाखान में 30.22 हेक्टेयर, विकास खंड धारी के पदमपुरी में 28.091 हेक्टेयर, सरना, गुनियालेख में 40.68 हेक्टेयर तथा विकास खंड बेतालघाट में 12.73 हेक्टेयर जनपद में कुल 124.33 हेक्टेयर चाय की खेती की जा रही है।

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उत्तराखंड में चाय उत्पादन को 25 स्थान चिन्हित
नैनीताल। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने अपने ताजा सर्वे में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में 25 स्थान चाय उत्पादन के लिए चिन्हित किये है। जिनमें शीघ्र ही योजनाएं काम शुरू कर देंगी। बोर्ड के अनुसार नैनीताल के बेतालघाट, धारी, ओखलकांडा, रामगढ़, पौड़ी के र्सिसू व पाबों, पिथौरागढ़ के बेरीनाग, मुनस्यारी व डीडीहाट, चम्पावत के लोहाघाट व पाटी, यद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनी, जखौली व ऊंखीमठ, अल्मोड़ा के चैखुटिया, धौलादेवी व ताकुला, बागेश्वर के गरूड़ व कपकोट, चमोली जनपद के गैरसैंण, कर्णप्रयाग, पोखरी व थराली शामिल है। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के अनुसार इन स्थानों में सर्वेक्षण में पाया गया कि इन स्थानों में पूर्व में भी चाय उत्पादित की

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