अंतरराष्ट्रीय
विश्व जल दिवस : दुनियाभर में दो अरब लोग स्वच्छ पेयजल दो अरब लोग
वैश्विक जल संकट से निपटने के लिए कार्रवाई करने व पानी बचाने का संकल्प लेने का दिन
सीएन, नईदिल्ली। जल के महत्त्व को जानने, समय रहते जल संरक्षण को लेकर सचेत होने तथा पानी बचाने का संकल्प लेने का दिन है। दुनियाभर में इस समय करीब दो अरब लोग ऐसे हैं, जिन्हें स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा और साफ पेयजल उपलब्ध न होने के कारण लाखों लोग बीमार होकर असमय काल का ग्रास बन जाते हैं। बात यदि भारत के संदर्भ में करें तो हमारा देश पहली बार 2011 में जल की कमी वाले देशों की सूची में शामिल हुआ था और अब स्थिति ऐसी हो चुकी है कि महाराष्ट्र हो या राजस्थान, बिहार हो या झारखंड या फिर देश की राजधानी दिल्ली, प्रतिवर्ष विशेषकर गर्मी के मौसम में देश के विभिन्न हिस्सों में पानी को लेकर लोगों के बीच आपस में झगड़े-फसाद की खबरें सामने आती रही हैं। कुछ ही साल पहले शिमला जैसे पर्वतीय क्षेत्र में पानी की कमी को लेकर हाहाकार मचा था और उसके अगले साल चेन्नई में वैसी ही स्थिति देखी गई। ये मामले जल संकट गहराने की समस्या को लेकर हमारी आंखें खोलने के लिए पर्याप्त थे किन्तु फिर भी इससे निपटने के लिए सामुदायिक तौर पर कोई गंभीर प्रयास होते नहीं दिख रहे। यही वजह है कि भारत में बहुत सारे शहर अब शिमला तथा चेन्नई जैसे हालातों से जूझने के कगार पर खड़े हैं। 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री द्वारा देश के हर ग्रामीण क्षेत्र तक नल के जरिये प्रत्येक घर में जल पहुंचाए जाने के लिए ‘जल जीवन मिशन’ नामक अभियान की शुरुआत की गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस मिशन की शुरुआत से पहले देश के ग्रामीण इलाकों में केवल 3.23 करोड़ परिवारों के पास ही नल कनेक्शन थे और इस योजना के तहत 2024 तक 19.22 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पानी पहुंचाए जाने का लक्ष्य है। हालांकि घर-घर तक जल पहुंचाने का वास्तविक लाभ तभी होगा, जब नलों से जलापूर्ति भी सुचारू रूप से हो और यह केवल तभी संभव होगा, जब जलस्रोतों की बेहतर निगरानी व्यवस्था होने के साथ जल संरक्षण के लिए कारगर प्रयास नहीं किए जाएं। पृथ्वी का करीब तीन चौथाई हिस्सा पानी से लबालब है लेकिन धरती पर मौजूद पानी के विशाल स्रोत में से महज एक-डेढ़ फीसद पानी ही ऐसा है, जिसका उपयोग पेयजल या दैनिक क्रियाकलापों के लिए किया जाना संभव है। जहां तक जल संकट की बात है तो देश में जल संकट गहराते जाने की प्रमुख वजह है भूमिगत जल का निरन्तर घटता स्तर। एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय दुनिया भर में करीब तीन बिलियन लोगों के समक्ष पानी की समस्या मुंह बाये खड़ी है और विकासशील देशों में तो यह समस्या कुछ ज्यादा ही विकराल होती जा रही है, जहां करीब 95 फीसद लोग इस समस्या को झेल रहे हैं। पानी की समस्या एशिया में और खासतौर से भारत में तो बहुत गंभीर रूप धारण कर रही है। विश्व भर में पानी की कमी की समस्या तेजी से उभर रही है और यह भविष्य में बहुत खतरनाक रूप धारण कर सकती है। अधिकांश विशेषज्ञ आशंका जताने लगे हैं कि जिस प्रकार तेल के लिए खाड़ी युद्ध होते रहे हैं, जल संकट बरकरार रहने या और अधिक बढ़ते जाने के कारण आने वाले वर्षो में पानी के लिए भी विभिन्न देशों के बीच युद्ध लड़े जाएंगे और हो सकता है कि अगला विश्व युद्ध भी पानी के मुद्दे को लेकर ही लड़ा जाए। दुनियाभर में पानी की कमी के चलते विभिन्न देशों में और भारत जैसे देश में तो विभिन्न राज्यों में ही जल संधियों पर संकट के बादल मंडराते रहे हैं।
बहरहाल, पानी की महत्ता को हमें समय रहते समझना ही होगा। इस तथ्य से हर कोई परिचित है कि जल ही जीवन है और पानी के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन जब हम हर जगह पानी का दुरुपयोग होते देखते हैं तो बहुत अफसोस होता है। पानी का अंधाधुध दोहन करने के साथ-साथ हमने नदी, तालाबों, झरनों इत्यादि अपने पारम्परिक जलस्रोतों को भी दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हमें समझ लेना होगा कि बारिश की एक-एक बूंद बेशकीमती है, जिसे सहेजना बहुत जरूरी है। अगर हम वष्रा के पानी का संरक्षण किए जाने की ओर खास ध्यान दें तो व्यर्थ बहकर नदियों में जाने वाले पानी का संरक्षण करके उससे पानी की कमी की पूर्ति आसानी से की जा सकती है और इस तरह जल संकट से काफी हद तक निपटा जा सकता है। हो सके तो सरकार को और बड़े अपार्टमेंट, बड़ी व्यावसायिक इमारतों में जल संरक्षण के वास्ते रेन वाटर हाव्रेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए पहल करनी चाहिए। बिना जल के संरक्षण के हमारी दिक्कतों का समाधान संभव नहीं है। जल की बर्बादी को रोकने के लिए भी ऐसे उपाय बेहद जरूरी हैं। स्कूली पाठय़क्रमों में भी शुरुआत से बच्चों को जल संरक्षण और जल की महत्ता के बारे में बताने की जरूरत है। हमें उन देशों के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए जिन्होंने ऐसे उपायों से नजीर स्थापित की है।
