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रतन टाटा के 15,000 करोड़ रुपये किसे मिलेंगे, मिसाल बन सकती है उनकी वसीयत
रतन टाटा के 15,000 करोड़ रुपये किसे मिलेंगे, मिसाल बन सकती है उनकी वसीयत
सीएन, मुबई। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का पिछले साल अक्टूबर में 86 साल की उम्र में निधन हो गया था। वह अपने पीछे करीब 15,000 करोड़ रुपये की संपति छोड़ गए हैं। लेकिन उनकी बनाई हुई संस्था रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन को लेकर थोड़ी उलझन है। उनकी बनाई हुई संस्था रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन को लेकर थोड़ी उलझन है। यह फाउंडेशन उनके निजी पैसों से चलाया जाएगा, जिससे समाज सेवा के काम होंगे। लेकिन फाउंडेशन के ट्रस्टी कौन चुनेगा, यह साफ नहीं है। दिवंगत रतन टाटा ने अपनी वसीयत में इस बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया है। टाटा ग्रुप से जुड़े लोग इसके लिए किसी निष्पक्ष व्यक्ति से मदद ले सकते हैं। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड चीफ जस्टिस को इस मामले में आर्बिट्रेटर बनाया जा सकता है। वही तय करेगा कि ट्रस्टी चुनने का अधिकार टाटा की वसीयत को लागू करवाने लोगोंए टाटा फैमिली या टाटा ट्रस्ट के सदस्यों में से किसके पास है। रतन टाटा ने समाज सेवा के लिए साल 2022 में दो संस्थाएं बनाई थीं जिन्हें उनकी पर्सनल वेल्थ से चलाया जाएगा। रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट शामिल हैं। इनमें से कंपनीज एक्ट 2013 की धारा 8 के तहत बनाई गई थी। देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में रतन टाटा की 0.83 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2024 के अनुसार रतन टाटा की कुल नेटवर्थ लगभग 7,900 करोड़ रुपये थी। सूत्रों के मुताबिक रतन टाटा की नेटवर्थ 15,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी। टाटा ग्रुप के अधिकारियों के मुताबिक टाटा चाहते थे कि फाउंडेशन टाटा ट्रस्ट से अलग रहे। टाटा ट्रस्ट के पास टाटा संस का 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। रतन टाटा अपनी ज्यादातर वेल्थ समाज सेवा में लगाना चाहते थे। माना जा रहा है कि उनकी ज्यादातर संपत्ति को फाउंडेशन मैनेज करेगा जबकि बाकी ट्रस्ट देखेगा। रतन टाटा के पास कई कारें थीं, जिनमें फेरारी और मसेराती भी शामिल हैं। इन कारों की नीलामी हो सकती है और इससे मिलने वाला पैसा फाउंडेशन को जाएगा। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को मैनेजिंग ट्रस्टी बनाने की इच्छा जाहिर की थी। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि फाउंडेशन के ट्रस्टी कौन नियुक्त करेगा। टाटा ने अपनी वसीयत के एग्जीक्यूटर्स के रूप में डेरियस खंबाटा, मेहली मिस्त्री, शिरीन और डायना जीजीभॉय को चुना था। सूत्रों का कहना है कि खंबाटा एक वरिष्ठ वकील हैं लेकिन साथ ही वह रतन टाटा की वसीयत के एग्जीक्यूटर भी हैं। इसलिए स्टेकहोल्डर्स किसी और सीनियर लीगल एक्सपर्ट से सलाह लेना चाहेंगे। जीजीभॉय बहनें रतन टाटा की सौतेली बहने हैं। रतन टाटा के करीब मिस्त्री सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड ट्रस्टी हैं। इस बारे में वसीयत के चारों एग्जीक्यूटर्स ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। वसीयत की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो जाने पर टाटा संस और ग्रुप की कंपनियों में रतन टाटा की हिस्सेदारी से काफी पैसा मिलेगा। रतन टाटा का 86 साल की उम्र में अक्टूबर 2024 में निधन हो गया था। रतन टाटा चाहते थे कि फाउंडेशन समाज सेवा के नए और जरूरी क्षेत्रों पर ध्यान दे। आधुनिक भारत के लिए जरूरी तकनीकों पर शोध को बढ़ावा दे और ऐसे काम करे जिससे समाज का भला हो। फिलहाल फाउंडेशन एक बोर्ड द्वारा संचालित संस्था है और अपने उद्देश्यों के अनुसार काम करती है।