उत्तराखण्ड
खेल विभाग एवं युवा कल्याण विभाग व प्रांतीय रक्षक विभाग अलग-अलग ही रहें : यशपाल
सीएन, नैनीताल। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य,, विधान सभा ने कहा कि राज्य सरकार खेल विभाग और युवा कल्याण विभाग के एकीकरण का प्रस्ताव ला रही है। उन्होंने कहा कि खेल विभाग पूर्णतः तकनीकी विभाग है, जबकि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग गैर तकनीकी विभाग है जिसके कारण इसका पूर्णतः एकीकरण किया जाना संभव नहीं है।
श्री आर्य ने कहा कि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग में भी दो घटक (1) युवा कल्याण एवं ग्रामीण खेलकूद (2) पीआरडी स्वयं सेवक सम्मिलित हैं, जिसके दृष्टिगत खेल विभाग के साथ किया प्रान्तीय रक्षक दल (पीआरडी) विभाग को एकीकृत किया जाना खेलों के विकास एवं खिलाडियों के हित में किसी भी दृष्टि में लाभदायक तथा न्यायोचित नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि खेल विभाग द्वारा मुख्य एवं मात्र खेल गतिविधियों का ही संचालन कराया जाता है जबकि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग द्वारा अनेकों प्रकार की योजनाएं संचालित क्रियान्वित करायी जाती है, जिसमें ग्रामीण खेलकूद गतिविधियां कुल योजनाओं योजना में 5 प्रतिशत का ही कार्य है, जबकि अन्य सभी योजनाएं 95 प्रतिशत की है, जो खेल गतिविधियों से पूर्णतः इतर है, जिसका खेल से किसी भी प्रकार की कोई समानता नहीं है तथा सरकार द्वारा यदि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग को किसी अन्य विभाग में एकीकृत किया जाना आवश्यक हो तो इस विभाग की योजनाओं गतिविधियों जैसे-पीआरडी स्वयं सेवक सेवायोजन, शान्ति, सुरक्षा फोर्स को मध्यनजर रखते हुए युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग को होमगार्ड अथवा सेवायोजन विभाग के साथ एकीकृत किये जाने पर विचार किया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि खेल विधा चाहे वो ग्रामीण स्तर पर हो अथवा शहरी स्तर पर एक तकनीकी विधा है जिसके कुशल संचालन हेतु कार्मिकों का तकनीकी रूप से दक्ष होना नितान्त आवश्यक है। आर्य ने बताया कि खेल संघों का भी कहना है कि खिलाड़ी खेल विशेष में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय खेल संस्थान पटियाला, कोलकाता, बेंगलुरु से कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त करते हैं। इसके बाद ही इन्हें प्रशिक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान की जाती है। वहीं, युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग की स्थापना स्वयंसेवकों और युवा एवं महिला मंगल दलों को कार्य देने के लिए की गई है। भले ही विभाग ग्राम स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है लेकिन इनके अधिकारियों को खेल के विषय में जानकारी नहीं है। ऐसे में इन अधिकारियों को खेल विभाग में लाने से खिलाडियों के साथ न्याय नहीं किया जा सकता। श्री आर्य ने कहा कि राज्य के समय से ही उत्तराखण्ड राज्य में खेल प्रतिभा में कमी नहीं रही। समय-समय पर उत्तराखण्ड के खिलाडियों द्वारा ओलम्पिक विश्वस्तरीय तथा राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में प्रदेश का नाम रोशन किया गया है। एकीकरण करने में गैर तकनीकी कार्मिकों के द्वारा तकनीकी कार्य संपादित कराये जाने से राज्य की प्रतिष्ठा प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी। राज्य गठन के उपरान्त खेल विभाग प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा जो उपलब्धियां प्राप्त की गयी है। खेलकूद तथा युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग का एकीकरण वैधानिक रूप से भी उचित नहीं होगा इसीलिए महत्वपूर्ण विषय के दृष्टिगत प्रदेश में खेल एवं खिलाड़ियों के सम्पूर्ण विकास के लिये एवं खेल के अस्तित्व एवं खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने जैसा कि पूर्व में था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को खेल विभाग एवं युवा कल्याण विभाग तथा प्रांतीय रक्षक विभाग को पूर्व की भांति अलग-अलग ही रहने देना चाहिए क्योंकि सभी के कार्य अलग-अलग हैं और रूपरेखा भी अलग-अलग है। दोनों के विलय से खेल विभाग अपने उद्देश्यों की पूर्ति से दूर होता जाएगा।
