धर्मक्षेत्र
नवरात्र : गढ़वाल के नौटी का नंदा देवी मंदिर : माँ नंदा के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक
नवरात्र : गढ़वाल के नौटी का नंदा देवी मंदिर : माँ नंदा के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक
सीएन, चमोली। मां नंदा देवी मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भारत के राज्य उत्तराखंड में चमोली गढ़वाल के नौटी गाँव में स्थित है। यह मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और माँ नंदा के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है। मां नंदा देवी मंदिर वह स्थान है जहाँ से ऐतिहासिक नंदा देवी यात्रा शुरू हुई थी। यह यात्रा 12 वर्षो के बाद आयोजित की जाती है। इस यात्रा को नंदादेवी राज जाट का उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड के लोगों के लिए बहुत बड़ा तीर्थ यात्रा व त्योहार है। नंदा देवी मंदिर नौटी हजारों साल पुराना है जहां देवी नंदा के देवता को रखा जाता है और उनकी पूजा की जाती है। देवी नंदा को इस हिमालयी पहाड़ी क्षेत्र के शासक राजा दक्ष प्रजापति की बेटी और भगवान शिव की पत्नी के रूप में मान्यता प्राप्त है। मान्यताओं के अनुसार देवी नंदा देवी पार्वती या उनकी बहन का रूप थीं। वह उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं दोनों समुदायों के देवता की प्रमुख हैं। उत्तराखंड के चमोली और गढ़वाल जिले में हर 12 साल में एक बार तीन सप्ताह के लिए एक प्रसिद्ध त्योहार मनाया जाता है जिसे नंदा देवी राज जाट यात्रा या महाकुंभ के नाम से जाना जाता है। यात्रा लंबे रास्ते पर आयोजित की जाती है जिसे पूरा होने में लगभग 22 दिन लगते हैं। यह पवित्र यात्रा चमोली जिले के नौटी गांव के नंदा देवी मंदिर से शुरू होकर रूप कुंड में समाप्त होती है जहां हजारों कंकाल देखे जा सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि देवी नंदा देवी इस समय गांव से नंदा देवी पर्वत पर गई थीं। इसलिए यात्रा शुरू होने पर बहुत भारी वर्षा होती है और ऐसा कहा और महसूस किया जाता है कि देवी रो रही हैं। इसी कुमाऊं क्षेत्र में देवी नंदा देवी का जन्म हुआ था। और इस प्रकार यह यात्रा देवी नंदा देवी की स्मृति में आयोजित की जाती है जहां समाज के सभी सदस्य भाग लेते हैं और ठाकुर भांकौर खेलते हैं और ब्राह्मण छत्रों की देखभाल करते हैं। नंदा देवी का मूल धाम चमोली के कांसुवा गांव में है। बाद में कई जगह पर इनके मंदिर बनाए गए। नंदा के इस शक्ति रूप की पूजा गढ़वाल में तल्ली दसीए सिमली, तल्ली धूरी, चांदपुर, गैड़लोहवा आदि स्थानों में होती है। गढ़वाल में राज जात यात्रा का आयोजन भी नंदा के सम्मान में होता है।कुमाऊँ में अल्मोड़ा, रणचूला, डंगोली, बदियाकोट, सोराग, कर्मी, पोथिंग, चिल्ठा, सरमूल आदि में नंदा के मंदिर हैं। अल्मोड़ा में नंदा का मूल मंदिर है। जहां पर की बधाण गढ़ी से मां नंदा भगवती को स्थापित किया गया। बधाण गढ़ी में नंदा के मुख्य मंदिर कुरुड़ की नंदा देवी की मूर्ति स्थापित थी। जो कि अल्मोड़ा के राजा के आक्रमण व लूट के बाद अल्मोड़ा में बसाई गई। अनेक स्थानों पर नंदा के सम्मान में मेलों के रूप में समारोह आयोजित होते हैं। नंदाष्टमी को कुरुड़ की आदिशक्ति मां नंदा देवी का मेला, कोट की माई का मेला और नैनीताल में नंदादेवी मेला अपनी सम्पन्न लोक विरासत के कारण कुछ अलग ही छटा लिये होते हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित नंदा देवी के इस पवित्र मंदिर की कई मान्यताएं और आस्थाएं हैं जहां देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं। नवरात्रों में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है।