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हिमाचल में बाढ़ ने मचाई तबाही, देखते ही देखते नदी में समा गई पूरी बिल्डिंग
हिमाचल में बाढ़ ने मचाई तबाही, देखते ही देखते नदी में समा गई पूरी बिल्डिंग
सीएन, मनाली। हिमाचल प्रदेश में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। राज्य के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शिमला में बताया है कि बारिश के कारण हिमाचल में काफी नुकसान हुआ है। राज्य में करीब 765 सड़कें प्रभावित हुई हैं। हमने करीब 342 मशीन प्रदेश के कोने-कोने में तैनात की हैं। कुल्लू-मनाली में फंसे हुए लोगों को भी रेस्क्यू किया गया है। अलग-अलग क्षेत्रों में करीब 8 लोगों की मौत हुई है। हिमाचल प्रदेश में तीसरे दिन भी मूसलाधार बारिश का कहर जारी है। शिमला जिले की ठियोग तहसील के पलवी गांव में सोमवार सुबह 11 बजे एक मकान भूस्खलन की चपेट में आ गया। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान दीप बहादुर, देवदासी और मोहन बहादुर के तौर पर हुई है। मनाली में तीन वोल्वो बसों के बहने की सूचना है। चार लोग बहने से लापता हैं। तीन लोग मनाली से बह गए हैं। एक गाड़ी सहित बहा है।
मॉनसून और पश्चिमी विक्षोभ से आ रहा जल प्रलय
पिछले दो दिनों से उत्तर भारत में हो रही मूसलाधार बारिश का सबसे बड़ा कारण एक ही साथ एक्टिव हो गईं दो बारिश प्रणालियों मॉनसून और एक पश्चिमी विक्षोभ के घातक संगम का नतीजा है। इसी तरह जब दोनों वेदर सिस्टम एक साथ सक्रिय हुए थे, तो 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ की घातक तबाही हुई थी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि गर्म होती दुनिया में बहुत ज्यादा बारिश और बाढ़ की संभावना बढ़ती जा रही है। इस बीच उत्तर में हुई भारी बारिश से राष्ट्रव्यापी मानसून में बारिश की कमी दूर हो गई और 1 जून के बाद पहली बार मॉनसून सीजन में कुल बारिश की मात्रा 2 फीसदी ज्यादा दर्ज की गई। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि ‘पिछले दो दिनों में उत्तर भारत पर दो मौसम प्रणालियां सक्रिय रही हैं। पश्चिमी विक्षोभ से जुड़ी एक ट्रफ रेखा राजस्थान से उत्तरी अरब सागर तक फैली हुई थी। साथ ही मजबूत मानसून की स्थिति के कारण बंगाल की खाड़ी से हवाएं भी उत्तर तक पहुंच रही थीं। इन दो प्रणालियों के संगम का नतीजा ही था कि शनिवार को जम्मू-कश्मीर के आसपास और रविवार को हिमाचल प्रदेश के आसपास जमकर बारिश हुई। इन क्षेत्रों को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों से नमी मिली, जिसके कारण बहुत भारी बारिश हुई।’ महापात्र ने कहा कि ‘पहाड़ों में ऐसे दो-वेदर सिस्टम के संगम से बहुत अधिक बारिश होती है क्योंकि हवाएं पहाड़ियों से टकराती हैं और ऊपर उठती हैं, जिससे भारी बारिश होती है।’ इन दो मौसम प्रणालियों का इस तरह जुड़ना असामान्य नहीं है और ये विशेष रूप से उत्तर पश्चिम भारत की पहाड़ियों में चरम मौसम की घटनाओं से जुड़ी हुई है। इसी तरह 2013 के मध्य जून में एक पश्चिमी विक्षोभ ने बंगाल की खाड़ी से आने वाली कम दबाव प्रणाली से उत्तर की ओर नमी खींच ली थी। इसके कारण न केवल मॉनसून पूरे देश में रिकॉर्ड समय में 16 जून तक पहुंच गया, बल्कि केदारनाथ में बादल फटने सहित उत्तराखंड में प्रलयंकारी बारिश भी हुई। बाढ़ और भूस्खलन से 5 हजार से अधिक लोग मारे गए और 5 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए।