जन मुद्दे
बड़ा फैसला : एक ही दिन में 19 अफसरों की नौकरी साफ
अब रेलवे में नहीं रह पाएंगे भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारी एवं कर्मचारी
सीएन, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में अब कामजोर, लापरवाह और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी एवं कर्मचारी नौकरी नहीं कर पाएंगे। इनकी सफाई भी रेल मंत्रालय ने शुरू कर दी है। एक ही दिन में रेल मंत्रालय ने देशभर से 19 अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया। इसमें 10 ज्वाइंट सेके्रटरी (जेएस) स्तर के टॉप अधिकारी हैं। इनके खिलाफ कई तरह के आरोप, जांच एवं विजलेंस कार्रवाई चल रही थी। भारतीय रेलवे के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा,जब एक दिन में इतने बड़े स्तर पर अधिकारियों को नौकरी से निकाला गया होगा। ये सभी कर्मचारी अलग-अलग प्रोडक्शन यूनिटों, क्षेत्रीय रेलवे, उपक्रम से जुड़े हैं। इसके अलावा 11 महीने में देशभर से 77 टॉप अधिकारियों को जबरन रिटारयमेंट कर दिया गया। इसमें 1 महाप्रबंधक, 2 सेक्रेटरी (बोर्ड सदस्य) शामिल हैं। नौकरी से जबरन घर भेजने की कार्रवाई जुलाई 2021 से लेकर मई 2022 तक के बीच की है। रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इन 77 अधिकारियों को दक्षता में कमी एवं भ्रष्टाचार आदि अन्य कारणों से पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देकर घर भेजा जा चुका है। अगले महीने यानि जून में दो और अधिकारियों को वीआरएस दिया जाएगा। रेल मंत्रालय में हुई इस कार्रवाई को लेकर में प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। केन्द्र सरकार के किसी भी विभाग में अब तक इतनी बड़े पैमाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई इससे पहले कभी नहीं हुई है। इन्हें अगस्त 2020 में अद्यतन की गयी केन्द्रीय कार्मिक नियमावली के नियम 56 जे के तहत जबरिया वीआरएस देकर सेवा मुक्त किया गया है। अब तक सेवामुक्त होने वाले अधिकारियों में एक रेल कोच फैक्टरी के महाप्रबंधक और दो सचिव यानी रेलवे बोर्ड के सदस्य भी शामिल हैं। आज घर वापसी करने वाले अधिकारियों में दस से अधिक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं। इनमें से इलैक्ट्रिकल एवं सिगनलिंग के चार-चार, मेडिकल एवं सिविल के तीन-तीन, कार्मिक के दो, भंडारण, यातायात एवं मैकेनिकल के एक-एक अधिकारी शामिल हैं। बता दें कि पूर्व नौकरशाह से रेलमंत्री बने अश्विनी वैष्णव के रेल मंत्रालय में चार्ज संभालने के बाद ही निकम्मे अफसरों पर तलवार लटक गई थी। मंत्री ने स्पष्ट रूप से पूरे रेलवे सिस्टम को चेतावनी दे दी थी कि अब रेलवे में वही रह पाएगा, जो जिम्मेदारी से अपना काम करेगा। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जबरन रिटायर किए गए अफसरों में जुलाई 2021 में नौ, अगस्त में 6, सितंबर में 7, अक्टूबर में 7, नवंबर में 9, दिसंबर में छह, जनवरी 2022 में 11, फरवरी में 8, मार्च में 7, अप्रैल में 5 और मई में तीन अधिकारियों को जबरिया वीआरएस दी गयी है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे बोर्ड की एक तीन सदस्यीय समिति ने कार्मिक विभाग की नियमावली (56 जे) के अंतर्गत सभी अधिकारियों के प्रदर्शन की समीक्षा की है और इन लोगों को कार्यप्रणाली में बाधा के रूप में पाया गया। इनमें से कइयों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों को लेकर जांच भी की गई है। सूत्रों ने कहा कि इस कार्रवाई के जरिये सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों को संदेश गया है कि उन्हें अपने कामकाज में दक्षता लानी होगी और परिणाम देने होंगे।