विश्व जल दिवस, पानी को लेकर जश्न मनाने का दिन
विश्व जल दिवस 1993 से हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है, जो मीठे या ताजे पानी के महत्व पर आधारित है। विश्व जल दिवस, पानी को लेकर जश्न मनाने का दिन है और सुरक्षित पानी तक पहुंच के बिना रहने वाले 2.2 अरब लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है। यह वैश्विक जल संकट से निपटने के लिए कार्रवाई करने का भी दिन है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुताबिक विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य “सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6 की उपलब्धि का समर्थन कर 2030 तक सभी के लिए पानी और स्वच्छता उपलब्ध करना है।
क्या है विश्व जल दिवस 2022 का विषय या थीम
‘भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना’ या गायब होते भूजल को पुनः बहाल करना विश्व जल दिवस 2022 का विषय है। यह 2022 के भूजल को मध्यनजर रखते हुए रखा गया है, भूजल एक अदृश्य संसाधन है जिसका प्रभाव हर जगह दिखाई दे रहा है।
भूजल जलवाही स्तर या एक्वीफर्स में भूमिगत पाया जाने वाला पानी है, जो चट्टानों, रेत और बजरी के भूवैज्ञानिक रूप हैं जिनमें पर्याप्त मात्रा में पानी होता है। भूजल झरनों, नदियों, झीलों और आर्द्रभूमि की आपूर्ति करता है और महासागरों में जाकर मिल जाता है। भूजल मुख्य रूप से बारिश और बर्फबारी से जमीन में घुस करके फिर से भरना या रिचार्ज किया जाता है। भूजल को पंपों और कुओं द्वारा सतह पर निकाला जा सकता है।
भूजल के बिना जीवन संभव नहीं होगा
दुनिया के अधिकांश शुष्क इलाके पूरी तरह से भूजल पर निर्भर हैं। भूजल हमारे पीने, स्वच्छता, खाद्य उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी के बड़े हिस्से की आपूर्ति करता है। यह आर्द्रभूमि और नदियों जैसे पारिस्थितिक तंत्र के स्वस्थ कामकाज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। बारिश और बर्फ से पुनर्भरण की तुलना में पानी के अति-दोहन से हमें बचाना चाहिए और प्रदूषण जो वर्तमान में पानी को प्रदूषित कर रहा है, क्योंकि इससे इस संसाधन की कमी हो सकती है। पानी को साफ करने में अतिरिक्त लागत और कभी-कभी इसके उपयोग को भी रोकना पड़ सकता है। भूजल की खोज, संरक्षण और स्थायी रूप से उपयोग करना जलवायु परिवर्तन के लिए जीवित रहने और अनुकूलन करने और बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी होगा।
विश्व जल दिवस का इतिहास
विश्व जल दिवस का विचार 1992 से है, जिस वर्ष रियो डी जेनेरियो में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ था। उसी वर्ष, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव अपनाया जिसके द्वारा प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को पानी के लिए विश्व दिवस घोषित किया गया, जिसे 1993 से मनाया जा रहा है। 1993 से, जल संरक्षण के महत्व को समझने के बारे में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में जारी रखा गया है। इसमें बाद के अन्य समारोहों और कार्यक्रमों को जोड़ा गया। उदाहरण के लिए, जल क्षेत्र में सहयोग का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष 2013 और सतत विकास के लिए जल पर कार्रवाई के लिए वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय दशक, 2018 से 2028। ये सब इस बात की पुष्टि करते हैं कि पानी और स्वच्छता के उपाय गरीबी में कमी, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्या आप जानते हैं?
दुनिया में लगभग सभी ताजा या मीठा पानी भूजल है। सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी पानी का लगभग 40 प्रतिशत एक्वीफर या जलभृतों से आता है।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता दुनिया में सबसे कम है, इस क्षेत्र में भूजल उपयोग 2050 तक 30 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
उत्तरी अमेरिका और यूरोप में, नाइट्रेट और कीटनाशक भूजल की गुणवत्ता के लिए एक बड़े खतरे के रूप में देखे जाते हैं। यूरोपीय संघ (ईयू) भूजल निकायों का 20 प्रतिशत कृषि प्रदूषण के कारण अच्छी पानी की गुणवत्ता पर यूरोपीय संघ के मानकों से अधिक है।