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वाईटीडीओ दे रहा शुक्ला फांटा नेशनल पार्क (नेपाल) में वन्य जीव देखने का सुनहरा अवसर

महेन्द्र नगर नेपाल में कैसिनों व डांसवार का भी अनुभव ले सकता है, एसी वाहन भी उपलब्ध
सीएन, नैनीताल।
नैनीताल आने वाले सैलानी यदि रामनगर के कार्बेट नेशनल पार्क में वन्य जीवों के दीदार से वंचित रह जाते हैं तो ऐसे सैलानियों को अब वन्य जीवों पर्यटन नगरी नैनीताल की प्रसिद्ध टूर एजेंसी वाईटीडीओ ने तीन दिवसीय यानि दो रात व तीन दिन का वाईटीडीओ नेपाल बल्ड लाईफ एक्सपेरेन्श पैकेज टूर से शुक्ला फांटा नेशनल पार्क (नेपाल) में वन्य जीव देखने का सुनहरा पैकेज शुरू कर दिया है। टूर एजेंसी वाईटीडीओ के संचालक विजय मोहन सिंह खाती ने बताया कि अन्य आर्कषण में नेपाल के सुन्दर शहर में महेन्द्रनगर में कैसिनों व डांसवार का भी अनुभव ले सकता है। उन्होंने बताया कि सैलानियों की अत्यधिक भीड़ होने के कारण अधिकांश पर्यटक नैनीताल के रामनगर कार्बेट नेशनल पार्क में वन्य जीवों के दीदार से वंचित रह जाते हैं। नैनीताल स्थित टूर एजेंसी वाईटीडीओ ने तीन दिवसीय यानि दो रात व तीन दिन का वाईटीडीओ नेपाल बल्ड लाईफ एक्सपेरेन्श पैकेज टूर शुरू कर दिया है। अगर आप घूमने के शौकीन है वाइल्ड लाइफ को करीब से जानने में अपनी रुचि रखते है तो भारत के मित्र राष्ट्र नेपाल के शुक्लाफांटा नेशनल पार्क देखने जरूर जायें। उत्तराखण्ड के चंपावत जिले के बनबसा से लगे नेपाल के शुक्लाफांटा नेशनल पार्क महेन्द्रनगर से महज चार से पांच किमी दूर है। नेपाल का शुक्लाफांटा नेशनल पार्क जंहा भारत के उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश प्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ खूबसूरत वन्य जीव पार्क है। वही इस पार्क को एशिया के दूसरे सबसे बड़े ग्रास लेंड यानी घास के मैदान के रूप में भी जाना जाता है। यह पार्क जंहा लगभग 305 किलोमीटर स्क्वायर में फैला है वही 60 किलोमीटर परिधि ने विश्व के बड़े ग्रास लेंड इस पार्क की शान है। इस पार्क में भzमण के दौरान पर्यटकों को इसके घास के मैदान में हिरन व बारह सिंघा के विशाल झुंडों के दीदार होते है। बारह सिंघो के विशाल झुंडों के स्थल के रूप में विख्यात इस पार्क में आपको बारह सिंघो व हिरण के अलावा बाघ, गुलदार, एक सिंह वाला गेंडा, मगरमच्छ, अजगर, जंगली सुकर, व हजारों प्रजातियों की खूबसूरत चिड़ियों के दीदार हो सकते है। उत्तराखण्ड के साथ साथ भारत के उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व व दुधवा नेशनल पार्क से भी नेपाल का शुक्लाफांटा अभ्यारण लगा हुआ है।
वन्यजीवों के लिए संरक्षित होगा लग्गा-भग्गा कॉरिडोर
पड़ोसी देश नेपाल के शुक्ला फांटा नेशनल पार्क से पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल से होते हुए लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क की किशनपुर सेंक्चुरी तक के कॉरिडोर को वन्यजीवों के लिए संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग और विश्व प्रकृति निधि ने मिलकर योजना तैयार की है। इसे शासन में भेजा गया है। अनुमोदन मिलने के लग्गा भग्गा कॉरिडोर के जरिये वन्यजीवों का एक से दूसरे जंगल में विचरण निर्बाध शुरू हो जाएगा। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की बराही रेंज के अंतर्गत आने वाला लग्गा भग्गा वन क्षेत्र की सीमा पड़ोसी देश नेपाल के शुक्ला फांटा नेशनल पार्क के जंगल से सटी है। दूसरी ओर उत्तराखंड के सुरई रेंज और दुधवा नेशनल पार्क की किशनपुर सेंक्चुरी की सीमा से भी यहां का जंगल जुड़ा हुआ है। नेपाल के शुक्ला फांटा जंगल की सीमा से लेकर लग्गा भग्गा क्षेत्र होते हुए किशनपुर सेंक्चुरी तक करीब 60 किमी लंबा कॉरिडोर है। इस कॉरिडोर से वन्यजीव एक जंगल से दूसरे जंगल तक विचरण करते हैं। ऐसे में वन्यजीवों के स्वच्छंद विचरण में किसी तरह की बाधा आती है तो वह भटककर आबादी की ओर पहुंच जाते हैं। इसीलिए इस कॉरिडोर को लंबे समय से संरक्षित किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। पिछले दिनों विश्व प्रकृति निधि, टाइगर रिजर्व, किशनपुर सेंक्चुरी, उत्तराखंड की सुरई रेंज व विश्व प्रकृति निधि के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से इस बात का अध्ययन किया कि कॉरिडोर में किस तरह के वन्यजीवों का मूवमेंट कैसा है। वन्यजीव कहां से कहां तक जाते आते हैं। इस अध्ययन के बाद ही वन विभाग और विश्व प्रकृति निधि ने कॉरिडोर के संरक्षण के लिए योजना तैयार की है। कॉरिडोर से गुजरते हैं ये वन्यजीव संयुक्त अध्ययन से पता चला है कि लग्गा भग्गा कॉरिडोर से नेपाल के हाथी, दुधवा की किशनपुर सेंक्चुरी से गैंडा, बाघ, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल से बाघ, बारहसिघा मुख्य तौर पर गुजरते रहते हैं। कॉरिडोर में वन्यजीवों के मूवमेंट का संयुक्त रूप से अध्ययन किए जाने के बाद वन विभाग व विश्व प्रकृति निधि की ओर से योजना तैयार करके शासन को भेजी गई है। शासन से अनुमोदन मिलने के बाद इसे घोषित करके आगे काम शुरू किया जाएगा।

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