उत्तर प्रदेश
मुलायम सिंह यादव की बहू अर्पणा यादव हुई भाजपा में शामिल
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सत्ताधारी दल ने बड़ा झटका दिया
सीएन, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से पिछड़ा वर्ग के कई नेताओं को तोड़कर ताकत बढ़ने का संदेश दे रहे समाजवादी पार्टी (एसपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सत्ताधारी दल ने बुधवार को बड़ा झटका दिया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गईं। उनके साथ मुलायम के साढ़ू प्रमोद गुप्ता भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। कुछ दिन पहले सपा संरक्षक के समधी हरिओम यादव भाजपा का दामन थाम चुके हैं। दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुईं। अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मुलायम सिंह की पुत्रवधू होने के बावजूद भी अपर्णा यादव ने अपने विचार रखे हैं। काफी दिनों की चर्चा के बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया। विधानसभा चुनाव में सपा और भाजपा के बीच चल रहे एक-दूसरे के नेताओं को तोड़ने के खेल में भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। मुलायम की बहू को भाजपा में शामिल कराकर भाजपा यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने छोटे भाई की बहू को संरक्षण नहीं दे सके। दरअसल, बीते काफी दिनों से अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने की खबर चल रही थी, लेकिन आज उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर इस खबर की पुष्टि कर दी है। अपर्णा 2017 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन इस चुनाव में वह बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी से हार गईं थी। अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव और साधना गुप्ता के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. प्रतीक यादव राजनीति से कोसों दूर हैं, वहीं अपर्णा यादव किसी न किसी कारण सुर्खियों में बनी अपर्णा यादव ऐसे में समय में बीजेपी में शामिल हुई हैं, जब बीजेपी के कई विधायक और मंत्री इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. बीजेपी के लिए यह डैमेज कंट्रोल करने का एक बड़ा अवसर है. बीजेपी से स्वामी प्रसाद मौर्य का जाना पार्टी के लिए कहीं न कहीं नुकसान दायक माना जा रहा है। पार्टी अब ओबीसी वोटबैंक को छिटकने से बचाने की तैयारी पर काम करने में जुट गई है, जिसका असर पार्टी की ओर से जारी 107 प्रत्याशियों की सूची में देखा जा सकता है। बीजेपी द्वारा जारी कई गई 107 उम्मीदवारों की लिस्ट में 44 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं, जबकि 19 अनुसूचित जाति से हैं. दोनों वर्गों को मिलाकर यह आंकड़ा कुल घोषित उम्मीदवारों का 60 प्रतिशत है. इस तरह से देखा जाए तो बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य की भरपाई कर ली है। ऐसे में अब पार्टी में अर्पणा यादव का शामिल होना सपा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के हारने का एक कारण पारिवारिक कलह और भी मानी गई थी, जिसका सपा के वोटबैंक पर बुरा असर पड़ा था।