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भारत का रहस्यमयी किला जहां शाम होने के बाद कोई नहीं जाता, भूतिया किस्से हैं मशहूर

भारत का रहस्यमयी किला जहां शाम होने के बाद कोई नहीं जाता, भूतिया किस्से हैं मशहूर
सीएन, अलवर।
राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर है। यहाँ का किला बहुत प्रसिद्ध है जो भूतहा किला माना जाता है। इस किले को आमेर के राजा भगवंत दास ने 1583 में बनवाया था। भगवंत दास के छोटे बेटे और मुगल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल मानसिंह के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया। माधो सिंह के तीन बेटे थे,  सुजान सिंह, छत्र सिंह, तेज सिंह। माधो सिंह के बाद छत्र सिंह भानगढ़ का शासक हुआ। छत्र सिंह के बेटा अजब सिंह थे। यह भी शाही मनसबदार थे। अजब सिंह ने अपने नाम पर अजबगढ़ बसाये थे। अजब सिंह के बेटा काबिल सिंह और इनके बेटा जसवंत सिंह अजबगढ़ में रहे। अजब सिंह के बेटा हरी सिंह भानगढ़ की गद्दी पर बैठे। माधो सिंह के दो वंशज, हरी सिंह के बेटे, औरंगजेब के समय में मुसलमान हो गये थे। उन्हें भानगढ़ दे दिया गया था। मुगलों के कमजोर पड़ने पर महाराजा सवाई जय सिंह जी ने इन्हें मारकर भानगढ़ पर अपना अधिकार जमाया। भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर जिले में है। यह किला बेहद रहस्यमय और भूतिया है। किले को लेकर तमाम तरह की कहानियां प्रचलित हैं। भूतिया होने के बाद भी टूरिस्ट इस किले को देखने के लिए जा हैं। सूरज ढलने के बाद कोई भी टूरिस्ट भानगढ़ किले में नहीं जाता है। इसकी वजह है कि यह किला भूतिया किला है। यहां पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती हैं। निगेटिव एनर्जी के कारण को भी यात्री शाम होने के बाद यहां प्रवेश नहीं करता और न ही किले के अंदर घूमता है। आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी शाम को समय किले के भीतर प्रवेश को प्रतिबंधित कर रखा है। ऐसी भी मान्यता है कि इस जगह को एक ऋषि ने शाप दिया था। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर आप भानगढ़ के घरों की दीवारों के पास कान लगाएंगे तो आपको आत्माओं की आवाज सुनाई देगी।
अगर आप इस किले को घूमने के लिए जा रहे हैं तो सुबह 6 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक इसे घूम सकते हैं। यह किला अब खंडहर हो चुका है और इसे देखने के लिए काफी तादाद में टूरिस्ट पहुंचते हैं।

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