Connect with us

उत्तराखण्ड

मैं हूं होमगार्ड-भविष्य के प्रति निश्चिंतता के लिए पक्की नौकरी देनी नहीं चाहिये क्या?

उमेश तिवारी विश्वास, नैनीताल। सरकारी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में छेदीलाल बेहोश पड़ा है। उसे अंतिम बार होश में देखा गया था जब वह चुनावी ड्यूटी में एक पोलिंग बूथ पर तैनात था। छेदीलाल नामक यह दुबला पतला कड़ियल नौजवान पिछले छै वर्षों से होमगार्ड की नौकरी कर रहा है। उसे देखने से लगता है, अगर होमगार्ड की नौकरी ना होती तो वह जाने क्या कर रहा होता, होता भी या नहीं ! कठिन परिश्रम से शायद उसका वज़न गिर चुका है या उपयुक्त साइज़ उपलब्ध न होने से, बदन के कपड़े ढीले हो गए हैं। बेल्ट को कूल्हों पर बार-बार एडजस्ट किये जाने की क्रिया से हथेलियों का संग्रहित मैल बकल की दोनों बगल काली कर चुका है। यूनिफॉर्म सहित बिस्तर पर लिटा दिये जाने से छेदी की छवि ऐसी छजी है जैसे लेट कर ड्यूटी करता हो। शोल्डर्स पर अपने भार से उलट पड़ी होमगार्ड टाइटल और टुटहे स्टैंड से लगी ड्रिप उसे एक तरह वीआई पी बना रही है, बहुत से रोगी तो अपनी बोतल ख़ुद ऊंची किये ओने-कोनों में बैठे हैं। शायद इसी कारण सिविलियन भी उसके बेड पर एडजस्ट होने की हिमाकत नहीं कर रहे, वर्ना दूसरे बेडों पर औसतन तीन प्रश्रय लिए हैं। सेना और बाद में एनसीसी से डिस्कार्डेड छेदी के बूट, पाँवों पर यथावत कसे हुए हैं। इलाज में बाधा न होने से, उन्हें उतारने की आवश्यकता नहीं पड़ी अथवा छुपे हुए मोजों को सार्वजनिक करने में जोखिम समझा गया हो ? वैसे, इन्हें उतार भी दें, तो रखें कहाँ ? वार्ड का हर इंच मरीज़ों से लटक रहे अंगों या तीमारदारों के थैलों से घिरा पड़ा है। बस बेल्ट है, जो स्वतः खुलकर मरे सांप जैसी  लटक गई है.. अभी-अभी छेदी की वाइफ़ ने वार्ड में प्रवेश किया है। नाक की नोक तक चेहरा घूंघट में है परंतु अन्य अंगों की हरकत में बदहवासी स्पष्ट देखी जा सकती है। छेदी के बिस्तर को उसने एक दहाड़ के साथ अप्रोच किया है। हालांकि, बंदर से कटा बच्चा काफ़ी ऊंचे स्वर में रो रहा था, तथापि उसके लंबे मरियल शरीर से रिलीज़्ड आर्तनाद से बेहोश छेदी भी, क्षण भर को हिल गया लगे। साथ आई तंदुरुस्त महिला ने उसे फुर्ती से दबोचा और गले को छोड़ लगभग सम्पूर्ण काया को काबू कर लिया। रुदन लहरी के आरंभ में  ‘मेरी मैया’ और अंत में ‘ओ मेरी मैयाss..’ लगाकर भावनात्मक माहौल बनाती, वह झूमती हुई बेहोश छेदी के दीर्घजीवी बूटों से लिपट गई है। “गाड़ी सीज़ नहीं हुई, बस चालान कटा है, अब चुप कर साबित्री की भैंन। घण्टे भर में लाद के ले जइयो, खाने पीने का ध्यान ना रखती दीवान जी का ?” गंजे डॉक्टर ने पांच-छै मीटर दूर से धमकाया है। इलाक़े में शायद दिलासा इसी तरह दिया जाता है, सो, सुनते ही उसका स्विच खट्ट ऑफ  हो गया। वातावरण में तनाव घटते ही कच्ची पट्टी वाला मरीज़ छेदी के बिस्तरे पर टिकाकर कम्फ़र्टेबल हो लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जिसमें एक रेगुलर सर्विस वाला कांस्टेबल भी शामिल है, छेदीलाल को वोटरों की कतार व्यवस्थित रखने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। वह अपनी चार फुटी डंडी फ़र्श पर बजा-बजा वोटरों को औकात में रखे था। देर दोपहर ऊपर से आदेश