उत्तर प्रदेश
कभी एग्जिट पोल नतीजों के काफी करीब रहे तो कभी परिणामों से कोसों दूर
काल्पनिक एग्जिट पोल कहे टक्कर, भाजपा कांग्रेस को कर रहे बैचेन
सीएन, देहरादून। काल्पनिक एग्जिट पोल कहे टक्कर, भाजपा कांग्रेस को बैचेन कर रहे। 10 मार्च तक बैचेनी और बची है। फिर वास्तविक रिजल्ट आपके हमारे सामने होंगा। चुनाव के वास्तविक रिजल्ट आने से पहले काल्पनिक एग्जिट पोल उत्तराखंड में भाजपा कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर का संकेत दे रहे है। इस बात के संकेत दोनो दलों की सक्रियता से भी लगाया जा रहा है। उत्तराखंड के संदर्भ में न्यूज़ 24 टुडे चाणक्य भाजपा को 43 सीट तो कांग्रेस को 24 सीटें तथा आप पार्टी को 3 सीट पर कब्जा दिखा रहा है। जबकि एबीपी सी वोटर भाजपा को 26 से 32 तो कांग्रेस को 32 से 38 तो आप को 2 सीट दिखा रहा। जबकि आज तक का एक्सिस माय इंडिया भाजपा को 36 से 46 तो कांग्रेस को 20 से 30 जबकि आप को 2से 5 सीट दिखा रहा है। बताते चले की कई बार एग्जिट पोल कोसों दूर रहे। क्योंकि इनका आबादी और वोटर के सापेक्ष राय लेना का सैंपल साइज बहुत की नाममात्र का होता है और कई लोगो से तो हवा हवा में होता है। लेकिन पूरी तरह से इंकार भी नही किया जा सकता। कभी कभी इनका तीर निशाने पर भी लगता है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर यानी पांच राज्यों में चुनाव खत्म हो चुके है। अब सबकी निगाहें 10 मार्च पर लगी हैं, जब नतीजे आएंगे। चुनाव के तुरंत बाद आए कई एग्जिट पोल की वास्तविकता की जांच का मिलान पता लगेगा। क्योंकि कभी एग्जिट पोल नतीजों के काफी करीब रहे तो कभी परिणामों से कोसों दूर। एग्जिट पोल कही किसी के लिए खुशी तो कही किसी के लिए गम’,वाले शो की झलक विभिन्न न्यूज़ चैनलों के माध्यम से आप सब ने देखा। करीब-करीब 5 घंटे तक चले ये शो, राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों को मतगणना से पहले काल्पनिक खुशी और गम प्रदान करने वाला था। एग्जिट पोल में ज़्यादातर बार देखा गया है कि मतगणना से उलट इसका फ़ैसला होता है। एग्जिट पोल क्या है,कैसे काम करता है और क्यों किया जाता है? उम्मीद है बताने की ज़रुरत नही, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिन 5 राज्यों में चुनाव हुए हैं वहां के ज़्यादातर मतदाता राजनीति में दक्षता हासिल होने का दावा करते हैं। एग्जिट पोल को गौर से देखा होगा तो पाया होगा कि कोई दल तो इसको सिरे से हीं खारिज़ कर देता, तो कोई दल जहां उसको कम या बहुमत हासिल नही होता है उसको मानने से इनकार कर देता और यदि इसी दल को कहीं बहुमत हासिल होता है तो उसको स्वीकारते हुए और अधिक मत हासिल करने की बात करता है।राजनीतिक पंडित भी इस बात को कहते हुए अनुमान लगाते हैं कि मतगणना के दिन ही वास्तविकता का पता चलता है। लगभग हर चुनाव में एग्जिट पोल करने वाली कई कम्पनियां आस्तित्व में आती है।