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संस्कृति

अलविदा घन्ना दा ! हर मुस्कराते नयन को एक दिन रोना पड़ेगा…..

हेमंत बिष्ट, नैनीताल। घन्ना दा भी चले गये . ..
उनके जाते ही याद आ रहे हैं कई कई पल . .. और याद आ रही हैं वो पक्तियां .
हर मुस्कराते नयन को
एक दिन रोना पड़ेगा
मिला है मीत मन का
उसे खोना पड़ेगा
और सर पर नाचते
गगन के प्राण बादल को
एक दिन सिन्धु की गहराई में, खोना पड़ेगा. उनके जीवन की पहली ही शर्त थी, हंसना हंसाना . : . .. ..
नब्बे का दशक, शरदोत्सव नैनीताल.
सन्ध्या में संचालन सम्पन्न किया कि कल प्रख्यात लोक गायक नरेन्द्र नेगी जी, प्रख्यात हास्य सम्राट घन्ना जी को आना है, जरूर आइयेगा. मैं स्टेज से उतर कर तेजी से घर की ओर बढ रहा था कि अशोक टाकीज से फ्लैट्स की ओर उतरने वाली सीढी पर एक व्यक्ति ने कन्धा थपथपाया, देखा तो प्रख्यात हास्य अभिनेता घन्ना दा. जिन्हे सी डी में देखा हो साक्षात देखा तो आश्चर्य मिश्रित आनन्द की अनुभूति हुई. मुझसे बोले, ” अपना स्टाइल मत बदलना, ऐसे ही बोलते रहो, आगे तक जाने जाओगे ” आदतन सर पर हाथ फेरना और प्यार से बच्चों की तरह चूम लेना उनकी आदत हुई. अनेकानेक कार्यक्रमों में मुलाकातें जारी रही. उनका आशीर्वाद मिलता रहा.
हर्ष वर्धन वर्मा ने एक गीत लिखा, उसका विडियो बनना था, रितेश सागर वगैरह सभी थे, मैंने कई बार पूछा हीरोइन तो अंजली रावत है, हीरो ? हर्ष ने कहा था सरप्राइज है, हीरो आयेगा तो आप ख़ुश हो जाओगे. और जब हीरो आया तो सच एस राना जी,. हम लोग बहुत ही ख़ुश हुए क्योंकि एक खास विजन के चलते हीरो थे हमारे घन्ना दा. साहित्य कला परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में भी उनसे मुलाकातें होती रही. संस्कृति विभाग के कवि सम्मेलन में कवियों के लिये रचित चुटकुलों के साथ, या फिर नौ नवम्बर राज्योत्सव के दिन सम्मान समारोह में, सभी के प्रति आदर ज्ञापित करते हुए. गत वर्ष अगस्त में दिल्ली में आयोजित यूका अवार्ड में सम्मानित होते हुए उन्होंने नरेन्द्र नेगी जी, नरेन्द्र टोलिया जी के साथ मंच पर हंसा हंसा कर सभी को लोट पोट कर दिया था. मंच से नीचे उतरे, गैलरी में मिले, मेरा गीत बेस्ट लिरिक के लिये नोमिनेट हुआ था, उस संदर्भ में बधाई दी, वही बच्चों की तरह प्यार किया, कहने लगे फोटो खिचानी जरूरी है, शर्माते क्यों हो ? ये फोटो जरूरी है आदेश दिया –
टोपी खोलो, बिना टोपी के खिंचाओं . . .
मैं सकुचा रहा था, कहने लगे मेरे कन्धे में हाथ रखो, प्यार जताओ . .. .. मुझे मन ही मन शंका हो रही थी, ऐसा क्यों कह रहे हैं . : …आज जब खबर सुनी तो वह पल साकार हो गये .. शायद तभी वह फोटो के लिये जिद कर रहे थे.
आप गये नहीं हैं घन्ना दाज्यू ! मनों में सदा जीवित रहोगे.



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