हुआ कि जिन महिला वोटरों के चेहरे ढके हों उनको चैक किया जाए। कुछ बूथों पर औरतों के भेष में आदमियों द्वारा वोट गिराने की ख़बर थी। पुरुषों की लाइन में लगे एक वोटर ने बताया कि ”उस बखत शाम के कोई पांच बजे थे, अचानक चैकिन शुरू हुई। होमगार्ड के सिपाही ने मेरे बराबर की लैन में खड़ी बुर्के वाली से नाम पूछा तो उसने सलमा बताया, सिपाही ने डंडे से बुर्का हटा कर शकल देखी और कहा ठीक है। फिर दो सलवार-सूट वाली खड़ी थी, उनके पीछे बड़ा घूंघट काढ़े औरत थी जिसने अपना नाम  स्वीटी बताया और घूँघट हटा कर मुंह दिखाया। देखते से वह कुछ घबरा सा गया, उसके हाथ से डंडा छूट गया या उसने छोड़ दिया और हडबड़ी में वापिस बुर्के वाली की तरफ लपका और शकल दिखाने को बोला। फिर जाने क्या हुआ सिपाही जमीन पर गिरा और बेहोश हो गया। जब हल्ला मचा तो गेट से पुलिस वाला दौड़कर आया, उसके साथ दो वोटर उसे घसीटते हुए गेट की तरफ ले गए।” एक सेवा निवृत्त पुलिस अफ़सर का कहना है कि होमगार्ड के जवानों का एक लंबे अरसे से शोषण हो रहा है। कभी ड्यूटी ट्रैफिक में लग जाती है तो कभी मेले-ठेलों में। तनख्वाह के नाम पर बंधे-बंधाये कुछ रुपए मिलते हैं, भला हो अधिकारियों का जो यूनिफॉर्म, जूते आदि दिला देते हैं जिससे दाल-रोटी चल जाती है। नंगा क्या खाये क्या निचोड़े। सात बजे ड्यूटी आया होगा, दिन में जाने कुछ खाया कि नहीं। खायेगा, पियेगा नहीं तो मरेगा ही। वहीं एक पत्रकार साब ने बड़ी रोचक वजह  बताई, उन्होंने संदेह ज़ाहिर किया है कि ‘छेदी ने जिन दो महिलाओं का चेहरा चैक किया वह दरअसल जुड़वाँ बहिनें रहीं। जब छेदी ने एक को बुर्के में और उसकी हमशक्ल को घूंघट में देखा तो सिर चकरा गया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा। ख़ास बात ये है कि इस दौरान दोनों बहनें बिना मतदान किये सीन से ग़ायब हो गईं। उम्मीद है, सीसीटीवी फुटेज अगर डिलीट न करी हो और घायल होमगार्ड जवान के जरिये पुलिस शिनाख्त कर लेगी। मामला वोट जिहाद का लग रहा है।’ रहा सवाल 11वीं फेल छेदी का, वह धोबी का दामाद अवश्य है पर है जवाबदेह। बेहोश हो गया मगर सलमा-स्वीटी के वोट जिहाद को रोक लिया। छेदी की ड्यूटी अगर चुनाव आयोग में होती तो आधा दर्ज़न फर्ज़ी नामों वाली ब्राजील की मॉडल को देखकर तो शायद उसकी जान ही निकल जाती। लेकिन मौत के समय उसकी टेबल पर खुले एलेक्ट्रोरल रोल उसकी शहादत के गवाह बन सुप्रीम कोर्ट पहुँच जाते। अब ये बात दीगर है कि हर जज या अफ़सर इतना घामड़, अज्ञानी या कहें छेदी तो ना होता कि उसकी जान खुद ब खुद डैमोक्रेसी की शुद्धता के लिए दांव पर लग जाये। भई बड़ी बात तो ये कि फर्ज़ी वोट पड़ जाते तो होमगार्ड छेदी, जैसा कि सहकर्मियों के बीच इम्प्रेशन है, तीन दिन तक अपने बीबी-बच्चों को मुंह नहीं दिखाता ! विचारणीय है कि नौकरीपेशा आदमी का खाने-पीने, दवा-दारू, लत्ते-कपड़े और पेंशन का इंतजाम सरकार को करना ही चाहिये। भविष्य के प्रति निश्चिंतता होगी जभी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से ड्यूटी करी जा सके है। इन्हीं शर्तों पर छेदी की नियुक्ति आयोग में हो वर्ना तो वह भी…उसे आयोग में पक्की नौकरी देनी नहीं चाहिये क्या ? नैनीताल समाचार से साभार

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING