धर्मक्षेत्र
आज शनिवार 6 अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत: प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करें
आज शनिवार 6 अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत: प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करें
सीएन, प्रयागराज। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत शनिवार 6 अप्रैल को कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह इस साल का पहला शनि प्रदोष व्रत है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करने का विशेष महत्व है। शनिवार 6 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा। इसके बाद 7 अप्रैल 2024 को सुबह 6 बजकर 54 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। हालांकि प्रदोष व्रत में शाम के समय त्रयोदशी तिथि रहने पर पूजा करने का विशेष महत्व है। इसलिए शनि प्रदोष व्रत 6 अप्रैल को रखा जाएगा। शनि प्रदोष व्रत 6 अप्रैल को पूजा के लिए शाम में 6 बजकर 41 मिनट से 7 बजकर 4 मिनट तक का समय उत्तम है। शनिवार के दिन सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान आदि करके पूजा के लिए तैयार हो जाएं। स्नान के बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजन करने आरंभ करें। सबसे पहले गाय के कच्चे दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र पर चंदन लगाकर अर्पित करें। साथ ही पुष्प धतूरा, आंख के फूल आदि भी भगवान शिव को अर्पित करें। इसके बाद शनि प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और अंत में भगवान शिव की आरती उतारें। शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होने से भगवान शिव के साथ शनि महाराज भी प्रसन्न होते हैं। शनि प्रदोष व्रत करने से मनुष्य को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं साथ ही व्यक्ति अंत में सुखों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है।