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यूक्रेन में धमाकों से बढ़ रही धड़कन, वापसी का इंतजार

डेढ़ लाख में खरीदा था हवाई टिकट, भूमिगत मेट्रो स्टेशन में ली शरण
सीएन, बेंगलूरु।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद वहां मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे राज्य विद्यार्थी फंस गए हैं। उनके अभिभावक बच्चों की सुरक्षा के लेकर बेहद चिंतित हैं। कुछ अभिभावकों के अनुसार उनके बच्चे जंग प्रभावित क्षेत्रों में हैं और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। फंसे हुए छात्रों के अभिभावकों ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से सभी को सुरक्षित वापस लाने की अपील की है। विजयपुर जिले के जिला सहाकारी बैंक के एक अधिकारी मल्लनगौड़ा ने बताया कि उनकी बेटी सुचित्रा और उसकी नौ सहेलियां खार्किव राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं। सभी खार्किव के एक घर में फंसे हुए हैं। मल्लनगौड़ा गुरुवार दोपहर तक फोन पर अपनी बेटी के संपर्क में थे। बेटी ने उन्हें बताया कि सुबह हवाई अड्डे के पास विस्फोट की आवाज ने उन्हें नींद से जगा दिया। तब से दूर-दूर से धमाकों की आवाज ने सभी को बेहद चिंतित कर दिया है। बच्चियों को डर है कि लंबे समय तक जंग जारी रही तो भोजन-पानी के लिए भी मुश्किल होगी। मल्लनगौड़ा ने बताया कि वे गुरुवार दोपहर तक बेटी के संपर्क में थे। इसके बाद टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। यूक्रेन में आपातकाल की स्थिति में है। बेटी किसी तरह घर लौट आए, इसके लिए उन्होंने 1.5 लाख रुपए का भुगतान कर टिकट की व्यवस्था की थी। लेकिन, अंतिम समय में उड़ान रद्द हो गई। बागलकोट जिले के चार विद्यार्थी कॉलेज के छात्रावास में फंसे हुए थे। एक छात्र की मां ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने चारों को अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में रखा है। उसे बम शेल्टर के रूप में उपयोग किया जा रहा है। कोप्पल जिले के कल्लूर गांव का संगमेश सोप्पीमठ भी फंसा हुआ है। संगमेश विनितसिया नेशनल पिरगोव मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में मेडिकल के तीसरे वर्ष का छात्र है। कोप्पल के सांसद करडी संगण्णा ने विदेश मंत्रालय को लिखा है।
छात्रावास के पास मिसाइल हमले से सहमे
लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर तिप्पेस्वामी की बेटी सुनेहा गुरुवार को यूक्रेन से लौटने वाले थी। लेकिन, उड़ानें रद्द होने के बाद अपने छात्रावास में फंसी रह गई। उत्तर कन्नड़ जिले के मुंडगोड की अंतिम वर्ष की मेडिकल छात्रा स्नेहा होसामणि कर्नाटक के कई छात्रों के साथ खार्किव के एक घर में फंसी हुई है। फोन पर बातचीत के दौरान उसने अपने माता-पिता को अपने घर के पास रूसी सेना द्वारा मिसाइल हमले के बारे में बताया। यूक्रेन की राजधानी कीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही जीविता शिंदे ने विडियो कॉल पर अपने माता-पिता को बताया कि वह सुरक्षित है। उसने आठ मार्च के लिए अपनी उड़ान बुक की थी। लेकिन, हवाई यातायात निलंबित होने से वह वापस आने में असमर्थ है। जीविता के माता-पिता कलबुर्गी और तुमकूरु विश्वविद्यालयों में जैव रसायन विभाग के प्रमुख हैं।
