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आज 25 नवंबर को है अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस : तीन बहनों की मृत्यु की वार्षिकी के रूप में है यह दिवस
आज 25 नवंबर को है अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस : तीन बहनों की मृत्यु की वार्षिकी के रूप में है यह दिवस
सीएन, नैनीताल। प्रत्येक वर्ष विश्व के विभिन्न देशों में 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है। 25 नवंबर 1960 को डोमिनिक शासक रैफेल ट्रूजिलो के आदेश पर तीन बहनों पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल की हत्या कर दी गई थी। इन तीनों बहनों ने ट्रूजिलो की तानाशाही का कड़ा विरोध किया था। महिला अधिकारों के समर्थक व कार्यकर्ता वर्ष 1981 से इस दिन को इन तीनों बहनों की मृत्यु की वार्षिकी के रूप में मनाते हैं। 17 दिसंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एकमत से यह निर्णय लिया गया कि 25 नवंबर को महिलाओं के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र यूएन वूमेन के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 74 करोड़ से भी अधिक मामले प्रकाश में आये हैं। वैश्विक स्तर पर ये आँकड़े कोरोना महामारी से भी अधिक भयावह हैं। इसी रिपोर्ट के अनुसार औसतन 137 महिलाओं की हत्या हर रोज उनके परिवार के लोगों द्वारा की जाती है। यहाँ तक कि हर तीन में से एक बच्ची 11 से 15 साल स्कूल में अपने सहपाठी द्वारा मारपीट को झेलती है। उच्च पद पर आसीन महिला भी इस से अछूती नहीं हैं . इंटर पार्लियामेंट्रेयिन यूनियन के 2016 के एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 65 प्रतिशत महिला सांसदों को अपने पुरुष सहकर्मियों से आपत्तिजनक सेक्सिस्ट टिप्पणियों का बुरा अनुभव रहा है। एनसीआरबी के 2020 के रिपोर्ट के अनुसार देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी आयी है, कोरोना काल में ये सच्चाई से कोसों दूर है। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में घरेलू हिंसा के 1.1 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए सबसेअधिक मामले पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से थे। महिला अधिकार पर काम करने वाले सिविल सोसाइटी समूह का मानना है कि ये आंकड़े केवल सरकारी रिकॉर्ड में हैं। घरेलू हिंसा के दर्ज मामले कई गुना अधिक हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने भी ये माना कि ये संख्या वास्तविकता से मेल नहीं खातीं हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग को पिछले साल की तुलना में ज्यादा शिकायतें मिलीं। महिला आयोग के पास वर्ष 2019 में 19,730 शिकायतें, वर्ष 2020 में 23,722 शिकायतें आयी जबकि इस वर्ष पहले 10 महीने में 27ए902 से अधिक शिकायतें आयी हैं। कई एन जी ओ की मानें तो ग्रामीण इलाके में इस तरह के केवल 1.2 प्रतिशत मामले ही रिपोर्ट होते हैं । यह दिन गैर-सरकारी संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और सरकारों के लिए महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के प्रति जन-जागरूकता फैलाने का अवसर होता है। इस दिन महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। महिलाओं के समूह व संगठन महिलाओं की समाज में चिंताजनक स्थिति और इसके परिणामस्वरूप, महिलाओं के शारीरिक, मानसिक तथा मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को सामने लाने के लिए रैली, सेमिनार, पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, सामूहिक भोज आदि आयोजित करते हैं। दुनियाभर में लगभग 35 प्रतिशत महिलाओं को अपने जीवनकाल में एक न एक बार शारीरिक अथवा यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा बलात्कार, दहेज हत्या, घरेलू हिंसा आदि के रूप में प्रचलित है। इन सभी प्रकार की हिंसा से लाखों महिलाएं प्रतिवर्ष प्रताड़ित होती हैं।