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बढ़ते हुए चंद्रमा के चक्र के आधार पर रमज़ान के माह में रखे जाते हैं रोजे, इस महीने में इबादत का विशेष महत्व

बढ़ते हुए चंद्रमा के चक्र के आधार पर रमज़ान के माह में रखे जाते हैं रोजे, इस महीने में इबादत का विशेष महत्व
सीएन, नैनीताल।
इन दिनों रमजान का पाक महीना चल रहा है। रमजान के महीने में इबादत का विशेष महत्व है। रमजान के दौरान रोजे रखने के साथ पांचों वक्त की नमाज और तरावीह की विशेष नमाज का महत्व है। इस्लाम धर्म में आस्था रखने वाले लोग रमजान के महीने को बेहद पवित्र और पवित्र मानते हैं। रमजान के महीने में मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। इस विशेष अवसर पर रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलना भी एक परंपरा है। देश के कई आदर्शों में रमजान के दिन सार्वजनिक अवकाश भी दिया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है रमज़ान या रमदान और इस महीने को इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोग पवित्र मानते हैं। रमजान के दौरान मुस्लिम धर्म के लोग रोज़े रखते हैं। अपने ईश्वर को धन्यवाद देते हुए रमज़ान के महीने के अंत में शव्वाल अर्थात इस्लामिक कैलेंडर का दसवां महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्यौहार धूमधाम से मनाने का विधान है। अगर हम त्यौहार के द्वारा दिए जाने वाले सन्देश की बात करें तो इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने धर्म द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए अपने अंदर की बुराईयों को दूर करने का प्रयास करते हैं, साथ ही ये व्रत कई शिक्षाएं प्रदान करता है जिनमें आत्म-संयम, बलिदान, गरीबों या जरूरतमंदों के लिए दान, सहानुभूति, सांसारिक चीजों से अलगाव और अल्लाह से निकटता आदि सम्मिलित है। बढ़ते हुए चंद्रमा के चक्र के आधार पर रमज़ान के माह में व्रत का समय 29 या 30 दिनों तक चल सकता है। इस उपवास का आरम्भ प्रातःकाल में हो जाता है और व्रत की समाप्ति सूर्यास्त पर होती है। रमज़ान के बाद इस पर्व की समाप्ति ईद-उल-फितर के दो या तीन दिन के समारोह से हो जाती है। यह दिन इस्लामी पंचांग के अगले महीने शव्वाल का प्रथम दिन होता है। इस दिन पर किसी भी मुस्लिम के लिए व्रत रखना निषेध होता है, इसका कारण है कि यह उपवास तोड़ने का समय और जश्न मनाने का दिन होता है। मुस्लिम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का मत है कि 610 ईसा पूर्व में मोहम्मद साहब को लेयलत उल.कद्र के अवसर पर इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था। उस दिन से ही इस्लाम धर्म के पवित्र महीने के रुप में रमजान को मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। मुस्लिम धर्म के अनुयायियों द्वारा रमज़ान में विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। इस महीने में कुरान को पढ़ना अत्यंत शुभ माना गया है जो लोग पढ़ नहीं सकते है वे कुरान सुन सकते है। मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा रमज़ान के पवित्र महीने में व्रत करना आवश्यक माना जाता है। व्रत को अरबी भाषा में सौम कहते है, इसी वजह से रमज़ान के महीने को अरबी भाषा में माह-ए-सियाम भी कहते है। रमजान में रखे जाने वाले उपवास को भारतीय मुस्लिमों द्वारा रोज़ा कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद उपवास खोला जाता है जो इफ़्तारी के नाम से प्रसिद्ध है।

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