राजनीति
यही मार्च है जब केंद्र सरकार ने समूची शक्ति व साधन लगाकर दल-बदल करवाया और कांग्रेस सरकार गिरा दी : हरीश रावत
सीएन, देहरादून। मार्च का महीना आते ही मेरा मन, मस्तिष्क बहुत उद्वलित हो जाता है। मैं अपने आपको बहुत समझाने का प्रयास करता हूं। इस मार्च के महीने में ऐसा क्या है? 2016 में उत्तराखंड की विधानसभा में कुछ ऐसा राजनीतिक घटनाक्रम घटित हुआ जिसके चलते मेरी सारी योजनाएं और राज्य के लिए बनाया गया विकास व जनकल्याण का रोड मैप गड़बड़ा गया। विधानसभा के बजट सत्र में दल-बदल, साधारण दल-बदल नहीं था। केंद्र सरकार ने समूची शक्ति लगा दी और साधन भी लगाकर दल-बदल करवाया। आप दल-बदल करने वालों के चेहरे पर नजर डालिए तो आपको दल-बदल की गंभीरता स्पष्ट हो जाएगी। जिन लोगों को कांग्रेस ने उनकी सेवा से कई गुना ज्यादा दिया, उन्हीं लोगों ने पार्टी और पार्टी कार्यकर्ताओं के विश्वास पर चोट पहुंचाई। इस पर भी उन्हें सफलता नहीं मिली तो एक प्रायोजित स्टिंग का सहारा लेकर सरकार को बर्खास्त कर दिया अनन्तोगत्वा न्याय जीता, न्याय हमारे पक्ष में हुआ पर अन्याय की शक्ति ने हमारा बजट गड़बड़ा दिया। 4 महीने, विधानसभा द्वारा पारित विनियोग विधेयक को मैं कभी राज्यपाल भवन में खोजता था तो कभी राष्ट्रपति भवन में, कभी गृह मंत्रालय में खोजता था तो कभी विधि मंत्रालय में अनन्तोगत्वा विधानसभा को दूसरा एक नया इतिहास बनाना पड़ा। फिर से बजट और विनियोग विधेयक पारित करना पड़ा। कभी मैं सोचता हूं कि उस स्टिंग में ऐसा क्या नया है ?? जिस स्टिंग के बलबूते पर भाजपा के प्रचार तंत्र ने ऐसा कोहराम खड़ा कर दिया, जैसे मैंने कोई ऐसा महापाप कर डाला है, जो अभी तक नहीं हुआ है या नहीं हो रहा है। मेरी लगभग 48 वर्ष की उत्तराखंड की राजनीतिक और सामाजिक सेवा को लोगों ने भूल कर एक कुख्यात स्टिंग बाज पर भरोसा कर लिया और ऐसे समय में हमारे हाथ से अवसर छीन लिया। जब हम गैरसैंण को 2022 तक राज्य की राजधानी बनाने के लिए प्रतिबद्ध थे। एक दिशा में चरणबद्ध तरीके से काम कर रहे थे। जब हम 2020 तक 9 नये प्रशासनिक जिले और बनाकर प्रशासनिक विकेंद्रीकरण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध थे। विकसित उत्तराखंड के नक्शे को सामने रखकर हम वचनबद्ध थे कि 2024 में राज्य के न्यूनतम् प्रति व्यक्ति औसत आय को हम साढ़े चार लाख से ₹5 लाख तक पहुंचेंगे। जिस समय हम सैकड़ों पहलुओं के साथ राज्य में हो रहे बेबशी के पलायन और बढ़ती बेरोजगारी रोकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे थे। जिस समय हम शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा और चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में एक कई अभिनव पहलुओं के साथ आगे बढ़ रहे थे। उस समय हमारे हाथ से पहल छिन ली गई।
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