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आज राष्ट्रीय युवा दिवस : युवाओं को प्रेरित करने को युवा दिवस मनाने की शुरुआत
सीएन, नईदिल्ली। भारत में प्रतिवर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती को राष्ट्रीय युवा दिवस (नेशनल यूथ डे) के रूप में मनाया जाता है। इसे आधुनिक भारत के निर्माता स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस को याद करने के लिये मनाया जाता है। संपूर्ण विश्व में 12 अगस्त को “अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस” मनाया जाता है। हर वर्ष जनवरी महीने में एक “युवा सप्ताह” भी आयोजित किया जाता है जिसमें वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, निबंध प्रतियोगिताओं, चित्रकला प्रतियोगिताओं आदि शामिल होते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को “अन्तर्राष्ट्रीय युवा वर्ष” घोषित किया गया। इसके महत्त्व का विचार करते हुए भारत सरकार ने घोषणा की कि सन् 1985 से 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानन्द जी की जयन्ती को देशभर में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाए। स्वामी विवेकानंद के विचार, दर्शन और अध्यापन भारत की महान सांस्कृतिक और पारंपरिक संपत्ति हैं। युवा देश के महत्वपूर्णं अंग हैं जो देश को आगे बढ़ाता है इसी वजह से स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के द्वारा सबसे पहले युवाओं को चुना जाता है। इसलिये, भारत के सम्माननीय युवाओं को प्रेरित करने और बढ़ावा देने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुआत हुई। इस दिन खेल, सेमिनार, निबंध-लेखन, के लिये प्रतियोगिता, प्रस्तुतिकरण, योगासन, सम्मेलन, गायन, संगीत, व्याख्यान, स्वामी विवेकानंद पर भाषण, परेड आदि के द्वारा सभी स्कूल, कॉलेज में युवाओं के द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस (युवा दिवस या स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस) मनाया जाता है। भारतीय युवाओं को प्रेरित करने के लिये विद्यार्थियों द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों से संबंधित व्याख्यान और लेखन भी किया जाता है। स्वामी विवेकानंद के विचार, दर्शन और अध्यापन भारत की महान सांस्कृतिक और पारंपरिक संपत्ति हैं। युवा देश के महत्वपूर्णं अंग हैं जो देश को आगे बढ़ाता है इसी वजह से स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों के द्वारा सबसे पहले युवाओं को चुना जाता है। इसलिये, भारत के सम्माननीय युवाओं को प्रेरित करने और बढ़ावा देने के लिये हर वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुआत हुई। स्वस्वामी विवेकानंद स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के एक रूढ़िवादी हिन्दु परिवार में हुआ था। स्वामी विवेकानन्द जी के बचपन का नाम नरेन्द्र दत्त था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। इन्होंन अपनी बचपन की शिक्षा इश्वर चन्द्र विद्यासागर इंस्टिट्यूट से पूरी की थी।
स्वामी विवेकानन्द ने 01 मई 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। स्वामी जी बचपन से ही दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित विषयों में काफी रूचि थी। स्वामी विवेकानन्द के गरू का रामकृष्ण परमहंस था। नरेन्द्र दत्त ने 25 वर्ष की अवस्था में सन्यास ग्रहण कर लिया और पैदल ही पूरे भारत का भ्रमण किया था। नरेन्द्र दत्त का नाम सन्यास लेने के बाद स्वामी विवेकानन्द पडा था। नरेन्द्र दत्त को नाम स्वामी विवेकानन्द खेत्री के महाराजा अजित सिंह ने दिया था। स्वामी विवेकानन्द वर्ष 1893 में शिकागो (अमेरिका) में हो रहे विश्व हिन्दी परिषद में भारत के प्रतिनिधि के रूप से पहुंचे थे। उन्होंन आपने भाषण की शुरूआत “मेरे अमेरिकी भाई बहनों ” के साथ की थी इसी वाक्य ने वहॉ बैठे सभी लोगों का दिल जीत लिया था। स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु 39 वर्ष की अवस्था में बेलूर मठ में 4 जुलाई 1902 को हो गई थी।