जन मुद्दे
शिक्षा मंत्री ने भरी सभा में महिला सरपंच से कहा-अपना घूंघट हटाइए
मंत्री जीतू वाघानी ने अजब-गजब बयान दिया है जिसकी चहुं ओर हो रही है प्रशंसा
सीएन, मेहसाणा। गुजरात के मेहसाणा जिले के रंतेज गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के शिक्षा मंत्री जीतू वाघानी ने अजब-गजब बयान दिया है जिसकी चहुं ओर प्रशंसा हो रही है. कार्यक्रम के दौरान मंच पर गांव की पहली महिला सरपंच मीनाबा घूंघट निकालकर खड़ी थीं. मीनाबा अपने गांव की महिलाओं की झुंड के साथ कार्यक्रम के मंच पर आईं थीं. सभी महिलाएं घूंघट निकाले हुए एक तरफ फर्श पर बैठी थीं, जबकि गांव के पुरुष प्लास्टिक की कुर्सियों पर बैठे थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक महिला सरपंच मीनाबा और कई ग्रामीणों उस वक्त हैरान हो गए, जब शिक्षा मंत्री ने जोर देकर महिला सरपंच मीनाबा से कहा-अब अपना घूंघट हटा दें. शिक्षा मंत्री ने ग्रामीणों के सामने कहा, “अगर बुजुर्ग अनुमति देते हैं, तो मैं मीनाबा से इस घूंघट के रिवाज परंपरा से बाहर आने का अनुरोध करूंगा.” इस दौरान एक युवक खड़ा हुआ और बोला कि सर, हम राजपूत हैं.” इस पर मंत्री ने जवाब देते हुए कहा “जाति का इससे क्या लेना-देना है? दरबार, पटेल, बनिया या ब्राह्मण, देखिए महिलाएं कितनी खुश हैं और वे आपको क्या आशीर्वाद देंगी.” मंत्री ने तुरंत जवाब दिया. मान मर्यादा (सम्मान और शील) ठीक है, लेकिन जब आप सरपंच हैं तो आपको इन परंपराओं से बाहर आना होगा. गांव को तय करने दीजिए. चारों ओर देखिए, दुनिया कहां पहुंच गई है? ऐसा करने से (घूंघट हटाकर) हम अपनी मान मर्यादा नहीं खोते. सब कुछ का पालन करें लेकिन घर पर. मंत्री ने कहा-मैं यह नहीं कहता कि यह रिवाज (परंपरा) बुरा है, लेकिन हमें समय के अनुसार बदलना होगा और इससे बाहर आना होगा ताकि हम आगे बढ़ सकें. आखिरकार, मंच पर मौजूद गांव के एक बुजुर्ग ने वघानी की बात मान ली. संकेत के बाद, मीनाबा ने अनिच्छा से अपनी साड़ी का एक हिस्सा वापस खींच लिया और अपना चेहरा प्रकट कर दिया. मंच पर उनके लिए एक अतिरिक्त कुर्सी की भी व्यवस्था की गई थी.
प्रायः बड़ों के सामनों आने पर स्त्रियाँ ओढ़ लेतीं हैं घूँघट
भारतीय उपमहाद्वीप में हिन्दू, सिख और जैन स्त्रियाँ अपना चेहरा साड़ी के आंचल या ‘पल्लू’ से या किसी ओढ़नी आदि से ढकतीं हैं, इसे ही घूँघट कहते हैं। घूँघट को घुमटा, ओढ़नी, लाज, चुनरी, झुण्ड आदि नामों से भी जाना जाता है। प्रायः बड़ों के सामनों आने पर स्त्रियाँ घूँघट ओढ़ लेतीं हैं। घूँघट के लिए प्रायः दुपट्टा भी प्रयुक्त होता है। घूंघट की प्रथा अब हरियाणा, राजस्थान उत्तर प्रदेश और बिहार आदि हिन्दी क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों में बहुत कम हो गयी है।