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दुर्घटना

10 साल की बच्ची ने बागेश्वरधाम परिसर में दम तोड़ा, राजस्थान से आई थी

10 साल की बच्ची ने बागेश्वरधाम परिसर में दम तोड़ा, राजस्थान से आई थी
सीएन, छतरपुर।
मध्यप्रदेश के बागेश्वरधाम में राजस्थान से अपनी बीमार बेटी को इलाज के लिए लेकर आई मां को बिलखते हुए वापस जाना पड़ा। 10 साल की बच्ची ने बागेश्वरधाम परिसर में दम तोड़ दिया। बच्ची दिमागी बीमारी (मिर्गी) से पीड़ित थी। बीमारी की तकलीफ के कारण वह रातभर मां की गोद में आंखे खोली जागती रही, जब सोई तो फिर नहीं उठी। मंदिर कमेटी के सदस्य बच्ची को साथ में लेकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के पास पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि उन्होंने यह कहते हुए बच्ची को घर ले जाओ, वापस भेज दिया। बच्ची के शव को गोद में उठाए परिजन दिनभर बागेश्वरधाम और जिला अस्पताल छतरपुर में परेशान होते रहे। पुलिस से मिली जानकारी अनुसार रास्थान के बाड़मेर जिले की रहने वाली धम्मूदेवी अपनी 10 साल की बेटी विष्णु कुमारी तिपा बुधराम को लेकर छतरपुर के बागेश्वरधाम आई थीं। साथ में बच्ची की मामी गुड्डी भी मौजूद थीं। बच्ची को मिर्गी की बीमारी बताई गई थी। बागेश्वरधा में उसकी हाजिरी तो नहीं लग पाई हालांकि मंदिर में उसे भभूति जरुर दी गई थी। बच्ची मां ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया था कि वह रातभर जागती रही थी, उसे तकलीफ हो रही थी। सुबह बच्ची मां की गोद में सो गई थी। काफी देर तक मां और मामी समझते रहे कि बच्ची सो रही है। जब उन्हें समझ आया कि उसकी सांस नहीं चल रही तो वे घबराए और मंदिर समिति के सदस्यों के पास पहुंचे। सदस्य मां और बच्ची को लेकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के पास पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने बोला कि बच्ची को घर ले जाओ। अस्पताल में बच्ची के शव को रखकर विलाप करती मां धम्मों ने पुलिस को बताया कि वे लोग राजस्थान बाड़मेर के रहने वाले हैं। बच्ची विष्णु को मिर्गी की बीमारी थी। वे करीब एक साल से यहां आ रहे हैं। बच्ची को बाबाजी ने भभूति भी दी, लेकिन वो नहीं बची। बाबाजी ने हमें कहा कि इसे लेकर जाओ। हम लोगों ने यहां के चमत्कार के बारे में सुना तो बेटी के ठीक होने की आस लेकर यहां आए थे, लेकिन बच्ची तो नहीं बची, उसकी जान चली गई। मामी गुड्डी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि विष्णु शनिवार रातभर जागती रही थी। उसे रात में दौरे भी आए थे। दोपहर में सोई तो फिर नहीं उठ सकी। हम समझते रहे कि वह सो रही है, जब घंटों तक उसके शरीर में हरकत नहीं हुई तो हम उसे अस्पताल लेकर पहुंचे थे। डॉक्टरों ने बताया कि वह काफी पहले जा चुकी है। बच्ची की मौत के बाद जिला अस्पताल छतरपुर में स्टाफ के असहयोग और लापरवाही भी परिजन को झेलना पड़ी। बच्ची की मौत के बाद शव को वार्ड से बाहर तक लाने के लिए न तो स्ट्रेचर मिला, न ही किसी स्टाफ ने सहयोग किया। मामी गुड्डी खुद बच्ची के शव को गोद में उठाकर यहां से वहां परेशान होती रहीं और मां बिलखती रहीं। घर जाने के लिए सरकारी शव वाहन की सुविधा न मिलने के कारण 11 हजार रुपए में निजी एंबुलेंस करके घर गईं।

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