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हमेशा नीले रंग की पगड़ी ही क्यों पहनते थे मनमोहन सिंह, क्या था उसका कनेक्शन

हमेशा नीले रंग की पगड़ी ही क्यों पहनते थे मनमोहन सिंह, क्या था उसका कनेक्शन
सीएन, नईदिल्ली।
डॉ मनमोहन सिंह राजनीति में आने से पहले ही इसी रंग की पगड़ी पहनते थे। ऐसा वे अपने कॉलेज के जमाने से करते हैं। तमाम राजनीतिक विरोधों के बावजूद विपक्षी नेता भी उन्हें भरपूर सम्मान देते थे। उनके व्यक्तित्व की सबसे खास बात उनका धीमे बात करने का अंदाज और सादगी थी। वे हमेशा ही आसमानी नीले रंग की पगड़ी पहनते थे। लेकिन मनमोहन सिंह हमेशा ही केवल और केवल नीले रंग की पगड़ी में दिखे। इसके पीछे एक खास वजह और एक खास कहानी थी। आमतौर पर ऐसा सिखों में किसी तरह का नियम नहीं है कि वे एक ही रंग का पगड़ी पहने। वैसे भी पगड़ियों में पीले रंग या बसंती की पगड़ी को ज्यादा पहना जाता है। कई बार केसरिया रंग की पगड़ी भी खूब देखी जाती है। लेकिन आम सिख कई रंग की पगड़ी पहनता है। इसमें आम लोगों में सफेद रंग की पगड़ी ज्यादा देखी जाती है। वहीं कई लोग अपनी वेशभूषा के रंग के मुताबिक पगड़ी के रंग को चुनते हैं। इसमें काली, पीली, लाल, हरी गुलाबी और नीले रंग की पगड़ी भी देखने को मिलती है। मनमोहन सिंह पर भी किसी तरह के रंग की पाबंदी नहीं थी। वे सिख तो थे, लेकिन वे कट्टर सिख भी नहीं ना ही वे केवल धर्म के प्रति समर्पित थे। कई सिख जो केवल अपने ही धर्म का कड़ाई से पालन करते हैं उनमें एक ही रंग की पगड़ी का नियम नहीं है, पर फिर भी वे पीले रंग की पगड़ी ज्यादा पहनते हैं। लेकिन अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह राजनीति में आने से पहले भी हमेशा ही नीली पगड़ी में दिखे। मनमोहन सिंह एक शिक्षित और सरल व्यक्ति थे। लेकिन वे किसी एक खास विचारधारा से बंधे व्यक्ति नहीं लगते थेण् कई लोग सोचते हैं कि अर्थशास्त्री होने के कारण उन पर मार्क्सवाद हावी होगाण् लेकिन ना तो वे मार्क्सवादी थे ना ही उनकी पगड़ी लाल थी। भारत में नीला रंग पिछले कई दशकों से बहुजन समाज पार्टी से जुड़ा हैए लेकिन मनमोहन की पगड़ी का रंग भी वैसा नीला नहीं था। मनमोहन सिंह ने खुद साल 2006 में एक समारोह में इस बारे में बताया है कि उनकी पगड़ी रंग के पीछे क्या वजह है। यह मौका था जब कैम्ब्रिज ने उन्हें लॉ के डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा था। समारोह में प्रिंस फिलिप ने लोगों का ध्यान उनकी पगड़ी के रंग की तरफ दिलाया था। प्रिस फिलिप ने कहा था इनकी पगड़ी का रंग देखिए। इस पर दर्शकों ने तालियां बजाई थीं। तब सिंह ने इसकी कहानी खुद बताई थी। डॉ. सिंह ने पगड़ी के रंग को अपना फेवरेट बताते हुए कहा कि जब वे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ा करते थे, तब भी वे इसी रंग की पगड़ी पहना करते थे और इसलिए उनके साथी उन्हें ब्लू टर्बन निकनेम से यानी नीली पगड़ी वाला  बुलाने लगे थे, उन्होंने साफ किया कि यह रंग उनकी व्यक्तिगत पसंद है और इसका किसी पंथ या विचारधारा से कोई लेना देना नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं कि मनमोहन सिंह की पगड़ी का रंग उनके व्यक्तित्व को दिखाता है और उनका हिस्सा ही बन गया था। जब भी उनका कभी रंगीन कार्टून बनता था तो उनकी पगड़ी इसी रंग की हो गई थी। बिना इस रंग की पगड़ी के उनके बारे में सोचना असंभव है। जिस तरह से नीला रंग प्रेरणा और ज्ञान का प्रतीक है, वे भी भारत में प्रेरणा और ज्ञान का प्रतीक होने के साथ एक प्रगतिशील, समावेशी और आर्थिक रूप से जीवंत भारत के  नजरिए इस रंग के जरिए जाने जाएंगे।

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