उत्तराखण्ड
बिल्डर ने 17 लाख की एक ही संपत्ति का दो लोगों से 34 लाख में कर दिया सौदा
सीएन, हल्द्वानी । एक बिल्डर ने 17 लाख की एक ही संपत्ति का दो लोगों से 34 लाख में सौदा कर दिया। परिक्षेत्रीय विशेष जांच प्रकोष्ठ की जांच में यह मामला सामने आया है। अब बिल्डर ने 11 लाख रुपये लौटा दिए हैं।कुमाऊं परिक्षेत्र विशेष जांच प्रकोष्ठ जमीन संबंधित विवादों की जांच कर रही है। मूल रूप से महाराष्ट्र व हाल श्यामखेत भवाली निवासी विक्टर मिर्तिया ने जांच प्रकोष्ठ में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने 2019 में फ्लैट ब्रिकी का एक विज्ञापन देखा था। विज्ञापन में दिए मोबाइल नंबर पर संपर्क करने पर कमाल नाम के व्यक्ति ने श्यामखेत भवाली बुलाया।फ्लैट पसंद आने पर बिल्डर आदिल मिला और मौखिक अनुबंध पर एडवांस में 17 लाख रुपये नकद जमा करा लिए, मगर रजिस्ट्री उसके नाम नहीं की। उसने जांच प्रकोष्ठ में न्याय की गुहार लगाई थी। टीम ने मामले की जांच की तो पता चला जिस फ्लैट का विक्टर से सौंदा हुआ है, वह फ्लैट पहले ही किसी और को 17 लाख में बेचा जा चुका है।बिल्डर को निशाने पर लेकर जांच प्रकोष्ठ ने गहन पड़ताल शुरू कर दी। इसके बाद बिल्डर को हल्द्वानी बुलाया गया। जहां बिल्डर ने फर्जीवाड़े की बात कुबूलते हुए पीडि़त विक्टर को 11 लाख रुपये लौटा दिए हैं। शेष राशि एक माह के भीतर देने का वादा किया है।डीआइजी डा. नीलेश आंनद भरणे ने बतायाएसआइटी का नाम बदलकर परिक्षेत्रीय विशेष जांच प्रकोष्ठ किया है। संपत्ति से संबंधित दो मामलों में पीडि़तों को न्याय दिलाया जा चुका है। महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने बिल्डर ने रुपये लेकर फ्लैट दूसरे को बेच दिया था। जमीनी धोखाधड़ी से बचने के लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा।
दो साल बाद मिला न्याय-पीडि़त विक्टर ने 10 दिन पहले डीआइजी डा. नीलेश आनंद भरणे के समक्ष भी मामले को रखा था। डीआइजी ने तत्काल जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जांच प्रकोष्ठ ने आरोपित बिल्डर पर शिकंजा कसा। दो साल बाद पीडि़त को न्याय मिल सका।
सेवानिवृत्त सूबेदार को भी नहीं बख्शा-एक सेवानिवृत्त सूबेदार के साथ भी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। 86 लाख रुपये लेने के बाद डेढ़ साल से जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई तो पीडि़त विशेष जांच प्रकोष्ठ में पहुंचे। बच्चीनगर लामाचौड़ निवासी सेवानिवृत्त सूबेदार चंदन ङ्क्षसह बिष्ट का कहना था कि उन्होंने अपनी एक जमीन बेचकर बिल्डरों के माध्यम से दूसरी जमीन खरीदने के लिए रुपये दे दिए थे। 2020 में होने वाली रजिस्ट्री आज तक उनके नाम नहीं हुई। परिक्षेत्रीय विशेष जांच प्रकोष्ठ के दखल पर बिल्डरों ने 22 लाख वापस लौटाकर शेष धनराशि की रजिस्ट्री कर दी है।