नैनीताल
छावनी के चुनाव स्थगित कर दिये जाने से उम्मीद्वारों को लगा बड़ा झटका
छावनी के चुनाव स्थगित कर दिये जाने से उम्मीद्वारों को लगा बड़ा झटका
सीएन, देहरादून। देश भर में छावनी परिषद के चुनाव 30 अप्रैल 2023 कराने की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही चुनाव लड़ने के दावेदारों ने अपना प्रचार शुरू कर दिया था। लेकिन पूरे देश में छावनी के चुनाव स्थगित कर दिये जाने से उम्मीद्वारों को बड़ा झटका लगा है। छावनी परिषद में चुनाव के लिए 17 फरवरी को राष्ट्रपति कार्यालय से निर्देश जारी किए गए थे। दूसरी ओर चुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया गया। 29 मार्च को नामांकन और 30 अप्रैल को छावनी परिषद की आठ सीटों के लिए मतदान होना था। अपने क्षेत्र में चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशी सक्रिय हो गए। जनसमर्थन के लिए कई नए तो कुछ पुराने नेता घर-घर जा रहे थे। साथ ही पुराने सदस्यों के घर- दफ्तरों में बैठकों को सिलसिला शुरू हो गया। जैसे ही सूचना मिली कि चुनाव स्थगित हो गए हैं, सन्नाटा पसर गया। उत्तराखंड में तो कांग्रेस सारी छावनी परिषद में प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुकी थी। वहीं आम आदमी पार्टी भी चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर बैठकों का सिलसिला आरंभ कर चुकी थी। यही नहीं छावनी क्षेत्र में उच्च शिक्षित लोगों के चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान करने का सिलसिला शुरू हो चुका था। इस बीच खबर आई कि रक्षा मंत्रालय ने छावनी परिषदों के चुनाव स्थगित कर दिए हैं। उत्तराखंड में नौ कैंट बोर्ड हैं। उत्तराखंड में तो कांग्रेस सारी छावनी परिषद में प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुकी थी। वहीं आम आदमी पार्टी भी चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर बैठकों का सिलसिला आरंभ कर चुकी थी। यही नहीं, छावनी क्षेत्र में उच्च शिक्षित लोगों के चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान करने का सिलसिला शुरू हो चुका था। इस बीच खबर आई कि रक्षा मंत्रालय ने छावनी परिषदों के चुनाव स्थगित कर दिए हैं। उत्तराखंड में नौ कैंट बोर्ड हैं। छावनी परिषद में सभासद बनने की उम्मीद संजोए जनप्रतिनिधियों को बड़ा झटका लगा है। यहां पिछले एक साल से विकास की बागडोर वैरी बोर्ड के हाथ है। चुनाव रद होने के कारण अभी यही व्यवस्था चलती रहेगी। दरअसल, कैंट बोर्डों का कार्यकाल पांच साल का होता है। यह कार्यकाल फरवरी 2020 में पूरा हो गया था, लेकिन चुनाव न होने के कारण निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल दो बार, छह-छह माह के लिए बढ़ाया गया। वहीं, बीते साल फरवरी में वैरी बोर्ड अस्तित्व में आ गया। बीती दस फरवरी को वैरी बोर्ड को एक साल पूरा हो चुका है। इस बीच रक्षा मंत्रालय ने वैरी बोर्ड को तीसरी बार एक्सटेंशन दिया था, पर फिर एकाएक चुनाव की घोषणा कर दी। वैरी बोर्ड में जनता की नुमाइंदगी नाममात्र की है। ऐसे में जनता से जुड़ी समस्याओं की प्रभावी पैरवी बोर्ड के समक्ष ठीक ढंग से नहीं हो पाती है। चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सभी छावनी क्षेत्रों में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई थी। अभी तक चुनाव लड़ते आए जनप्रतिनिधियों समेत कई अन्य लोग ने भी जनता के साथ संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया था। निकट भविष्य में अपनी दावेदारी को लेकर आश्वस्त दिख रहे नेताओं ने प्रचार-प्रसार के नाम पर अच्छी खासी धनराशि भी खर्च करनी शुरू कर दी थी। चुनाव रद होने से उनकी उम्मीद पर पानी फिर गया है। दरअसल, पिछले एक माह से कैंट चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा था। मतदाता सूची को भी लगभग तैयार कर लिया गया था। इसी बीच रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में संयुक्त सचिव राकेश मित्तल ने चुनाव रद्द करने का आदेश जारी किया है। छावनी परिषद देहरादून के सीईओ ने चुनाव स्थगित होने की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि मतदाता सूची को लेकर आ रही आपत्तियों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है।