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रूसी हमले से 20 लाख यूक्रेनी लोग अपना घर छोड़कर भाग चुके

दो हफ्तों में पुतिन की विशालकाय सेना ने इस छोटे से देश की सूरत ही बदल दी
सीएन, कीव।
आज से 13 दिन पहले पूर्वी यूरोप के यूक्रेन देश की तस्वीर कुछ और थी। करीब दो हफ्तों में पुतिन की विशालकाय और हर तरह से सक्षम सेना ने इस छोटे से देश की सूरत ही बदल दी है। देश की राजधानी कीव को टैंकों ने घेर लिया है, हर तरफ हवाई हमलों के सायरन बज रहे हैं, लगभग 20 लाख लोग अपना घर छोड़कर भाग चुके हैं, तस्वीरों और वीडियो में सिर्फ आग, मलबा और काला धुआं ही नजर आ रहा है। यूक्रेन को शायद इस बर्बादी का अंदाजा नहीं था, हालांकि अंदाजा पुतिन को भी नहीं था कि यह लड़ाई 13 दिनों के बाद भी जारी रहेगी।
यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाने की मैं कोशिश नहीं कर रहा : जेलेंस्की
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि मैं यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। बता दें कि इस मुद्दे को लेकर रूस काफी गंभीर है और उसने साफ तौर पर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वह अपनी देश की सीमा पर नाटो की सेना को नहीं आने देना चाहते हैं। यही वजह है कि जब यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने की कोशिश कर रहा था तो रूस ने इसे अपनी सुरक्षा को खतरा मानते हुए यूक्रेन पर हमला बोल दिया। वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रूस ने यूक्रेन से जिन दो हिस्सों को अलग करके उन्हें अलग देश देश घोषित किया है उसपर भी वह व्लादिमीर पुतिन के साथ समझौता करने के लिए तैयार हैं, जिन्हें रूस ने स्वतंत्र देश घोषित करने के बाद 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला बोल दिया था। जेलेंस्की ने कहा कि मैंने बहुत समय पहले ही इस प्रस्ताव को पीछे छोड़ दिया था जब मैं यह समझ गया था कि नाटो यूक्रेन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। नाटो को डर है कि इससे काफी विवाद होगा और रूस से टकराव की स्थिति पैदा होगी।नाटो की सदस्यता का जिक्र करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि मैं ऐसे देश का राष्ट्रपति नहीं बनना चाहता हूं जो किसी चीज की भीख मांग रहा हो। बता दें कि रूस ने कहा है कि वह नहीं चाहता है कि पड़ोसी देश यूक्रेन नाटो का हिस्सा बने। बता दें कि नाटो का गठन शीत युद्ध के समय यूरोपीय देशों को सोविय संघ से बचाने के लिए किया गया था। उस वक्त रूस सोवियत संघ था और तब सोविय संघ का विघटन नहीं हुआ था और यूक्रेन भी इसी का हिस्सा था। समय के साथ नाटो के सदस्यों की संख्या बढ़ती गई। रूस नाटो के विस्तार को व्यक्तित सुरक्षा में चुनौती के तौर पर देखता है। उसे इस बात का डर है कि अगर पश्चिमी देश उसकी सीमा पर आ गए तो यह उसके लिए खतरा बन सकता है। गौर करने वाली बात है कि यूक्रेन पर हमले से पहले रूस ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में डोनेस्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था। अब पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन भी इन दोनों को अलग स्वतंत्र देश माने। पुतिन की इस मांग पर जेलेंस्की ने कहा कि मैं बातचीत के लिए तैयार हूं। मैं सुरक्षा की गारंटी चाहता हूं। जेलेंस्की ने कहा कि इन दोनों ही क्षेत्रों को रूस के अलावा किसी ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है। लेकिन हम इसपर चर्चा करने के लिए तैयार हैं बशर्ते यह तय होकि आखिर कैसे ये दोनों क्षेत्र आगे बढ़ेंगे। मेरे लिए यह अहम है कि इन दोनों क्षेत्रों में जो लोग यूक्रेन में रहना चाहते हैं उनका क्या होगा। यूक्रेन के जो लोग कहेंगे कि हम उन लोगों को अपने साथ चाहते हैं। ऐसे में सवाल दोनों क्षेत्रों को स्वतंत्र स्वीकार करने से कहीं ज्यादा मुश्किल है।

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