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बढ़ती गर्मी से लोग हैरान व परेशान, क्या विष्णु पुराण की भविष्यवाणी तपते सूरजसे ही खत्म होगी दुनिया

बढ़ती गर्मी से लोग हैरान व परेशान, क्या विष्णु पुराण की भविष्यवाणी तपते सूरजसे ही खत्म होगी दुनिया
सीएन, नईदिल्ली।
लगातार बढ़ती गर्मी से लोग हैरान व परेशान हैं। तापमान इस कदर बढ़ने लगा है कि अब लू, गर्मी से लोगों और जानवरों की  जंगलों में आग लगने की घटनाएं आम हो गई हैं। इस पर भी जलस्तर घटने वाले शोध लोगों को डराते हैं कि कहीं धरती का पानी खत्म तो नहीं हो जाएगा। अगर धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो विष्णु पुराण में कलियुग के अंत की शुरुआत गर्मी से ही बताई गई है। ऐसे में हर साल बढ़ती गर्मी की वजह से विष्णु पुराण की भविष्यवाणी डराने लगती है कि क्या पृथ्वी का अंत होने वाला है। कभी कभी तो गर्मी इस कदर अपना रौद्र रूप दिखाती है कि लोग लू के कारण बीमार पड़ जाते हैं और कमजोर इम्यूनिटी वालों की जान तक चली जाती है। गर्मी का यह भयंकर रूप हर साल बढ़ते ही चला जा रहा है। वैज्ञानिकों की माने तो गर्मी साल-दर-साल बढ़ती जायेगी। इस पर विष्णु पुराण के तीसरे अध्याय में कहा गया है कि पृथ्वी का अंत सूरज की जला देने वाली तपिश से होगा। ऐसे में आशंका सताती है कि क्या विष्णु पुराण की सृष्टि के बिगड़ने की भविष्यवाणी सच होने वाली है, क्या प्रलय नजदीक है, इसके बारे में पराशर ऋषि ने अपने शिष्य श्रीमैत्रेय जी को विष्णु पुराण के तीसरे अध्याय में विस्तार से बताया है। पराशर ऋषि श्रीमैत्रेय जी को बताते हैं कि धरती पर 30 दिन और रात का एक महीना होता है और 12 महीने का एक साल होता है। जबकि धरती के एक साल के बराबर देवताओं का एक दिन और पृथ्वी लोक के 360 साल के बराबर देवताओं का एक साल होता है। ऐसे 12 हजार दिव्य वर्षों का एक चतुर्युग होता है। और खास बात यह है कि 1 हजार चतुर्युग का ब्रह्मा का एक दिन होता है। विष्णु पुराण में बताया गया है कि 1 हजार चतुर्युग बीतने पर पृथ्वी का अंत शुरू होने लगेगा। तब लोग कमजोर होने लगेंगे, पृथ्वी पर करीब 100 साल तक सूखा पड़ेगा। और ऐसे कमजोर लोग सूखे से पीड़ित होकर अपने अंत की ओर बढ़ेंगे। इसके बाद भगवान विष्णु संसार को सारे संसार को अपने में लीन करने के लिए सूर्य की सात किरणों में स्थित होंगे। और धरती का सारा पानी सोख लेंगे। इससे न सिर्फ पृथ्वी बल्कि विभिन्न पाताल भी सूखे का प्रकोप झेलेंगे। तब भगवान विष्णु के प्रभाव में आकर जलपान से सूर्य की सातों किरणें सात सूरज हो जाएंगी। इसके बाद वे अपने प्रकाश से तीनों लोकों को भस्म कर देंगी। तब यह पृथ्वी कछुए की पीठ की तरह कठोर हो जाएगी। यही नहीं श्री हरि विष्णु शेषनाग के मुख से नीचे से पातालों को जलाएंगे। इसके बाद पृथ्वी लोक को जलाएंगे। फिर स्वर्गलोक को भी जला देंगे। इससे परलोक की चाह करने वाले जन ऋषि मुनियों के महर्लोक में चले जाएंगे। लेकिन इसके बाद वहां भी अग्नि का प्रकोप होगा, इससे वे जनलोक जाएंगे। फिर भगवान विष्णु पूरे संसार को जला देंगे। भगवान विष्णु इसके बाद खतरनाक तरीके से बिजली गिरेगी और बड़े बड़े घनघोर बादल आकाश में उठेंगे। अलग.अलग रंग और रूप वाले ये बादल पृथ्वी पर इस तरह घनघोर तरह से बरसेंगे कि धरती को जला रही ज्वाला शांत हो जाएगी। ये बादल तब तक शांत नहीं होंगे जब तक ये पूरे जगत को पानी में डुबो न दें। इसके बाद ये धरती के ऊपर के लोकों को भी जलमग्न करेंगे। ये बादल 100 से ज्यादा वर्षों तक बरसेंगे। इस तरह ब्रह्मांड के युग का अंत होगा। इसके बाद विष्णु पुराण के चौथे अध्याय में पराशर ऋषि आगे बताते हैं कि जब संसार में इतना पानी हो जाएगा कि सप्तर्षियों का स्थान भी डूबने लगेगा और पूरी धरती महासमुंद के समान हो जाएगी। इसके बाद भगवान विष्णु के श्रीमुख से निकली हवा उन बादलों को खत्म करेगी। इसके बाद ये भीषण हवा 100 वर्षों तक चलेगी। फिर भगवान विष्णु इस हवा की पीकर अपनी शेषनाग की शय्या पर शयन करेंगे। जब भगवान विष्णु जागते हैं तब सारे संसार की चेष्टाएं होती रहती हैं और जब वह मायारूपी शय्या पर शयन करने जाते हैं तब संसार भी लीन हो जाता है। विष्णु पुराण में बताया गया है कि जिस तरह ब्रह्माजी का एक दिन एक हजार चतुर्युग के बराबर होता है उसी तरह उनकी रात भी इतनी ही बड़ी होती है। जब उनकी रात्रि का अंत होता है तब भगवान विष्णु जागते हैं और ब्रह्म स्वरूप धारण करते हैं। इसके बाद वह सृष्टि की रचना करते हैं। मालूम हो कि इस पुराण  में इस समय सात हज़ार श्लोक उपलब्ध हैं। वैसे कई ग्रन्थों में इसकी श्लोक संख्या तेईस हज़ार बताई जाती है। विष्णु पुराण में छह भागों में विभक्त है। पहले भाग में सर्ग अथवा सृष्टि की उत्पत्ति काल का स्वरूप और ध्रुव, पृथु तथा प्रहलाद की कथाएं दी गई हैं। दूसरे भाग में लोकों के स्वरूप, पृथ्वी के नौ खण्डों, ग्रह.नक्षत्र, ज्योतिष आदि का वर्णन है।

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