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मनमोहन सिंह की समाधि कहां बनेगी, कहां बनती है पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधि

मनमोहन सिंह की समाधि कहां बनेगी, कहां बनती है पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधि
सीएन, नई दिल्ली।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 की रात 9 बजकर 51 मिनट पर दिल्ली एम्स में निधन हो  गया  उनके निधन पर केंद्र सरकार ने 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है जिसके दौरान पूरे भारत में राष्ट्र ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा। मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे और 1991 से 1996 तक देश के वित्त मंत्री रहे थे। अब उनके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है। ऐसे में इस बात की चर्चा है कि उनकी समाधि कहां बनाई जाएगी। देश के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधि दिल्ली में बनायी गयी है हालांकि कुछ प्रधानमंत्रियों को इसके लिए दिल्ली में जगह नहीं मिली थी। दिल्ली में समाधि स्थल बनाए जाने के लिए कुछ विशिष्ट नियम और प्रक्रियाएं हैं, जो भारत सरकार द्वारा निर्धारित हैं। इनका पालन सुनिश्चित करता है कि केवल विशिष्ट श्रेणी के महान नेताओं और व्यक्तित्वों के लिए ही राष्ट्रीय महत्व का समाधि स्थल बनाया जाएगा।
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अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह की सादगी पर प्रकाश डालते हुए असीम अरुण ने बताया कि उनके पास सिर्फ एक कार थी और एक मामूली मारुति 800 थी। उत्तर प्रदेश के कन्नौज सदर से विधायक असीम अरुण ने गुरुवार रात 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में मनमोहन सिंह के निधन के एक दिन बाद अपनी यादें सोशल मीडिया पर साझा कीं। अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह की सादगी को दर्शाते हुए असीम अरुण ने कहा कि उनके पास सिर्फ एक कार थी। एक मामूली मारुति 800 जिसे वे बहुत संजो कर रखते थे। असीम अरुण ने एक्स पर लिखा मैंने 2004 से शुरू करके लगभग तीन साल तक उनके अंगरक्षक के रूप में काम किया। विशेष सुरक्षा समूह एसपीजी प्रधानमंत्री को सबसे करीबी सुरक्षा प्रदान करता है। मुझे करीबी सुरक्षा दल का नेतृत्व करने का अवसर मिला। करीबी सुरक्षा दल के सहायक महानिरीक्षक के रूप में मैं कभी भी प्रधानमंत्री से दूर नहीं रहा। अगर सिर्फ एक अंगरक्षक की अनुमति होती तो वह मैं होता। इसलिए मेरी जिम्मेदारी उनके साथ छाया की तरह रहना था। असीम अरुण ने मनमोहन सिंह की सादगी पर भी प्रकाश डाला उन्होंने कहा डॉ. सिंह के पास सिर्फ एक कार थी, मारुति 800 जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। वह अक्सर मुझसे कहते थे असीम मुझे इस कार में यात्रा करना पसंद नहीं है, मेरी गाड़ी यही मारुति है। मैं उन्हें कहता था कि यह कार आपकी विलासिता के लिए नहीं है, बल्कि इसमें वे सुरक्षा सुविधाएं हैं जो एसपीजी को चाहिए। हालांकि, जब भी काफिला मारुति के पास से गुजरता था, तो वह इसे हसरत भरी निगाहों से देखते थे मानो एक मध्यम वर्गीय व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान की पुष्टि कर रहे हों जो आम आदमी की परवाह करता है। महंगी कारें प्रधानमंत्री की थी, मेरी यह मारुति है।

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