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आज है विश्व बाल श्रम निषेध दिवस : दुनियाभर में 160 लाख से अधिक बाल श्रमिक

आज है विश्व बाल श्रम निषेध दिवस : दुनियाभर में 160 लाख से अधिक बाल श्रमिक
सीएन, नैनीताल।
हर साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बाल श्रम और मानव तस्करी के खतरे के बारे में जागरूकता पैदा करना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनियाभर में 160 लाख से अधिक बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं। निम्न मध्यम आय वाले देशों में कुल बच्चों में से 9 प्रतिशत बाल श्रम में शामिल हैं और उच्च मध्य आय वाले देशों में बच्चों के मामले में यह संख्या 7 प्रतिशत है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाल श्रम के खिलाफ विश्वव्यापी आंदोलन को बढ़ावा देने के इरादे से 12 जून, 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की स्थापना की थी। इसके माध्यम से 5 से 17 वर्ष की आयु के कई बच्चों को उचित शिक्षा, उपयुक्त चिकित्सा सेवाएं या मौलिक स्वतंत्रता प्रदान करके एक सामान्य बचपन देना है। तब से लेकर आज तक हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस दुनियाभर में बाल श्रम के पैमाने और गंभीरता पर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिवस बाल श्रम को समाप्त करने और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करने के लिए सरकारों, नियोक्ताओं, नागरिक समाज संगठनों और व्यक्तियों को प्रोत्साहित करता है ताकि एक ऐसी दुनिया बनाई जा सके, जहां सभी बच्चे अपने अधिकारों का आनंद ले सकें और शोषण और दुर्व्यवहार से मुक्त रह सकें। न्याय और बाल श्रम के बीच की कड़ी के संबंध में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2023 की थीम ‘सभी के लिए सामाजिक न्याय, बाल श्रम खत्म करो’ रखी गई है। बता दें कि साल 2022 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम ‘बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण’ थी, जबकि इस दिवस की थीम साल 2021 में ‘ अभी सक्रिय हों, बाल श्रम खत्म करें’ थी। बाल श्रम के नुकसान को उजागर करने और बच्चों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज समुदाय और व्यक्तियों द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इस दिवस पर बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सेमिनार, अभियान और पैनल चर्चा आयोजित करता है। आप चाहें सोशल मीडिया पर बाल श्रम को रोकने के लिए कुछ जागरूकता कोट्स और स्लोग्न आदि को पोस्ट कर सकते हैं।
भारत में बच्चों को जन्म के साथ ही मिलते हैं ये अधिकार
भारत में बच्चों को जन्म के साथ ही कुछ राजनीतिक, समाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक अधिकार मिलते हैं, हालांकि अधिकतर लोगों को इन अधिकारों के बारे में पता नहीं है। देश में बच्चों को बाल श्रम से रोकने के लिए श्रम कानून 1986 बनाया गया है। इस कानून के अंतर्गत 14 साल से कम उम्र वाले बच्चों को किसी भी ऐसे काम में नहीं लगाया जा सकता है जो उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक न हो। वहीं 15 से 18 साल के बच्चे किसी फैक्टरी में तभी लगाए जा सकते हैं जब उनके पास फिटनेस प्रमाण पत्र हो। इसके साथ ही इस कानून के मुताबिक उनसे सिर्फ साढ़े चार घंटे काम कराया जा सकता है।
सशक्तिकरण का अधिकार-
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 (3) बच्चों को सशक्तिकरण का अधिकार का अधिकार देता है। इसमें धारा 24 के अंतर्गत 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी फैक्टरी या खदान में काम करने से मनाही है। वहीं धारा 39 एफ के तहत बच्चों को स्वतंत्र और सम्मानजनक तरीके से विकास के अवसर दिए जाते हैं। अनुच्छेद 21(ए) के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक बच्चों को अनिवार्य मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।
सेहत को लेकर भी कानून-
जन्म के साथ ही बच्चों को कुछ सेहत से जुड़े कानून दिए गए हैं। इनमें सभी बच्चों के लिए बेहतर और जरूरी मेडिकल सुविधा (टीके आदि भी) दी गई है. इसके साथ ही यदि अपंगता है तो विशेष सुविधा, साफ पानी, पौष्टिक आहार, स्वस्थ रहने के लिए साफ वातावरण के अधिकार मिलते हैं।
पढ़ाई को लेकर कानून-
बच्चों को पढ़ाई से जुड़े कुछ अधिकार भी दिए गए हैं। इनमें आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों के लिए सभी सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में उपलब्ध सीटों की संख्या में से 25 प्रतिशत सीटें रिजर्व रखना जरूरी है। अनुच्छेद 21(ए) के अनुसार 6 से 14 वर्ष तक बच्चों को अनिवार्य मुफ्त शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ यदि किसी मामले में बच्चे से को जानकारी चाहिए तो उससे जोर जबरदस्ती नहीं की जा सकती है।

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