विधि
बनफूलपूरा : पट्टे पर दी गई कृषि भूमि पर भवन निर्माण क्यों हुआ : हाई कोर्ट
सीएन,नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में बनभूलपुरा के एक निवासी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने दलील दी कि अतिक्रमण हटाने से पहले अदालत में जवाब दाखिल करने के लिए उनके मुवक्किल को 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए था। बनभूलपुरा में अवैध ढांचों को ढहाने से आठ फरवरी को इलाके में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी और पुलिस एवं पत्रकारों सहित 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। खुर्शीद ने दलील दी कि चूंकि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा चुकी है और ऐसे में याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती, लेकिन उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि याचिकाकर्ता को नोटिस दिए जाने के चार दिन बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई, जबकि कानून के तहत उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए था। खुर्शीद ने याचिकाकर्ता सफिया मलिक की ओर से अदालत में वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बहस की। पुलिस के मुताबिक सफिया मलिक का पति अब्दुल मलिक हल्द्वानी हिंसा का मुख्य आरोपी है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि उस स्थल पर निर्माण कैसे किया जा सकता है जब विवादित संपत्ति सरकार ने कृषि भूमि के रूप में पट्टे पर दी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।