राजनीति
निकाय चुनाव : ऐतिहासिक नैनीताल पालिका के लिए क्या जनता चुनेगी दमदार अध्यक्ष
ऐतिहासिक नैनीताल पालिका के लिए क्या जनता चुनेगी दमदार अध्यक्ष
नैनीताल में पहले भारतीय चेयरमैन रहे जशौद सिंह बिष्ट का कार्यकाल शानदार
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। अंग्रेजी शासनकाल में कोलकाता के बाद उत्तराखंड में मसूरी के बाद नैनीताल को पालिका का दर्जा दिया गया। वर्ष 1842 में मसूरी को नगर पालिका बनाया गया। वर्ष 1845 में नैनीताल को नगरपालिका का दर्जा दिया गया। नैनीताल पालिका का गौरवशाली इतिहास रहा है। खास बात यह है कि नैनीताल अपने 90 वर्षों यानि 1934 तक नैनीताल पालिका के पालिका के पदेन चेयरमैन तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर ही रहे। 1934 में ब्रिटिश नागरिक आरसी बुशर पहले मनोनीत चेयरमैन बने। वह 1941 तक इस पद पर रहे। 1935 में बुशर के छह माह अवकाश पर रहने के दौरान पालिका के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहन लाल साह ने चैयरमैन का कार्यभार ग्रहण किया। जब आजादी की लड़ाई तेज हुई तो अंग्रेजी शासनकाल में 1941 में नगर के वरिष्ठ नागरिक जशौद सिंह बिष्ट को नैनीताल का पहला भारतीय चैयरमैन बनाया गया। उनका कार्यकाल 1953 तक रहा। ऐसे गौरवशाली नैनीताल पालिका के लिए एक बार फिर चुनाव हो रहे हैं। इस गौरवशाली परंपरा को जिंदा रखने के लिए नैनीताल की जनता को एक बार फिर मौका मिल रहा है। सवाल उठता है कि जनता कैसा अध्यक्ष चुनती है। वक्त के साथ ऐतिहासिक नगरी की समस्याएं भी बढ़ी है। नये अध्यक्ष के लिए चुनौती भरा कार्यकाल होगा। वहीं गौरवशाली इतिहास को सजोने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी।
इतिहासकारों के मुताबिक जशौद सिंह बिष्ट का कार्यकाल नैनीताल का सबसे गौरवशाली कार्यकाल माना जाता है। पालिका के वन कानून व अन्य कानून उनके ही कार्यकाल में बने। जशौद सिंह बिष्ट के सबंध में कहा जाता है कि माल रोड में वाहन प्रतिबंध होने के बावजूद जवाहर लाल नेहरू द्वारा वाहन लाये जाने पर चेयरमैन ने उन पर जुर्माना लगा दिया। उनके इस अनुशासनात्मक व्यवहार के नेहरू बेहद कायल हो गये। अंग्रेजी शासनकाल तक नैनीताल में तीन नागरिक सभासद व दो सरकारी कर्मचारी मनोनित सभासद होते थे। नैनीताल में 1953 तक जशौद सिंह बिष्ट, 1953 से 1964 तक मनोहर लाल साह पालिका के चेयरमैन बने। स्व. साह भी अपने अनुशासन के लिए काफी प्रसिद्ध रहे। उनके कार्यकाल में भारतीयों की सुविधाओं को देखते हुए पालिका के कई नियम बनाये गये। नगर हित में अंग्रेजों के द्वारा बनाये गये नियमों का सख्ती से पालन किया गया। इसके बाद 1964 से 1971 तक बालकृष्ण सनवाल, 1971 से 1977 तक किशन सिंह तड़ागी चैयरमैन बने। यह दोनों ही बाद में कांग्रेस के विधायक भी बने। 1977 से 1988 तक पालिकाओं में प्रशासकों का कब्जा रहा। बताया जाता है कि इस दौरान झील विकास प्राधिकरण का गइन होने के बाद नैनीताल में अंधाधुंध भवनों का निर्माण कर नगर को बर्बादी के कगार पर ला दिया गया। जो आज भी यथावत जारी है। नैनीताल में 1988 से 1994 तक अधिवक्ता राम सिंह रावत पालिका के चैयरमैन बने। उन्हें भी कठोर अनुशासन वाला चेयरमैन बनने का गौरव हासिल है। उनके बाद 1997 तक नैनीताल पालिका फिर प्रशासकों के अधीन रही। 1998 से 2003 तक संजय कुमार पालिका के अध्यक्ष बने। 2003 से 2008 तक कांग्रेस की सरिता आर्य चेयरमैन बनी। जो बाद में कांग्रेस की विधायक भी चुनी गई। 2008 से 2013 तक मुकेश जोशी चेयरमैन बने। 2013 से 2018 तक उक्रांद नेता श्याम नारायण चेयरमैन रहे। 2018 से 2023 तक कांग्रेस के सचिन नेगी चेयरमैन रहे। अब 23 जनवरी को नये चेयरमैन का चुनाव होगा। इस बार सामान्य महिला सीट होने पर 6 महिलाएं चुनाव मैदान में हैं। नैनीताल के गौरवशाली इतिहास को लौटाने के लिए दमदार अध्यक्ष की आज जरूरत महसूस की जा रही है। नगर पालिका नैनीताल में 15 वार्ड, 20 मतदान केन्द्र तथा 32 मतदान स्थलों में 25484 मतदाताओं की संख्या है।
पालिका के माध्यम से अंग्रेजों ने नैनीताल को बनाया छोटी विलायत
नैनीताल। अंग्रेजी शासनकाल में कोलकाता के बाद उत्तराखंड में मसूरी के बाद नैनीताल को पालिका का दर्जा दिया गया। वर्ष 1842 में मसूरी को नगर पालिका बनाया गया। वर्ष 1845 में नैनीताल को नगरपालिका का दर्जा दिया गया। नैनीताल पालिका का गौरवशाली इतिहास रहा है। बताया जाता है कि नैनीताल नगरपालिका के नियम ब्रिटेन की तरह बनाये गये। लिहाजा नैनीताल की खूबसूरती को बिना छेड़े यहां ऐसा माडल शहर बनाया गया कि कालान्तर में नैनीताल को छोटी बिलायत के नाम से जाना जाने लगा। यहां बनाये गये नियम कई पालिकाओं में भी लागू किये गये। खास बात यह है कि नैनीताल अपने 90 वर्षों यानी 1934 तक नैनीताल पालिका के पालिका के पदेन चेयरमैन तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर ही रहे। 1934 में ब्रिटिश नागरिक आरसी बुशर पहले मनोनीत चेयरमैन बने। वह 1941 तक इस पद पर रहे। 1935 में वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहन लाल साह ने छह माह के लिए चैयरमैन का कार्यभार ग्रहण किया। अंग्रेजी शासनकाल में 1941 में नगर के वरिष्ठ नागरिक जशौद सिंह बिष्ट को नैनीताल का पहला भारतीय चैयरमैन बनाया गया। वक्त के साथ ऐतिहासिक नगरी की समस्याएं भी बढ़ी है। नये अध्यक्ष के लिए चुनौती भरा कार्यकाल होगा। वहीं गौरवशाली इतिहास को सजोने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी।