राष्ट्रीय
ब्रेकिग : नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग
केन्द्र सरकार की ओर से उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया
सीएन, नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, लक्ष्यद्वीप, लद्दाख में हिन्दू को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की है. केंद्र सरकार के मुताबिक, राज्य सरकार को हिन्दूओं को अल्पसंख्यक घोषित करने का अधिकार है. केंद्र सरकार ने कहा कि यह राज्य अपने स्तर पर अल्पसंख्यक वर्ग की पहचान के लिए दिशा-निर्देश दे सकते हैं. अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि यह केंद्र को अकूत शक्ति देती है जो साफ तौर पर मनमाना, अतार्किक और आहत करने वाला है. उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश तय करने के निर्देश देने की मांग की है. उनकी यह दलील है कि देश के कम से कम 10 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि राज्य सरकारें भी राज्य की सीमा में हिन्दू सहित धार्मिक और भाषाई समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं. अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल कर मांग की कि देश के कम से कम 10 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि हिंदू, यहूदी, बहाई धर्म के अनुयायी उक्त राज्यों में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना कर सकते हैं और उन्हें चला सकते हैं एवं राज्य के भीतर अल्पसंख्यक के रूप में उनकी पहचान से संबंधित मामलों पर राज्य स्तर पर विचार किया जा सकता है.