नहीं मिल पा रही मदद
यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे कोप्पल जिले का एसके सोप्पीनामथ 28 फरवरी को स्वदेश लौटने वाले थे। वे भारतीय राजनयिकों के संपर्क में था, जिन्होंने कथित तौर पर उसे आश्वासन दिया था कि वे उन्हें 8 मार्च के बाद घर वापस भेज देंगे। कोई समस्या नहीं है। सोप्पीनामथ ने अपने पिता को फोन पर बताया कि यदि रूसी सेना आगे बढ़ती रही, तो भोजन के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है। खार्किव में मेडिकल कोर्स कर रहे प्रवीण ने फेसबुक लाइव वीडियो पर छात्रावास में पानी और भोजन की कमी के बारे में बताया है। उसने यह भी कहा है कि बार-बार मिन्नत करने के बावजूद वहां भारतीय दूतावास की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
तेजी से बिगड़ रहे हालात
उत्तर पश्चिम कर्नाटक सड़क परिवहन निगम में क्लर्क गंगाधर एस. ने बताया कि उनकी बेटी चैत्रा यूक्रेन के खार्किव राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय से एमबीबीएस कर रही है। वह तीसरे वर्ष में है। परीक्षा के बाद वह हर बार की तरह इस बार भी जून में घर आने वाली थी। यूक्रेन में हालात खराब होने के बाद वह 2 मार्च को लौटने वाली थी। लेकिन, अब वह छात्रावास में फंसी हुई है। बेटी ने गुरुवार दोपहर करीब 12.30 बजे उन्हें फोन किया था। उसने बताया कि वह छात्रावास में ही है और आपाताकाल घोषित कर दिया गया है। गुरुवार शाम करीब 6.30 बजे अपनी मां से बातचीत के दौरान चैत्रा ने बताया कि हालात पहले से बेहद खराब हो चुके हैं। स्थानीय अधिकारियों ने सभी को भूमिगत मेट्रो स्टेशन ले जाने की बात कही है। इसके बाद बेटी से संपर्क टूट गया।
सीमा तक पहुंचे तो वापसी संभव
कोडुगू जिले के कुशालनगर के केएम मंजुनाथ का बेटा चंदन खार्किव राष्ट्रीय चिकित्सा विश्वविद्यालय में तीसरे वर्ष का छात्र है। गुरुवार को युद्ध शुरू होने के बाद चंदन और उसके दोस्त एक अपार्टमेंट में हैं। चंदन परिवार के संपर्क में है मगर मंजुनाथ इस बात से चिंतित हैं कि युद्ध लंबा चला तो भोजन-पानी की समस्या हो सकती है। पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष मंजुनाथ ने कहा कि जिले के अधिकारी जानकारी जुटा रहे हैं लेकिन उनका बेटा और बाकी विद्यार्थी युद्धग्रस्त यूक्रेन के जिस इलाके में हैं वहां से किसी को निकालना अभी संभव नहीं है। दूतावास ने टैक्सी से पड़ोसी मित्र देशों तक पहुंचने की सलाह दी है। साथ ही टैक्सी पर तिरंगा लगाने को कहा है कि ताकि दोनों देश समझें हैं कि वे मित्र राष्ट्र से हैं। मगर कोई टैक्सी या वाहन उन्हें रोमानिया दूसरे पड़ोसी देश की सीमा तक पहुंचाने को नहीं मिल रहा है। मंजुनाथ की शिक्षक पत्नी कविता को उम्मीद युद्ध ज्यादा लंबा नहीं चले और जल्द खत्म हो।
मंत्री ने दिया मदद का भरोसा
शिवमोग्गा तालुक के संतेकडूरु ग्राम के जगदीश और देवकी दम्पती का पुत्र तेजस यूक्रेन में द्वितीय वर्ष के एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। उसके माता-पिता ने गुरुवार रात शिवमोग्गा परिसदन में गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र से मुलाकात कर बेटे की सुरक्षित वापसी के लिए गुहार लगाई। मंत्री ने हरसंभव सहयोग का भरोसा दिया।

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