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लोकसभा में पेश किया गया दिल्ली अध्यादेश बिलए हंगामे के बीच बहस शुरू

लोकसभा में पेश किया गया दिल्ली अध्यादेश बिलए हंगामे के बीच बहस शुरू
सीएन, नईदिल्ली।
संसद का मानसून सत्र मणिपुर मुद्दे की वजह से अब तक खासा हंगामेदार रहा है। आज भी हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा दोपहर दो बजे तक स्थगित रहे। अब कार्यवाही फिर शुरू हुई है और सरकार ने दिल्ली सेवा विधेयक लोकसभा में पेश किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जीएनसीटी (संशोधन) विधेयक 2023 पर बोलते हुए कहा कि ‘संविधान ने सदन को दिल्ली राज्य के संबंध में कोई भी कानून पारित करने की शक्ति दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि संसद दिल्ली राज्य के संबंध में कोई भी कानून ला सकती है। सभी आपत्तियां राजनीतिक हैं। कृपया मुझे यह विधेयक लाने की अनुमति दें। विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया है। जिसके बाद तीन बजे तक लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। ऐसे में चर्चा है कि लोकसभा और राज्यसभा में एक बार फिर से हंगामा हो सकता है। सबसे पहले इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया है, जहां सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रचंड बहुमत में है। दिल्ली की सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से इस बिल का विरोध किया है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने भी ऐलान किया है कि वे इस बिल के विरोध में हैं। जिस अध्यादेश को संसद में पेश किया है वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन करना चाहता है। इससे पहले, राष्ट्रपति ने इस साल 19 मई को विवादास्पद अध्यादेश जारी किया था, इससे दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। प्रस्तावित विधेयक उस अध्यादेश की जगह लेगा, इसके लिए संसद में वोटिंग होनी है। दिल्ली सरकार इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही है और कह रही है कि यह उसके अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति पर निर्णय लेने की उसकी शक्तियों को बाधित करता है। दिल्ली सर्विस बिल को लोकसभा में पेश कर दिया गया है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बिल को पेश किया। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि दिल्ली सर्विस बिल विधायक संविधान के खिलाफ है। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने की कोशिश कर रही है। दिल्ली सरकार के कार्यों में केंद्र सरकार हस्तक्षेप करना चाहती है। वो इस फैसले को निष्क्रिय करने का प्रयास कर रहे हैं। यह बिल संघीय ढांचे पर चोट है।

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