विधि
स्थायी लोक अदालत : पोस्ट ऑफिस, नैनीताल को 11,97,887 रुपये अदा करने के आदेश
स्थायी लोक अदालत : पोस्ट ऑफिस, नैनीताल को 11,97,887 रुपये अदा करने के आदेश
सीएन, नैनीताल। स्थायी लोक अदालत, नैनीताल में प्रस्तुत प्रार्थनापत्र में श्री नीरज साह द्वारा स्थायी लोक अदालत के समक्ष, विपक्षी पोस्ट ऑफिस, नैनीताल द्वारा पीपीएफ खाते की परिपक्वता पूर्ण होने पर धनराशि 11,97,887 रुपये, चैक द्वारा भुगतान करने एवं चैक पर विपक्षी के हस्ताक्षर न होने के कारण बैंक द्वारा भुगतान न किए जाने से क्षुब्ध हो कर स्थायी लोक अदालत के समक्ष एक प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया है। अध्यक्ष, स्थायी लोक अदालत, नैनीताल सुबीर कुमार एवं सदस्यगण अकरम परवेज और दर्शन सिंह की उपस्थिति में मामले का निस्तारण पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत एक सुलहनामा के आधार पर किया गया तथा विपक्षी की ओर से प्रस्तुत समझौतानामा में बताया गया है कि वादी एवं विपक्षी के मध्य आपसी समझौता हो गया है, जिसके अनुसार विपक्षी, वादी को पीपीएफ खाते की परिपक्वता धनराशि-11,97,887/-रुपये (ग्यारह लाख सत्तानवे हजार आठ सौ सतासी रुपये मात्र) अदा करेगा। समझौतेनामें पर आवेदक पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं। स्थायी लोक अदालत में लोग जन उपयोगी सेवाएं से सम्बन्धित अपनी जन उपयोगी शिकायत जैसे बीमा सेवा, दूरसंचार विद्युत, अस्पताल सेवा, जल सेवा, लोक सफाई, भू-सम्पदा, परिवहन सेवा, वित्तीय व बैंकिंग आदि जन उपयोगी सेवाओं से सम्बंधित मामले स्थायी लोक अदालत, नैनीताल में पेश कर सकते है। लोग अपनी जनउपयोगी सेवाओं की शिकायत का निवारण जल्दी व निःशुल्क करा सकते है। विधिनुसार स्थायी लोक अदालत का प्रयास आवेदनपत्र/प्रार्थनापत्र में वर्णित विवादित बिन्दुओं को सुलह एवं समझौते के अनुसार निस्तारण का रहेगा, जिसमें आवेदक/प्रार्थी/शिकायतकर्ता एवं विपक्षी/उत्तरदाता का सक्रिय सहयोग आवश्यक हैं। सुलह एवं समझौता न होने की दशा में वाद का निस्तारण साक्ष्य लेकर, गुण-दोष पर किया जायेगा।
जन उपयोगी सेवाओं के लिये स्थायी लोक अदालतों की हुई स्थापना
विधिक सेवा प्राधिकार ( संशोधन) अधिनियम, 2002 के द्वारा एक नया अध्याय जोड़कर जन उपयोगी सेवा को परिभाषित करते हुये वायु, थल, अथवा जल यातायात सेवा जिससे यात्री या समान ढोया जाता हो, डाक, तार, दूरभाष सेवा, किसी संस्थान द्वारा शक्ति, प्रकाश या जल का आम लोगों को की गयी आपूर्ति, जन संरक्षण या स्वास्थ्य से संबंधित प्रबंध, अस्पताल या औषधालय की सेवा तथा बीमा सेवा को इसमें शामिल किया गया है। इन जन उपयोगी सेवाओं से संबंधित मामलों के लिये स्थायी लोक अदालतों की स्थापना करने के लिये आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। जन उपयोगी सेवाओं के लिये स्थापित स्थायी लोक अदालतों को जन अपराधों के लिये क्षेत्राधिकार नहीं होता है, जिसमें मामले सुलह करने योग्य नहीं रहते तथा उन वादों में भी क्षेत्राधिकार नहीं होता जिसमें सम्पति दस लाख रूपये से अधिक की होती है। इन लोक अदालतों में आवेदन पडने पर प्रत्येक पक्ष को निदेश दिया जाता है कि वे लखित बयान दें। साथ ही उन आलेखों तथा साक्ष्यों को भी दें जिस पर वे आधारित होना चाहते हैं। इसके बाद लोक अदालत उभय पक्ष में सुलह करवाने की प्रक्रिया करता है। वह उभय पक्ष में सुलह करने के लिये शर्त भी तय करता है ताकि वे सुलह कर ले और सुलह होने पर वह एवार्ड देता है। यदि उभय पक्ष में सुलह नहीं होता है तो वह मामले का निष्पादन प्राकृतिक न्याय, कर्म विषयता, सबके लिये बराबर का व्यवहार, समानता तथा न्याय के अन्य सिद्धान्तों के आधार पर बहुमत से कर देता है। इस लोक अदालत का एवार्ड अन्तिम होता है तथा इसके संबंध में कोई मामला, वाद या इजराय में नहीं लिया जा सकता है। इस लोक अदालत में इससे संबंधित आवेदन के उपरान्त कोई भी पक्ष किसी अन्य न्यायालय में नहीं जा सकता है। लोक अदालत ली स्थापना 1987 हुई।