धर्मक्षेत्र
आज 31 मार्च को है बसौड़ा का पर्व : मान्यता अनुसार किसी भी जगह माता शीतला की करें पूजा
आज 31 मार्च को है बसौड़ा का पर्व : मान्यता अनुसार किसी भी जगह माता शीतला की करें पूजा
सीएन, हरिद्वार। होली के 7 दिनों बाद शीतला सप्तमी मनाई जाती है। कुछ लोग शीतला अष्टमी भी मनाते हैं। शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी इस साल 2 अप्रैल 2024 को है। जो लोग शीतला सप्तमी मनाते हैं वे 1 अप्रैल के दिन शीतला सप्तमी पूजन करेंगे। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बासी खाने का भोग माता शीतला को लगाया जाता है। शीतला माता ठंडक प्रदान करने वाली देवी है। होली के बाद मौसम में बदलाव आने लगता है। हल्की ठंड भी खत्म होने लगती है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। ऐसे में वातावरण में ठंडक की आवश्यकता होती है क्योंकि भीषण गर्मी में त्वचा सम्बधी रोग का खतरा बना रहता है। इस कारण मान्यता है कि माता शीतला का व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से चेचक चर्म रोग की बीमारियां दूर रहती हैं। आप शीतला सप्तमी.अष्टमी दोनों ही दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। आप अगर सूर्य निकलने से पहले बसौड़ा पूज लेते हैं, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद माता शीतला के मंदिर में जाकर विधि.विधान के साथ पूजा करें। कुछ लोग होलिका दहन वाली जगह पर भी बसौड़ा पूजते हैं। अपनी मान्यता अनुसार किसी भी जगह माता शीतला का ध्यान करके पूजा कर सकते हैं। सबसे पहले माता शीतला की पूजा करें। उन्हें जल चढ़ाएंए इसके बाद गुलाल कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद बासी भोजन जैसे पूडे, मीठे चावल, खीर, मिठाई का भोग माता शीतला को लगाएं। माता शीतला को हमेशा ठंडे खाने का भोग ही लगाया जाता है। माता शीतला की पूजा करते समय दीजिए धूप या अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए। शीतला माता की पूजा में अग्नि को किसी भी तरह से शामिल नहीं किया जाता है। मंदिर या होलिका दहन स्थल पर पूजा करने के बाद अपने घर में आकर प्रवेश द्वार के बाहर स्वास्तिक जरूर बनाएं।