उत्तर प्रदेश
जिंदगी की जंग हार गई बिना मर्जी के ब्याही गई दुल्हन, पिता-भाई ने तेजाब से था जलाया
सीएन, बरेली। फतेहगंज पश्चिमी में मरणासन्न हालत में मिली युवती आखिरकार छह दिन बाद जिंदगी की जंग हार गई। 6 दिनों तक उसने अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग जारी रखी लेकिन आखिरकार वह कामयाब नहीं हो सकी। दुल्हन बनी 20 साल की मुन्नी के साथ मौत से पहले के सितम किसी और ने नहीं बल्कि उसके अपनों ने ढहाए थे। पिता के घर में उसकी नहीं सुनी गई और चंद घंटे के ससुराल में भी उसे सुख न नसीब हुआ। जिस पिता भाई ने पहले जबरदस्ती उसकी शादी करवाई उन्होंने ही उस पर तेजाब डाला। पिता और भाई की इन हरकतों में दोनों बहनोई ने भी खूब साथ दिया। गौरतलब है कि बरेली की मुन्नी की शादी सप्ताह भर पहले हुई थी। शादी के 2 दिन बाद ही उसके मायके वालों ने उसकी हत्या की कोशिश की थी। इसका कारण था कि मुन्नी ने बिना मर्जी के हुई शादी के खिलाफ बगावत कर दी थी। परिवारवाले मुन्नी की हत्या का आरोप उसी प्रेमी पर लगाने के फिराक में थे जिस प्रेमी के साथ जिंदगी गुजारने के लिए मुन्नी पूरी दुनिया से लड़ रही थी। हालांकि पुलिस की तत्परता और गहन जांच से यह साफ हुआ कि पिता, भाई और दो बहनोई ने ही मिलकर उसकी हत्या का प्रयास किया था। इसके बाद पिता और बहनोई को जेल भेज दिया गया। दरअसल मुन्नी प्रेमी के साथ शादी की जिद पर अड़ी थी। उसने फेरे लेने से इंकार किया तो घर की महिलाओं ने उसके साथ मारपीट की। इसके बाद बिना फेरे के ही उसे विदा कर दिया गया। ससुराल पहुंचने पर जब मुन्नी ने पति के साथ रहने में ऐतराज जताया तो बात मायके तक पहुंची। मायके वाले ससुराल गए और बेटी को वापस लाने लगे। इसी बीच रास्ते में पिता, भाई और बहनोई ने मुन्नी को मारने का मन बना लिया। 23 अप्रैल को पिता तोताराम बेटी के ससुराल गए और अगली ही सुबह बेटे को लेकर बाइक से देवचरा आए। यहां से टॉयलेट क्लीनर (लाइट एसिट) लिया और वापस बेटी की ससुराल पहुंचे। शाम को बाइक से बेटी को लेकर निकल पड़े। झुमका तिराहे पर होटल पर खाना खाने के बाद वह रात में बेटी को झाड़ियों में ले गए और वहीं गला दबाकर बेटी की हत्या कर दी। बेटी के चहरे, मुंह और शरीर पर टॉयलेट क्लीनर डाल दिया। इसके बाद पिता, बेटा औऱ दामाद सब बेटी को मरा समझकर घर आ गए। सर्विलांस सेल द्वारा नंबरों की पड़ताल, घर के पास लगाई गई टीम और अन्य चीजों की गहनता से पड़ताल पर पुलिस को इस घटना का सच पता लगा। कड़ाई से पूछताछ पर पिता ने गुनाह भी कबूल कर लिया। मुन्नी जिससे प्रेम करती थी वह उसी की बिरादरी का था। पहले 3 दिन जब मुन्नी उस लड़के के साथ गई तो परिजन उसे वापस ले आए। इसके 10 दिन बाद वह फिर उसी के साथ चली गई और सप्ताहभर बाद दोनों वापस आए। गांव में बदनामी हुई तो पिता ने गुपचुप बेटी का रिश्ता खोज लिया। प्रेमी को भनक न लगे और बखेड़ा न खड़ा हो इसलिए गांव से दूर मिर्जापुर में बारात बुलाई गई। जब फेरे से पहले बेटी ने विरोध किया तो बीमारी का बहाना बताकर उसकी विदाई कर दी गई।