संस्कृति
आज 7 मार्च 2025 से होलाष्टक प्रारंभ : 14 मार्च तक नही होंगे शुभ कार्य, आठ रात्रियां सिद्धियों की प्राप्ति के लिए अत्यंत श्रेष्ठ
आज 7 मार्च 2025 से होलाष्टक प्रारंभ : 14 मार्च तक नही होंगे शुभ कार्य, आठ रात्रियां सिद्धियों की प्राप्ति के लिए अत्यंत श्रेष्ठ
सीएन, हरिद्वार। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी 7 मार्च 2025 से होलाष्टक प्रारंभ हो रहा है। इस बार होलाष्टक समाप्त होते ही मीन मलमास यानी खरमास प्रारंभ हो जाएगा जिसके कारण मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध लगेगा। होलाष्टक और मलमास में सगाई, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। होलाष्टक 7 मार्च से 14 मार्च तक रहेगा वहीं सूर्य मीन राशि में 14 मार्च से 13 अप्रैल तक रहेगा। इसलिए अब मांगलिक कार्य 13 अप्रैल के बाद ही प्रारंभ होंगे। होलाष्टक का प्रारंभ मृगशिरा नक्षत्र, प्रीति योग और वृषभ राशि के चंद्रमा में होगा। 13 मार्च की शाम को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। 13 मार्च की सुबह करीब 10.20 बजे से रात 11.30 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा के समय में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। इस कारण 13 मार्च की रात 11.30 बजे के बाद होलिका दहन करना ज्यादा शुभ रहेगा। ज्योतिष की मान्यता है कि मांगलिक कार्यों के लिए सूर्य और गुरु का अच्छी स्थिति में होना जरूरी हैए,अगर ये ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं तो मांगलिक कार्य के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। खरमास के समय में सूर्य अपने गुरु की सेवा में रहता है और गुरु सूर्य की वजह से कमजोर हो जाता है। इस कारण विवाह जैसे मांगलिक कार्य इस समय में नहीं किए जाते हैं। होलाष्टक के आठ दिन और आठ रात्रियां सिद्धियों की प्राप्ति के लिए अत्यंत श्रेष्ठ होती हैं। इस समय में तंत्र.मंत्रों की सिद्धियां प्राप्त की जाती हैं। इन आठों रात्रियों के अलग-अलग नाम दिए गए हैं जिनमें की गई साधनाएं तुरंत फलदायी होती हैं। बचकर रहें गर्भवती स्त्रियां, शुभ काम भी बंद होंगे। इन आठों रात्रियों में तांत्रिक शक्तियां प्रबल रहती हैं इसलिए इन दिनों में गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने या नदी-नाले पार करने की मनाही रहती है, क्योंकि तांत्रिक प्रयोग की गई चीजों पर गर्भवती स्त्रियों का पैर पड़ जाए तो गर्भस्थ शिशु पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। सूर्य जब जब बृहस्पति की राशि में गोचर करता है, तब उस समय को मलमास या खरमास कहा जाता है। सूर्य बृहस्पति की राशि मीन में 14 मार्च को सायं 6.49 बजे प्रवेश कर रहा है और 13 अप्रैल तक इसी राशि में रहेगा। इसलिए इस एक मास के दौरान मलमास रहेगा। इस समय कोई भी शुभ कार्य करना प्रतिबंधित रहेगा। विवाह के अगले मुहूर्त 13 मार्च के बाद रहेंगे। होलाष्टक के दौरान किसी की दी हुई कोई भी चीज न खाएं। यदि कोई प्रसाद भी दे तो उसे तुरंत न खाएं। ले लें लेकिन उसे किसी सुरक्षित स्थान पर पौधे की जड़ में डाल दें। होलाष्टक के दिनों में चौराहों पर अक्सर नींबू, कद्दू, दीया, पूजा पाठ की सामग्री, सिंदूर आदि पड़ा दिखाई देगा। इससे दूर से निकलें। इस पर भूलकर भी पैर न पड़े। होलाष्टक के दौरान किसी से कोई वस्तु दान में न लें। विशेषकर फल, सब्जी, अनाज, दूध-दही, उड़द, तिल, लौंग.इलायची आदि वस्तुएं दान में लेना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। होलाष्टक के दौरान कपड़े, जूते.चप्पल भी दान में न लें। कोई व्यक्ति पान, सुपारी, लौंग.इलायची खाने के लिए दे तो उसे बिलकुल न लें।
