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उत्तराखण्ड

केदारनाथ यात्रा में भीड़ ने तोड़े रिकार्ड, चार दिन में 75 हजार लोग पहुंचे

20 हजार यात्रियों को ही भेजा रहा है केदारनाथ, बाकी यात्रियों को सोनप्रयाग में ही रोका
सीएन, रूद्रप्रयाग।
उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा में तीर्थयात्रियों की रिकॉर्ड तोड़ भीड़ उमड़ रही है। आलम ये है कि धाम में कई किलोमीटर लंबी लाइन लग रही है। महज चार दिन में ही 75 हजार से ज्यादा तीर्थ यात्री बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं। केदारनाथ में तीर्थ यात्रियों की संख्या अधिक होने के कारण दोपहर 12 बजे के बाद सोनप्रयाग में रोका जा रहा है। एक दिन में 18 से 20 हजार यात्रियों को ही दर्शनों के लिए भेजा रहा है। केदारनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। एक दिन में 25 से 30 हजार यात्री बाबा के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं लेकिन पुलिस की ओर से व्यवस्थाओं को देखते हुए सोनप्रयाग से 18 से 20 हजार यात्रियों को ही केदारनाथ भेजा रहा है। बाकी यात्रियों को सोनप्रयाग में ही रोका जा रहा है। जिससे केदारनाथ में व्यवस्थाएं न चरमराएं। सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक एक दिन में 18 से 20 हजार यात्रियों की ही रहने व खाने की व्यवस्थाएं हैं। अगर अत्यधिक यात्रियों को धाम भेजा जाता है तो दिक्कतें आना स्वाभाविक है । ऐसे में पुलिस व प्रशासन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है और यात्रियों को सुरक्षित सोनप्रयाग में ही रोका जा रहा है। केदारनाथ धाम समेत पैदल मार्ग पर बारिश होते ही अत्यधिक ठंड बढ़ जाती है। ठंड के कारण यात्री बीमार हो जाते हैं। केदारनाथ आपदा के बाद से धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है। साल 2019 की यात्रा में दस लाख से भी ज्यादा तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए थे। इसके बाद दो साल तक कोरोना महामारी ने यात्रा में खलल पैदा किया। इस बार बताया जा रहा है कि केदारनाथ यात्रा पिछले सभी रिकार्ड को तोड़ देगी और ऐसा देखने को भी मिल रहा है। अभी तक चार दिनों की यात्रा में 75 हजार के करीब तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन कर लिए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि वर्ष 2019 की यात्रा का रिकार्ड इस साल टूट जाएगा।
घोड़ा-खच्चर सवारी व्यवसाय पर आश्रितों की दुर्गति
उत्तराखंड के चारों धामों में सबसे कठिन यात्रा बाबा केदारनाथ की है. करीब 18 से 20 किमी की कठिन रास्तों की इस यात्रा में घोड़े खच्चर एक रीढ़ की हड्डी हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाई से इन घोड़े खच्चरों की दुर्गति होने लगी है. इस सीजन में करीब 100 से अधिक घोड़े खच्चरों की मौत भी हो चुकी है, जिस पर अब ये लोग भी प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं.
वैसे तो हेलीकाप्टर, डंडी-कंडी और पालखी का उपयोग कर श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच सकते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा धाम में पहुंचने के लिए श्रद्धालु घोड़े खच्चर का उपयोग करते हैं. साथ ही धाम में सामान ढोने का भी काम यही करते हैं, जो गौरीकुंड, सोनप्रयाग से अलग अलग रेट 22 सौ से 25 सौ तक आसानी से मिल जाते हैं. अब प्रशासन की बेरुखी से घोड़े खच्चर स्वामी नाराज हैं. उनका कहना है कि प्रसाशन को ये लोग हर एक चक्कर का 300 रुपये टैक्स देते हें लेकिन इस टैक्स का उनको किसी भी प्रकार का लाभ नही मिलता. न तो प्रशासन ने उनके घोड़े खच्चर के लिए कोई पशु डाक्टर रखा है और न ही किसी घोड़े खच्चर के लिए सरकारी चारे और पीने के पानी की व्यवस्था है. वहीं घोड़े खच्चर संचालकों का कहना है दिन में वो एक ही चक्कर सवारियां ढो सकते हैं और एक दिन का खच्चर के साथ उसके संचालक का खर्चा करीब 2 हजार रूपये तक आता है. घोड़े खच्चर संघ के अध्यक्ष गोविंद सिंह रावत का कहना है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और पिछले 4 साल से प्रशासन ने उनका किराया नहीं बढ़ाया. जिस पर अब सभी घोड़े खच्चर संचालकों में नाराजगी है.

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