अंतरराष्ट्रीय
अल नीनो मचा सकता है भीषण तबाही, 1.5 से. तक बढ़ सकता है दुनिया का तापमान, जारी हुआ अलर्ट
2024 में एक नया वैश्विक तापमान रिकॉर्ड स्थापित करने की अधिक संभावना
सीएन, नईदिल्ली। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव दुनिया भर में देखने को मिल रहे हैं। इसके कारण विश्वभर का तापमान बढ़ा है। दुनिया के तापमान को लेकर वैज्ञानिकों ने फिर अलर्ट जारी किया है। अब अनुमानित अल नीनो के प्रभाव को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इस साल के अंत में अल नीनो जलवायु घटना की वापसी के कारण वैश्विक तापमान बढ़ जाएगा और भीषण हीटवेव पैदा करेगा। शुरुआती पूर्वानुमान बताते हैं कि अल नीनो 2023 के बाद फिर वापस आएगा और यह दुनिया भर में तापमान बढ़ा देगा। न्यूज एजेंसी द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ‘अल नीनो’ के कारण बहुत संभावना बन जाएगी कि दुनिया 1.5 से. की वार्मिंग को पार कर जाए। अल नीनो का प्रभाव 2016 में भी देखने को मिला था। अल नीनो के कारण ही 2016 इतिहास में दर्ज सबसे गर्म वर्ष था। उस साल अल नीनो के कारण भीषण गर्मी पड़ी थी। जिसके बाद एक बार फिर वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है। अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है. यह प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के तापमान और हवाओं द्वारा संचालित एक प्राकृतिक दोलन का हिस्सा है। अल नीनो, इसके समकक्ष शीत अवस्था ला नीना और तटस्थ स्थितियों के बीच स्विच करता है। पिछले तीन वर्षों में लगातार ला नीना की घटनाओं का असामान्य क्रम देखा गया है। इस वर्ष यानी 2023 पहले से ही 2022 से अधिक गर्म होने का अनुमान है। अल नीनो उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों के दौरान होता है और इसके ताप प्रभाव को महसूस करने में महीनों लगते हैं। जिसका अर्थ है कि 2024 में एक नया वैश्विक तापमान रिकॉर्ड स्थापित करने की अधिक संभावना है। मानव गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों ने औसत वैश्विक तापमान को आज तक लगभग 1.2 से. तक बढ़ा दिया है। इसने पहले ही दुनिया भर में भयावह प्रभाव डाला है। पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ के कारण अमेरिका और यूरोप में भीषण गर्मी से लेकर पाकिस्तान और नाइजीरिया में विनाशकारी बाढ़ तक, लाखों लोगों को नुकसान हो रहा है। यूके मेट ऑफिस के प्रो एडम स्काइफ़ ने कहा, “यह बहुत संभावना है कि अगला बड़ा अल नीनो तापमान को 1.5 से. से अधिक ले जा सकता है। हालांकि संभावित अल नीनो का पैमाना अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2024 में अल नीनो के कारण भीषण गर्मी पड़ सकती है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि अल नीनो को लेकर जून तक तस्वीर साफ हो जएगी।
प्रशांत महासागर से पश्चिम की ओर बहने वाली गर्म जलधारा है अल नीनो
सामान्यतः व्यापारिक पवन समुद्र के गर्म सतही जल को दक्षिण अमेरिकी तट से दूर ऑस्ट्रेलिया एवं फिलीपींस की ओर धकेलते हुए प्रशांत महासागर के किनारे-किनारे पश्चिम की ओर बहती है। एल नीञो गर्म जलधारा है जिसके आगमन पर सागरीय जल का तापमान सामान्य से 3-4° बढ़ जाता है। पेरू के तट के पास जल ठंडा होता है एवं पोषक-तत्वों से समृद्ध होता है जो कि प्राथमिक उत्पादकों, विविध समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों एवं प्रमुख मछलियों को जीवन प्रदान करता है। एल नीञो के दौरान, व्यापारिक पवनें मध्य एवं पश्चिमी प्रशांत महासागर में शांत होती है। इससे गर्म जल को सतह पर जमा होने में मदद मिलती है जिसके कारण ठंडे जल के जमाव के कारण पैदा हुए पोषक तत्वों को नीचे खिसकना पड़ता है और प्लवक जीवों एवं अन्य जलीय जीवों जैसे मछलियों का नाश होता है तथा अनेक समुद्री पक्षियों को भोजन की कमी होती है। इसे एल नीञो प्रभाव कहा जाता है जो कि विश्वव्यापी मौसम पद्धतियों के विनाशकारी व्यवधानों के लिए जिम्मेदार है। एक बार शुरू होने पर यह प्रक्रिया कई सप्ताह या महीनों चलती है। एल नीञो अक्सर दस साल में दो बार आती है और कभी-कभी तीन बार भी। एल-नीनो हवाओं के दिशा बदलने, कमजोर पड़ने तथा समुद्र के सतही जल के ताप में बढ़ोत्तरी की विशेष भूमिका निभाती है। एल नीञो का एक प्रभाव यह होता है कि वर्षा के प्रमुख क्षेत्र बदल जाते हैं। परिणामस्वरूप विश्व के ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वर्षा और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्यादा वर्षा होने लगती है। कभी-कभी इसके विपरीत भी होता है। यह घटना दक्षिण अमेरिका में तो भारी वर्षा करवाती है लेकिन ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में सूखे की स्थिति को उत्पन्न कर देती है यह पेरु की ठंडी जलधारा को विस्थापित करके गरम जलधारा को विकसित करती है।